पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव से पहले ऐसे चक्रव्यूह में घिरी हैं जिसे भेदना नामुमकिन हो गया है। एक तरफ जहां उनकी पार्टी के बागी शुभेंदु अधिकारी उनके लिए मुसीबत बन गए हैं, तो दूसरी ओर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी बंगाल चुनाव में ताल ठोकने का मन बना लिया है। शुभेंदु बीजेपी में जाने का संकेत दे रहे हैं तो ओवैसी बंगाल की मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव लड़ने की बात करके ओवैसी को झटका दे रहे हैं। ये दोनों ममता बनर्जी के लिए एक बड़ी चुनावी मुसीबत बनने वाले हैं, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को ही मिलेगा।
पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटरों का फैक्टर 27 फ़ीसदी का है। 294 सीटों में से 120 सीटों पर मुस्लिम आबादी निर्णायक भूमिका निभाती है। असदुद्दीन ओवैसी इसी आबादी के वोटों को इन कैश कराना चाहते हैं। इन सारे मामलों को लेकर हाल ही में असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाल के अपने सभी नेताओं से चर्चा की है। ज़ी न्यूज़ की खबर बताती है कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम मुस्लिम बहुल आबादी वाले मिदनापुर मुर्शिदाबाद मालदा उत्तरी दिनाजपुर जैसे जिलों में चुनाव लड़ने वाली है। बिहार चुनाव में सफलता के बाद जिस दिन असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाल चुनाव लड़ने की बात कही थी उस दिन ही ममता बनर्जी के होश फाख्ता हो गए थे, और इसीलिए अब उन्हें डर सताने लगा है।
ममता कैबिनेट के सबसे कद्दावर नेता माने जाने वाले शुभेंदु अधिकारी ने कैबिनेट से इस्तीफा देकर पार्टी से दूरी बना ली है जिसका सीधा नुकसान ममता बनर्जी को विधानसभा चुनाव में होने वाला है। 2006 में मिदनापुर और उसके आसपास के इलाकों में टीएमसी का वोट केवल 27% था जिसको बढ़ाकर 2016 में शुभेंदु 49% तक लेकर आए। शुभेंदु को ममता का दायां हाथ भी कहा जाता था क्योंकि शुभेंदु ने इस इलाक़े को ममता का गढ़ बना दिया था, जिसमें मुर्शिदाबाद मालदा उत्तरी दिनाजपुर मिदनापुर जैसे जिले आते थे। शुभेंदु को आईबी की रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय द्वारा जेड प्लस सिक्योरिटी दी गई है। खबर यह भी है कि शुभेंदु ने मिदनापुर के कांथी इलाके में नया ऑफिस खोला है, जो पूरी तरह से भगवा रंग का है। यह साफ संकेत देता है कि शुभेंदु भगवान पार्टी यानी बीजेपी की तरफ से नरम रुख अख्तियार कर सकते हैं।
ममता के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि उनके पास ओवैसी से निपटने के लिए कोई भी कद्दावर नेता नहीं है। ऐसे में ममता से नाराजगी के कारण शुभेंदु अधिकारी की समर्थक जनता ममता को वोट देने से बचेगी। यही नहीं दूसरी ओर ओवैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर ममता के वोट प्रतिशत को बड़ी चोट देंगे जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा, वोटों का बंटना बीजेपी के लिए हमेशा ही फायदे का सौदा रहा है।
पश्चिम बंगाल के पूरे राजनीतिक परिदृश्य को ध्यान से देखें तो साफ पता चलता है कि पार्टी के बड़े नेता शुभेंदु अधिकारी के जाने का नुकसान ममता बनर्जी को सबसे ज्यादा होगा, जबकि एकमुश्त मुस्लिम वोटों को बांटने में बड़ी भूमिका निभाने वाले असदुद्दीन ओवैसी का बंगाल आना ममता बनर्जी को 2021 के विधानसभा चुनाव में हाशिए पर लाकर खड़ा कर देगा, और बीजेपी का होना लगभग तय हो जाएगा।