पिछले 2 महीनों से 40 किसान संगठनों के बैनर तले केंद्रीय कृषि कानूनों का विऱोध कर रहे तथाकथित किसानों ने 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में जो हिंसा का तांडव किया है, उससे वैश्विक स्तर पर देश की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ऐसे में गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाइ करना शुरू कर दिया है जिसके चलते आरोपी किसान नेताओं ने 1 फ़रवरी को अपने ही प्रस्तावित संसद मार्च के कार्यक्रम को टालने की बात कही है जो इनके डर को प्रदर्शित करता है।
26 जनवरी को राजधानी दिल्ली की सभी सीमाओं से लेकर लाल किले तक के क्षेत्र में किसानों ने तांडव मचा रखा था। ऐसे में दिल्ली पुलिस ने अब सीधे उन्हें निशाने पर लिया है जो कि इस पूरे मामले में बातचीत का ढोंग करते रहे, यानी संयुक्त किसान मोर्चे के सभी 40 किसान नेताओं की गिरफ्तारी हुई है। इन सभी पर बेहद संगीन धाराओं में दिल्ली के अलग-अलग इलाकों के थानों में 22 एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव के नाम प्रमुख माने जा रहे हैं जिन्होंने इस पूरे आंदोलन में किसानों को सबसे ज्यादा भड़काया है।
दिल्ली पुलिस का ये एक्शन गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई आपात बैठक के बाद ही शुरू हो गया था, लेकिन दिन बदलते ही दिल्ली पुलिस अपने असली रंग में आ गई।
दरअसल, गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस सहित सभी पड़ोसी राज्यों की पुलिस को उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं। यही नहीं दिल्ली में 26 जनवरी को हुई हिंसा की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच करेगी जिसके लिए आज शाम तक एक एसआईटी (SIT) का गठन किया जायेगा, जो पूरे घटनाक्रम की जांच करेगी। इसके अलावा आज शाम तक किसान संगठनोंको दिल्ली-एनसीआर के सभी धरनास्थलों को खाली कराने के भी निर्देश जारी किए जाएंगे और जो इसे नहीं मानेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। यही नहीं दिल्ली के कई इलाकों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती आज शाम तक बढ़ा दी जाएगी।
बता दें कि दिल्ली पुलिस इन किसान संगठनों के नेताओं को दिल्ली की घटना का पूर्ण जिम्मेदार मान रही है। वहीं, पुलिस की कार्रवाई का डर अब किसान नेताओं के कारनामों से भी सामने आ रहा है क्योंकि इनकी आक्रमकता भरी भाषा एक ही दिन में बदल गई है।
कल तक जो किसान नेता ये ऐलान कर रहे थे कि वो 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के बाद बजट सत्र के दौरान संसद तक मार्च करेंगे, उन्हीं किसानों ने अब अपने कार्यक्रम को टालने की बात कही है। इसके पीछे ये लोग बहाना तो दिल्ली में खुद के द्वारा हुई हिंसक गतिविधियों को बता रहे हैं, जबकि इस पूरे खेल की असल वजह उन्हें सता रहा कार्रवाइयों का डर है। इस मसले पर भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर एस राजेवाल ने कहा, “पहली फरवरी को संसद में हमारा मार्च इसी दिल्ली की हिंसा के कारण स्थगित हो गया है। हम शहीद दिवस पर किसानों के आंदोलन की ओर से पूरे भारत में पब्लिक रैली करेंगे।”
ये सभी वही किसान नेता हैं जो किसानों की तथाकथित मांगों को लेकर बातचीत के लिए केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ बैठक करते थे। इन्हीं ने ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा बनाए गए नियमों पर अपनी सहमति दी थी, लेकिन नियमों के अनुपालन के दिन इनके अंतर्गत आंदोलन करने वाले किसान ही इतने ज्यादा उग्र हो गए, कि लाल किले पर जबरन सारी मर्यादाएं तोड़ते हुए धार्मिक झंडा फहराने पर उतारू हो गए।
तथाकथित किसानों के इन संगठनों ने प्रत्येक मुद्दे पर पिछले दो महीनों से आक्रमकता ही दिखाई है, लेकिन आंदोलनकारियों की हिंसात्मक घटनाओं के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस द्वारा इन किसान नेताओं पर हो रही कार्रवाइयों से इनके हाथ-पांव फूल गए हैं और इसीलिए अब ये लोग अपने ही आक्रमक बयानों से पलट रहे हैं।