आप चाहे कोई भी हो किसान हो, अन्नदाता हो दंगाई हो या किसी पार्टी के नेता हो, अगर आपने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की तो आपको बख्शा नहीं जायेगा। यही अपने आप को किसान कहने वालों के साथ हो रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद इनके धरने को समाप्त करने की कर्रवाई शुरू हो चुकी है। हालांकि, ध्यान देने वाली बात है कि ये तथा कथित किसानों की सच्चाई योगी सरकार शुरू से ही जानती थी। यही कारण है कि दो महीने से अधिक होने के बावजूद उत्तर प्रदेश से किसी भी तरह के उत्पाती प्रदर्शनकारी बड़ा आन्दोलन खड़ा करने में असफल रहे। यही नहीं योगी सरकार वास्तविक किसानों के साथ लगातार बातचीत कर रही थी और उनके लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे थे।
कानून व्यवस्था के मामले में शुरू से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन मोड में रहते हैं। अब मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को उन्होंने उत्तर प्रदेश में जगह-जगह चल रहे किसानों के धरने को खत्म कराने का आदेश दिया है। योगी सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस-प्रशासन को धरना खत्म कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं, सीएम के आदेश के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने अपने तंबू उखाड़ने शुरू कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश से पहले ही बागपत जिले में धरना दे रहे किसानों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। बागपत के बड़ौत में पिछले 40 दिन से प्रदर्शन कर रहे किसानों को पुलिस ने बुधवार रात जबरन हटाकर घर भेज दिया। ये किसान केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-सहारनपुर हाइवे पर धरना दे रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों पर लाठीचार्ज कर उन्हें खदेड़ा और उनके टेंट भी उखाड़ दिए। वहीँ मथुरा में डीएम और एसएसपी की किसानों से वार्ता के बाद मोरकी मैदान में चल रहा धरना समाप्त हो गया है। उन्होंने किसानों की समस्या का हल कराने का आश्वासन दिया है। किसान अध्यादेश पर किसानों ने भी ज्ञापन सौंपा है। 20 जनवरी से यहां किसानों का धरना चल रहा था। इसके अलवा गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन पर बैठे इन तथाकथित किसानों को रात भर का अल्टीमेटम दिया गया था।
किसानों की सबसे ज्यादा नाराजगी भले ही हरियाणा और पंजाब में देखने को मिल रही है, लेकिन यूपी के किसानों में भी गुस्सा कम नहीं था। परन्तु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के त्वरित कार्रवाई और दूरदर्शी निर्णयों का ही परिणाम है कि UP के अन्दर प्रदर्शनकारियों का उत्पात नहीं देखने को मिला। किसान आंदोलन के बीच यूपी की योगी सरकार किसानों को साधने के लिए एक के बाद एक कई कदम उठा चुकी है। किसान सम्मेलनों के जरिए कृषि कानून पर फैले भ्रम को दूर करने के साथ-साथ चौपाल लगाकर किसानों को कृषि कानूनों के फायदे गिनाने के बाद योगी सरकार किसान कल्याण मिशन का आगाज भी कर चुकी है। यही नहीं अगले तीन सप्ताह तक हर बुधवार को विकासखंडों में कार्यक्रम कर किसानों को योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही पात्रों को लाभान्वित भी कराने के निर्देश दिए गए हैं।
अगर योगी सरकार ने ये कदम नहीं उठाये होते तो आज UP में किसानों की संख्या देखते हुए दिल्ली यूपी बॉर्डर पर कई गुना बड़ा प्रदर्शन देखने को मिलता। आन्दोलन करने के लिए बॉर्डर पर किसान के भेष में आये नेता और बाहुबली अधिकतर पंजाब और हरियाणा के रास्ते से आये हैं। यानि देखा जाये तो यूपी सरकार पहले से ही किसान के भेष में प्रदर्शन के लिए आये दंगाइयों को पहचानती थी और अब उनका असली स्वरुप सामने आने के दो दिन के अन्दर ही यूपी से प्रदर्शन तो समाप्त किया ही साथ ही यूपी बॉर्डर को भी प्रदर्शन मुक्त कर दिया है।