जब अमेरिकी चुनाव में जब जो बाइडन की जीत की घोषणा हुई थी तब अन्य देशों के मुक़ाबले जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल अधिक खुश दिखाई दे रही थी। इसका कारण भी था क्योंकि डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए जर्मनी को विश्व की राजनीति में ऊपर उठने का मौका ही नहीं दिया था। अब डोनाल्ड ट्रम्प जाते-जाते मर्केल को एक और झटका देने जा रहे हैं जो न सिर्फ जर्मनी द्वारा शुरू किए गए नॉर्ड स्ट्रीम परियोजना को रोकेगा बल्कि जर्मनी के साथ अमेरिका के रिश्तों को हमेशा के लिए खराब कर देगा।
दरअसल, बाल्टिक सागर के नीचे 9.5 बिलियन यूरो से बनने वाला नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना अमेरिका और जर्मनी के संबंधों में घर्षण का एक प्रमुख कारण बन गया है। एक तरफ जर्मनी इस परियोजना पर दोबारा काम शुरू करने जा रहा है तो वहीं डोनाल्ड ट्रम्प इस महीने के आखिर तक इस परियोजना से जुड़े कंपनियों पर प्रतिबंधों के दायरे बढ़ाने के लिए कानून पारित करने जा रहे हैं जिससे न सिर्फ मर्केल को झटका लगेगा बल्कि भविष्य में अमेरिका के साथ सम्बन्धों में हमेशा के लिए खटास आ जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद जर्मनी ने 5 दिसंबर से एक बार फिर से नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन परियोजना शुरू करने का ऐलान किया है। वहीं अमेरिका भी दोबारा से प्रतिबंधों को लगाने की तैयारी शुरू कर चुका है।
जर्मनी के लिए बुरी खबर यह है कि डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन दोनों नॉर्ड स्ट्रीम 2 के खिलाफ प्रतिबंधों को मजबूत करने वाले कानून के लिए जोर दे रहे हैं। इस चुनाव में जीत हासिल करने वाले जो बाइडन भी नॉर्ड स्ट्रीम 2 के विरोध में ट्रम्प के साथ शामिल हो गए हैं। यानि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद भी जर्मनी को राहत नहीं मिलने वाली है।
बता दें कि Nord Stream Pipeline बाल्टिक सागर के माध्यम से रूस और जर्मनी के बीच लगभग 1,200 किलोमीटर की पाइपलाइन का निर्माण है। यह पहले से निर्मित नॉर्ड स्ट्रीम के साथ-साथ चलेगा और बाल्टिक सागर के माध्यम से आने वाले प्रति वर्ष गैस की मात्रा को दोगुना कर 110 बिलियन क्यूबिक मीटर तक कर देगा।
इससे रूस को यूरोपीय गैस बाजार तक सीधी पहुंच मिल जाएगी तथा जर्मनी को स्थायी गैस की आपूर्ति होने लगेगी।
इसका प्रस्तावित मार्ग तीन अन्य देशों फिनलैंड, स्वीडन और डेनमार्क के क्षेत्रीय जल और विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में प्रवेश करता है। राष्ट्रीय सरकारों और स्थानीय अधिकारियों को पाइपलाइन में निवेश और रोजगार से आर्थिक रूप से लाभ भी होगा।
परंतु यह परियोजना अमेरिका और जर्मनी के पूर्वी पड़ोसियों जैसे पोलैंड, चेक गणराज्य परेशान कर रहा है। इन देशों को यह संदेह है कि जर्मनी की गैस के लिए रूसी बाजार पर निर्भरता से वहाँ के बाजार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। यही नहीं ,अमेरिका को यह लगता है कि इस पाइपलाइन परियोजना से रूस को बाल्टिक सागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने और नौसैनिक जहाजों की गतिविधियों पर सैन्य जानकारी प्रसारित करने में सक्षम बनाएगी। इसके अलावा रूस यूरोप में रूस के गैस आने के बाद यूक्रेन का रणनीतिक महत्व भी कम हो जाएगा।
यानि देखा जाए तो क्रिमिया के लिए रूस पर प्रतिबंधों की मांग करने वाली मर्केल स्वयं रूस के साथ सम्बन्धों को बढ़ा रही हैं।
पिछले वर्ष दिसंबर 2019 में, रूसी खतरे को देखते हुए अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद नॉर्ड स्ट्रीम 2 के निर्माण को निलंबित कर दिया गया था। जिसके बाद स्विट्जरलैंड स्थित पाइप-बिछाने वाली कंपनी ऑलसीस को अपने काम को निलंबित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। अब फिर से इस पाइपलाइन पर काम शुरू होने जा रहा है, परंतु अमेरिकी कांग्रेस इस पाइपलाइन को रोकने के लिए एक और विधेयक पारित करने पर विचार कर रही है जिसमें परियोजना के लिए बीमा, तकनीकी प्रमाणन, या वेल्डिंग सेवाएं प्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति या इकाई को शामिल करने के प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाया जाएगा। प्रतिबंधों के अगले दौर का उद्देश्य उन कंपनियों को रोकना है जो अमेरिकी वित्तीय प्रणाली को नॉर्ड स्ट्रीम 2 के लिए बीमा लिखने से रोकती हैं। इससे प्राथमिक बीमाकर्ता ज्यूरिख बीमा समूह एजी को नुकसान होगा। ये प्रतिबंध कथित तौर पर एक रक्षा-खर्च विधेयक का एक हिस्सा होने जा रहे हैं, और इस वर्ष के अंत तक लागू होंगे।
अगर जर्मनी अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद इस पाइपलाइन पर रूस के साथ काम जारी रखता है और अमेरिका प्रतिबंध लगा देता है तो दोनों देशों के बीच चले आ रहे सहयोग के अंत की शुरुआत हो जाएगी। यह डोनाल्ड ट्रम्प का व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले आखिरी दांव होगा जिसकी कीमत पूरे जर्मनी को चुकनी पड़ेगी।