बेंगलुरू के निकट स्थित ताईवानी फोन निर्माता कंपनी Wistron के प्लांट पर कई उपद्रवियों ने हमला किया जसमें कंपनी को काफी नुकसान हुआ है। इस हमले पर कुछ सोशल मीडिया यूजर्स का अनुमान था कि यह चीन की एक साजिश है, भारत से उद्योगों को बाहर निकलवाने की। लेकिन यह अनुमान वास्तव में सच होता दिखाई दे रहा है।
अब इसमें चीनी कनेक्शन कैसे है? हाल ही में ग्लोबल टाइम्स की एक वरिष्ठ पत्रकार किंगकिंग चेन ने ट्वीट किया, “जब उत्पादक चीन से अपना प्रोडक्शन हटाएंगे, तो कुछ वैसा ही हाल होगा जैसा Wistronके मामले में देखा गया। आशा करते हैं फॉक्सकॉन के टेरी कोउ को अपने उत्पादन को भारत में स्थानांतरित करने का दुष्परिणाम न झेलना पड़े”।
बता दें कि Wistron एक ताईवानी फोन निर्माता कंपनी है, जो एप्पल के लिए कई देशों में आई फोन का निर्माण करती है। इस प्लांट के पास कई हजार कर्मचारी इकट्ठा हुए थे, जिन्होंने अपना बकाया वेतन और बेहतर कार्यशैली की मांग की। लेकिन जब स्थिति को संभालने पुलिस आई, तो ये भीड़ काफी हिंसक हो गई और उसने तोड़फोड़ शुरू कर दी। इसके साथ ही प्लांट में कई करोड़ के ईक्विपमेंट भी ध्वस्त किए गए और नए नवेले आई फोन भी लूटे गए।
अब ऐसे में यदि चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स की एक वरिष्ठ पत्रकार इस प्रकार से भारत में निवेश करने वाली कंपनियों को धमकाते हुए दिखाई दे, तो समझ जाइए कि दाल में कुछ तो काला है। दिलचस्प बात तो यह थी कि इन उपद्रवियों का बचाव करने में तुरंत भारत की वामपंथी पार्टियां सामने आई, और आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सदस्यों न खुलेआम कई महीनों से बकाया वेतन का बहाना भी बनाया।
लेकिन उनकी पोल तभी खुल गई जब Wistron के श्रम विभाग ने अपने वित्तीय जानकारी को साझा करते हुए बताया कि इस बार एक वित्तीय समस्या के कारण 4 दिनों का विलंब हुआ, अन्यथा गैर अनुबंधी कर्मचारियों के वेतन भुगतान में किसी प्रकार का कोई विलंब अभी तक नहीं हुआ है।
जिस प्रकार से ग्लोबल टाइम्स इस घटना पर दुष्प्रचार कर रहा है, और जिस प्रकार से हमले में कम्युनिस्टों का हाथ सामने आया है, उससे यह अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि यह हमला स्टरलाइट 2.0 की ओर इशारा कर रहा है, जिसमें चीन और उनके भारतीय चाटुकार मिलकर वैश्विक कंपनियों को भारत में निवेश करने से रोकना चाहते हैं। स्टरलाइट कॉपर प्लांट को इसी गठजोड़ ने अनेक प्रदर्शनों के बाद बंद कराया था, जिसके कारण भारत तांबे के प्रमुख निर्यातकों से हटकर तांबे के प्रमुख आयातकों में शामिल हो गया।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कम्युनिस्टों के राज में सदैव भारत के औद्योगिक शहरों का नुकसान हुआ है, और ये बात बंगाल से बेहतर कोई नहीं जानता। ऐसे में ग्लोबल टाइम्स द्वारा Wistron पर हुए हमले को उचित ठहराने से एक बार फिर चीन – भारतीय कम्युनिस्ट गठजोड़ का पर्दाफाश, जिस पर कर्नाटक की सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार को भी अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए।