शिवसेना नेता संजय राउत आजकल जिस भी काम में हाथ डाल रहे हैं उन्हें और उनकी पार्टी को मात ही मिल रही है। ऐसे में अब पीएमसी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने संजय राउत की पत्नी को भी हाजिर होने का नोटिस जारी कर दिया है जिसके बाद संजय ऊल जलूल बातें करके पार्टी की छवि खराब कर रहे हैं।
ऐसे में शिवसेना संजय राउत को पार्टी से निकाल दे तो कोई बड़ी बात नहीं होगी, लेकिन शिवसेना का इस्तेमाल करते हुए सामना के जरिए राउत ने एनसीपी पर अपनी पकड़ काफी मजबूत कर ली है जो कि उनके भविष्य की राजनीति के लिए सकारात्मक है।
पीएमसी घोटाले पर राज्यसभा सांसद संजय राउत की पत्नी भी संदिग्ध हैं। ऐसे में उन्हें ED ने नोटिस भेजा है तो संजय राउत बीजेपी पर भड़क गए हैं। उनका कहना है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए ईडी महत्वपूर्ण नहीं है। अगर वे (बीजेपी) बच्चों, महिलाओं और परिवार को निशाना बनाते हैं, तो शिवसेना उन्हें उसी अंदाज में जवाब देगी।”
यही नहीं संजय राउत शिवसेना के मुखपत्र सामना में चीन के साथ रिश्तों और सेना को लेकर गलत बयानबाजी कर चुके हैं।
संजय राउत ने अपनी को ईडी का नोटिस आने पर चीन मुद्दा उठाते हुए बौखलाहट ज़ाहिर कर दी। वो उल जलूल बयानबाजी करने लगे जो कि विवादित हैं। उन्होंने सामना में लिखा, “हम चीनी सैनिकों को पीछे धकेलने में अक्षम रहे, लेकिन हमने चीनी निवेश को पीछे धकेल दिया। निवेश बंद करने के बजाए, हमें चीनी सैनिकों को लद्दाख से पीछे धकेलना चाहिए था।”
राउत उस राम मंदिर मुद्दे पर बीजेपी को घेर रहे हैं जो उनका कोर एजेंडा है। उन्होंने लिखा, “महामारी के चलते लोगों की जान चली गई, लेकिन संसद ने अपनी आत्मा गंवा दी। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी भावनाओं को नजरअंदाज कर रही है। इसके बजाए वो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण जैसे भावनात्मक मुद्दे उठा रही है।” राउत अपने इन बयानों से लगातार शिवसेना की छवि को धूमिल कर रहे हैं जिसके चलते शिवसेना के लिए स्थितियां मुश्किल होती जा रही हैं।
शिवसेना के लिए संजय राउत ऐसी स्थितियां पैदा कर रहे हैं जहां से उसकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। ऐसे में वो संजय राउत को पार्टी के बाहर का रास्ता भी दिखा सकती है। हालांकि ये काफी दूर की कौड़ी है लेकिन राउत ने अपना एक राजनीतिक करियर एनसीपी के साथ सेफ कर लिया है। इसलिए अब ऐसा लग रहा है कि वो शिवसेना में रहकर उल जलूल बयानबाजी से शिवसेना की बदनामी की कोई डील कर चुके हैं।
संजय राउत शिवसेना के मुखपत्र सामना का प्रयोग अपनी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की छवि चमकाने में कर रहें हैं। हाल ही में उन्होंने शरद पवार का इंटरव्यू लिया था। वहीं इसमें प्रकाशित होने वाले सभी लेखों में शरद पवार की तारीफों की पुल बांधे जाने के साथ ही उन्हें यूपीए अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की जाती है जो दिखाता है कि संजय राउत ने एनसीपी में अपनी राजनीतिक जमीन स्थापित कर ली है।
ऐसे में अगर शिवसेना उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाती है तो वो एनसीपी में जाकर पार्टी को कमजोर करेंगे, वरना पार्टी में रहते हुए तो उन्होंने पार्टी की छवि को बर्बाद करने का मोर्चा खोल ही रखा है।