बाइडन ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करते ही चीन के प्रति अमेरिका नीति में व्यापक बदलाव आया है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट या विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर Policy Issue की सूची से कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को हटा दिया गया है। इसमें चीन से सम्बंधित दो महत्वपूर्ण बिंदुओं को हटा दिया गया है। 5G security और The China Challenge ट्रम्प प्रशासन में विदेश नीति के दो महत्वपूर्ण विषय थे, जिन्हें तवज्जो देना बाइडन आवश्यक नहीं समझते।
ट्रम्प प्रशासन ने चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवावे और ZTE को अमेरिकी सुरक्षा के लिए खतरा माना था। इसके बाद ट्रम्प ने चीनी टेलीकॉम सेक्टर पर कार्रवाई शुरू की, जिसके बाद दोनों कंपनियां अमेरिका बाजार से बाहर हो गई थीं। लेकिन अब बाइडन द्वारा 5G Security को मुख्य विषय की सूची से हटाने के बाद चीनी टेक कंपनियों की वापसी तय है।
गौरतलब है कि चीन का टेक सेक्टर उसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। टेक सेक्टर इतना महत्वपूर्ण है कि अब चीन के कुल राष्ट्रीय उत्पादन में यह सेक्टर लगभग 33 प्रतिशत का योगदान देता है। हुआवे पर ट्रम्प की कार्रवाई के बाद उसे अमेरिका से प्रोसेसर चिप और सेमी-कंडक्टर की आपूर्ति बंद हो गई थी। यहाँ तक कि तब हुवावे ने आधिकारिक बयान जारी करके कहा था कि अमेरिका का कदम उसके लिए अस्तित्व का संकट पैदा कर देगा।
इसके अतिरिक्त ट्रम्प सरकार के दौरान एक नियम पारित कर यह सुनिश्चित किया गया था कि ऐसी कंपनियों को, जिनका मालिकाना हक चीनी सेना के पास है, अमेरिका से निवेश न हासिल हो सके। इसके बाद न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज से कई चीनी कंपनियों को डिलिस्ट किया गया। किंतु अब, जब बाइडन 46वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार सम्भाल चुके हैं तो डिलिस्ट हो चुकी चीनी कंपनियों ने पुनः NYSC में स्वयं को लिस्टेड करवाने के प्रयास शुरू किए हैं।
ट्रम्प सरकार ने एक महत्वपूर्ण बदलाव यह किया था कि उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को अपना निशाना बनाया था न कि चीन देश को। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी और चीन के दो पृथक अस्तित्व की बात की, यही कारण था कि पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री पॉम्पियो शी जिनपिंग को जनरल सेक्रेटरी कहते थे, राष्ट्रपति नहीं। यही अमेरिका की आधिकारिक नीति थी जो उनकी वेबसाइट पर भी दिखती थी। Policy Issue में The China Challenge पर एक क्लिक द्वारा “The Chinese Communist Party: Threatening Global Peace and Security” शीर्षक से अलग वृतांत था, जहाँ कम्युनिस्ट शासन द्वारा अपनाई जाने वाली डेब ट्रैप पॉलिसी, सैन्य आक्रामकता की नीति सभी की विस्तृत जानकारी उपलब्ध थी। किंतु बाइडन प्रशासन द्वारा इसे पहले दिन ही बन्द कर दिया गया है।
बाइडन द्वारा अपनाई गई नीतियां बताती हैं कि वे चीनी खतरे के प्रति कितने सतर्क हैं। विशेष रूप से साइबर सुरक्षा को लेकर उनका रवैये अमेरिकी हितों को दांव पर लगाने वाला है। ट्रम्प यह जानते थे कि साइबर वॉरफेयर चीन की सबसे बड़ी शक्ति है, इसलिए उन्होंने इस समस्या को इतना महत्व दिया, किंतु लगता है बाइडन के लिए यह मुद्दे गौण हैं। बाइडन का रवैया केवल अमेरिका ही नहीं उसके सहयोगियों के लिए भी परेशानी का सबब बन सकता है। बाइडन द्वारा 5G की सुरक्षा को नजरअंदाज करना, इंटेलिजेंस शेयरिंग जैसे महत्वपूर्ण विषयों को चीनी सर्विलांस में देने जैसा है।