अगले साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसी में तमिलनाडु भी शामिल है। 2021 में असम, बंगाल, पुडुचेरी, केरल और तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव होने तय हैं, और भाजपा के अलावा सबकी नजरें गड़ी हैं असदुद्दीन ओवैसी पर, जो बंगाल के साथ साथ अब तमिलनाडु में भी अपना भाग्य अजमाएंगे। लेकिन उनका साथ देने के लिए कोई और नहीं, बल्कि अभिनेता कमल हासन सामने आ सकते हैं।
अगर सूत्रों की माने तो असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में AIMIM जल्द ही तमिलनाडु में अपना भाग्य आजमाएगी। बिहार में अप्रत्याशित प्रदर्शन के बाद अब ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मय्यम (MNM) से हाथ मिला सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि AIMIM और MNM मिलकर 25 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं।
मीडिया कि रिपोर्ट्स के अनुसार, ओवैसी ने सोमवार को तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य के पार्टी पदाधिकारियों के साथ चर्चा की। पार्टी के त्रिची और चेन्नै में जनवरी में मीटिंग करने की संभावना है। दूसरी ओर कमल हासन ने सोमवार को घोषणा की कि वह आने वाले चुनाव में जरूर मैदान में उतरेंगे। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वह किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, इसकी घोषणा बाद में करेंगे।
अब ओवैसी और कमल हासन भला चुनाव के लिए क्यों हाथ मिलाएंगे? दरअसल, दोनों एक दूसरे की विचारधारा का समर्थन करते देखे गए हैं। इससे पहले ओवैसी कमल हासन के उस ओछे बयान का भी समर्थन कर चुके हैं जिसमें हासन ने नाथूराम गोडसे के लिए कहा था कि राष्ट्रपिता की हत्या करने वाले को आतंकी कहना चाहिए। पार्टी से जुड़े एक सूत्र ने बताया, ‘ओवैसी सभी मुस्लिम दलों को साथ लाकर चुनाव लड़ना चाहते हैं। AIMIM कमल हासन की पार्टी और दूसरे छोटे दलों के साथ भी गठबंधन कर सकती है।’
जब भी मुकाबला किसी भी राज्य में त्रिकोणीय रहा है, तो उनके दो प्रमुख परिणाम सामने आए हैं – पहला, अल्पसंख्यक वोट बैंक पर निर्भर सेक्युलर पार्टी को जबरदस्त नुकसान होना, और दूसरा, भाजपा को जबरदस्त फायदा होना। यदि ओवैसी और कमल के बीच का गठबंधन सफल रहा, तो उक्त संभावनाओं का सच होना पूरी तरह से संभव है। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस और डीएमके का होगा, जो काफी हद तक अल्पसंख्यक वोट बैंक पर भी निर्भर है।
अब तमिलनाडु के राजनीतिक समीकरण भी ओवैसी के अनुकूल दिखाई दे रहे हैं। 2011 जनगणना के अनुसार, तमिलनाडु में 5.86 फीसदी मुस्लिम आबादी है। तमिलनाडु के वेल्लोर, रानीपेट, तिरुपत्तूर, कृष्णागिरि, रमननाथपुरम, पुडुकोट्टई, त्रिची, मदुरै और तिरुनेलवेली में कई मुस्लिम बहुल इलाके हैं, और ऐसा माना जा रहा है कि ओवैसी की पार्टी इन्हीं सीटों में चुनाव लड़ सकती है। ओवैसी इसी नीति से बंगाल में भी चुनाव लड़ रहे हैं, ताकि मुस्लिम वोट्स को एकजुट किया जा सके, और इसी नीति से संभवत वह राजस्थान में भी अपना भाग्य आजमा सकते हैं।
इसका परिणाम क्या होगा? यदि ओवैसी और कमल हासन साथ आए, तो तमिलनाडु में मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा। एक तरफ AIMIM और MNM [कमल हासन की पार्टी] होगी, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और डीएमके का गठजोड़ होगा, और तीसरी ओर सत्ताधारी एआईएडीएमके, भाजपा और रजनीकान्त का गठजोड़ होगा। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ओवैसी और कमल हासन के संभावित गठबंधन से वोटों का वैसे ही ध्रुवीकरण हो सकता है, जैसे बिहार में हुआ था और आने वाले समय में बंगाल में भी हो सकता है।