सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का नोटिस आंशिक रूप से प्रभावी साबित हुआ, और एमेजॉन प्राइम पर प्रसारित हो रही विवादित वेब सीरीज तांडव से कुछ सीन हटाने का आधिकारिक तौर पर निर्णय लिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, “एमेजॉन प्राइम सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दिशानिर्देश के अनुसार दो विवादित सीन को अपने सीरीज तांडव से हटाएगी। एक सीन वो है जहां शिवा शेखर का किरदार निभा रहे मोहम्मद जीशान अयूब एक नाटक में शिवजी के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हैं, तो वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री देवकीनंदन का किरदार निभा रहे तिग्मांशु धूलिया एक सीन में जहां अनूप सोनी के किरदार को जातिसूचक शब्द सुना रहे हैं, उसे भी डिलीट करने का निर्णय किया गया है”
सीरीज के पीछे सोशल मीडिया पर इतना बवाल हुआ है, उसके बाद तो यह एक सही निर्णय है, नहीं? ऐसा बिल्कुल नहीं है, क्योंकि जिस सीरीज में इतना भड़काऊ कॉन्टेन्ट उपलब्ध है कि वो आराम से दंगे करवा दे, उस सीरीज से दो सीन डिलीट करना तो ऊंट के मुंह में जीरा समान हुआ।
वो कैसे? दरअसल इस सीरीज में हर एपिसोड में ऐसे सीन भरे हुए हैं, जिन्हे आम भाषा में भड़काऊ कॉन्टेन्ट कहा जाएगा। उदाहरण के लिए जब जीशान अयूब का किरदार विश्वविद्यालय में समर्थन जुटाने के लिए बाहर निकलता है, तो आज़ादी के नारे ऐसे लगाए जा रहे हैं, मानो यहीं से अगले शुद्ध देशभक्त निकलेंगे। इतना ही नहीं, इन नारों में कोई राम नाम से आजादी के नारे लगा रहा है, तो कोई ब्राह्मणवाद से आजादी के नारे लगा रहा है।
इसके अलावा एक सीन में अपने से कई उम्र छोटी एक स्टूडेंट से अफेयर के बारे में बातचीत करते हुए एक शिक्षक बताता है कि जब वह ऐसे काम करता है, तो वह वर्षों तक उच्च जाति द्वारा किये गए ‘शोषण’ का बदला ले रहा है। कमाल है, अगर यही बात एक ब्राह्मण शिक्षक ने सीरीज में कही होती, तो अब तक बवाल मच जाता, लेकिन जातिवाद के इस घिनौने प्रदर्शन पर मानो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के चरवाहों को सांप सूंघ गया है?
इतना ही नहीं, जब कथित किसान आंदोलन को दबाने के लिए सरकार कुछ ‘कड़े कदम’ उठाती है, तो स्पष्ट निर्देश दिए जाते हैं कि तीन मुसलमानों को एक झूठे एनकाउन्टर में मार गिराओ। इतना ही नहीं, उन्ही पुलिसवालों में से एक मुसलमान छात्र से जबरदस्ती वन्दे मातरम बुलवाने का प्रयास करता है, और नहीं कहने पर उसके लिए अभद्र भाषा का प्रयोग भी करता है।
इस वेब सीरीज में लगभग हर दृश्य में दक्षिणपंथ को एकदम नकारात्मक तरह से दिखाया गया है, और अप्रत्यक्ष तौर से आतंक के विरुद्ध लागू किये गए UAPA अधिनियम को Rowlatt Act जैसा तानाशाही दिखाने का प्रयास किया गया है। ऐसे में तांडव से एक दो सीन हटाने का कोई औचित्य नहीं दिखता, विशेषकर जब वह सीरीज ही हिन्दू विरोध और भारत विरोध से भरा हुआ हो।