वैश्विक समीकरण चाहे जैसे हो, परंतु ऑस्ट्रेलिया के लिए एक चीज़ यथावत है – भारत के लिए उसका समर्थन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की बदली चीनी नीतियों के बावजूद ऑस्ट्रेलिया भारत को अपनी नीतियों में प्राथमिकता देने से एक कदम भी पीछे नहीं हटा है, चाहे कुछ भी हो जाए।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि चीन ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध वुहान वायरस पर जवाबदेही मांगने के कारण कई तरह की पाबंदियां लगा चुका है। इसमें जो बाइडन की चीन को लेकर नीतियां मानो कोढ़ में खाज का काम कर रही है। लेकिन इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया ने स्पष्ट किया कि वह ने सिर्फ भारत के साथ अपने व्यापार संबंध पहले जैसे मजबूत रखेगा, बल्कि अपने सप्लाई चेन में उसे अधिक प्राथमिकता भी देगा।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “ऑस्ट्रेलियाई व्यापार मंत्री Dan Tehan भारत के साथ नए व्यापारिक संबंध स्थापित करने की दिशा में काफी उत्सुक है। उनके अनुसार पिछले तीन वर्षों से चीन के साथ एक आधिकारिक व्यापार बैठक भी नहीं हुई है, चाहे चीन की ओर से कितने ही प्रयास क्यों ना किए गए हो। ऐसे में Dan Tehan का मानना है कि चीन की कमी भारत पूरी कर सकता है, क्योंकि वहां पर असीमित संभावनाएं है।”
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया द्वारा वुहान वायरस के पीछे एक अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग को लेकर चीन ने कई ऑस्ट्रेलियाई इंपोर्टर्स पर टैरिफ ड्य़ूटी बढ़ा दी। इनमें कोयला, टिंबर, रूई, वाइन इत्यादि शामिल था। इसके अलावा जिस प्रकार से अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में अमेरिका चीन खुशामद करने में लगा हुआ है, उससे ऑस्ट्रेलिया को किसी भी प्रकार की ठोस सहायता अमेरिका से तो शायद है मिले।
ऐसे में उसके पास एक ही स्त्रोत बचता है, और वह है भारत। दोनों देश एक दूसरे का कूटनीतिक रूप से कई मोर्चों पर समर्थन करते आए हैं, और व्यापार के दृष्टिकोण से भारत ऑस्ट्रेलिया के लिए किसी हीरे के खदान से कम मूल्यवान नहीं है। इसीलिए Dan Tehan ने बातों बातों में ऑस्ट्रेलिया द्वारा भारत को अपनी सप्लाई चेन में प्राथमिकता देने की बात की है, जो ना सिर्फ चीन के लिए आगे चलकर बहुत हानिकारक सिद्ध होगा, बल्कि अमेरिका को भी एक सख्त संदेश देगा।