हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस ने Foreign Companies Accountable बिल को पास किया था, जिसके बाद अब अमेरिका से चीनी कंपनियों को निवेश जुटाने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अब अगर कोई भी चीनी कंपनी लगातार तीन साल तक अमेरिका की Auditing बॉडी “Public Company Accounting Oversight Board” से अपने खाते ऑडिट नहीं कराती है, तो उसे अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
इतना ही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति एक executive order के जरिए उन सभी चीनी कंपनियों को भी blacklist में ड़ाल चुके हैं जिनके तार कहीं ना कहीं चीनी सेना से जाकर जुड़े हुए हैं। अभी अमेरिका में कुल 217 चीनी कंपनियाँ stock exchanges पर लिस्टिड हैं जिनकी कुल market cap 2.2 ट्रिलियन डॉलर है। अमेरिकी सरकार के सख्त रुख के बाद अब S&P Dow Jones और MSCI जैसे इंडेक्स पहले ही कुछ बड़ी चीनी कंपनियों को अपने index से delist करने का ऐलान कर चुके हैं।
अब अगर इन कंपनियों को अमेरिकी stock exchange से भी हटाया जाता है तो इन चीनी कंपनियों का 2.2 ट्रिलियन का market cap एक झटके में बर्बाद हो जाएगा। MSCI ने अपने हाल ही के फैसले में कहा है कि वह Hong-Kong और शंघाई में लिस्टिड कंपनियों जैसे Semiconductor Manufacturing International Corp (SMIC), China Communications Construction Co, China Spacesat, China Railway Construction, CRRC Corp, Hangzhou Hikvision और Dawning Information Industry जैसी कंपनियों की Securities को delist कर रही है।
ऐसा इसलिए क्योंकि इन सभी कंपनियों को PLA के साथ सम्बन्धों के कारण अमेरिकी सरकार ने blacklist में ड़ाल दिया है। अब अमेरिकी निवेशक इन कंपनियों की securities में trade नहीं कर पाएंगे। अमेरिका के Top Index compilers द्वारा चीनी कंपनियों को ban किए जाने के बाद अब निवेश बाज़ार में भय का माहौल पैदा हो गया है, जिसके कारण चीनी कंपनियों के शेयर में गिरावट आने का अनुमान भी बढ़ गया है।
Foreign Companies Accountable कानून और अपने Executive order के माध्यम से ट्रम्प प्रशासन चीनी कंपनियों को अपने यहाँ से हमेशा के लिए भगाना चाहता है। नए नियमों के मुताबिक चीनी कंपनियों को अमेरिकी auditing authority के तहत अपने books of accounts का सत्यापन कराना होगा। हालांकि, मौजूदा चीनी कानून ऐसा होने में बड़ी रूकावट पैदा करते हैं।
आज चीनी कानूनों के हिसाब से किसी भी चीनी कंपनियों के auditing से संबन्धित दस्तावेजों को देश से बाहर नहीं भेजा जा सकता। ऐसे में चीनी कंपनियों पर धांधली करने और उनके वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी करने के अनुमान बढ़ जाते हैं। इसके कारण कई बार अमेरिकी निवेशक अपना पैसा भी खो चुके हैं।
उदाहरण के लिए चीन की एक कंपनी “Kingold” ने अपने 83 टन “सोने” को अलग-अलग ऋणदाताओं के पास गिरवी रख करीब 16 बिलियन युआन का कर्ज़ उठाया ।
जुलाई महीने में जांच होने के बाद यह सामने आया था कि वह 83 टन सोना असल में सोना नहीं, बल्कि कॉपर था, जिसपर सोने की परत चढ़ाई गयी थी। इस फर्जीवाड़े में शामिल चीनी कंपनी Kingold अमेरिका के Nasdaq स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिड थी , और उस कंपनी के डूबने के साथ ही अमेरिकी निवेशकों का पैसा भी डूब गया। चीनी कंपनियों का और धांधली का चोली-दामन का साथ रहता है।
इससे पहले चीन की ही एक अन्य अमेरिकी कंपनी Luckin coffee को 300 मिलियन डॉलर का फर्जीवाड़ा करते हुए पाया गया था, क्योंकि उस कंपनी ने अप्रैल से लेकर दिसंबर 2019 तक अपने राजस्व को 300 मिलियन डॉलर बढ़ाकर दिखाया था, ताकि अमेरिकी निवेशक कंपनी में ज़्यादा निवेश कर सके। पकड़े जाने पर अमेरिकी सरकार ने उस चीनी कंपनी को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
अब अगर तीन सालों के अंदर-अंदर अमेरिका में लिस्टिड चीन की 217 कंपनियाँ अपने auditing papers चीन से अमेरिका लाने में असफल रहती हैं, तो इन्हें अमेरिका से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है, जिसके बाद ये सभी चीनी कंपनियाँ 2.2 ट्रिलियन के market cap से हाथ धो सकती हैं।