पिछले 5 वर्षों में भारत ने ये सिद्ध कर दिया है कि वह किसी भी मोर्चे पर किसी भी शत्रु से निपटने को तैयार है। चाहे पाकिस्तानियों द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सेना द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक अथवा वायुसेना के एयर स्ट्राइक हों, या फिर डोकलाम, गलवान घाटी और पैनगोंग त्सो के दक्षिणी छोर पर चीन के हमलों को ध्वस्त ही क्यों न करना हो, भारत हर मोर्चे पर मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार है। लेकिन भारत ने हाल ही में कुछ ऐसा भी किया है जिससे सिद्ध होता है कि क्यों वह चीन से कहीं गुना बेहतर है।
गलवान घाटी के हमले को जहां चीन एक हमला मानना तो दूर, अपने हताहत सैनिकों की वास्तविक संख्या बताने से आज तक इनकार करता आया है, तो वहीं भारत ने एक अहम निर्णय में गलवान घाटी में हुतात्मा हुए सभी 20 सैनिकों को युद्धकालीन पुरस्कार देने का निर्णय किया है, और उनके नाम राष्ट्रीय समर स्मारक [National War Memorial] में अंकित भी करवाए हैं
Colonel Santosh Babu, the Commanding Officer of 16 Bihar who was killed in action along with 19 others in the Galwan clash last year, to be decorated with a posthumous Maha Vir Chakra on #RepublicDay. (That's a war-time decoration). pic.twitter.com/dd8rxsJAyl
— Shiv Aroor (@ShivAroor) January 25, 2021
सरकार के निर्णय के अनुसार गलवान घाटी में मारे गए वीर योद्धाओं को शांतिकाल के बजाए युद्धकाल के पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा, ठीक जैसे एयर स्ट्राइक्स के पश्चात पाकिस्तान के हवाई हमलों को ध्वस्त करने के लिए भारतीय वायुसैनिकों को युद्धकाल पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। इसमें बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग अफसर, कर्नल बी संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया जाएगा, जो देश का दूसरा सर्वोच्च युद्धकाल पुरस्कार है।
इसके अलावा इन सभी वीरों के नाम राष्ट्रीय समर स्मारक में अंकित भी किये गए हैं। बता दें कि 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीन ने घुसपैठ करने का प्रयास किया। विरोध करने गए बिहार रेजीमेंट के जवानों पर चीनी PLA के सैनिकों ने घातक हमला किया, जिसमें कर्नल संतोष बाबू सहित 3 सैनिक वीरगति को प्राप्त किये गए। इस घटना से अत्यंत क्रोधित भारतीय सैनिक और PLA सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसके कारण चीनियों द्वारा तैयार एक कृत्रिम खाई ढह गई, और 17 भारतीय सैनिक अकारण ही वीरगति को प्राप्त हुए।
लेकिन भारतीय सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया, और देर रात तक चली कार्रवाई में चीनी PLA को जमकर नुकसान पहुंचा। हालांकि आधिकारिक आँकड़े सामने नहीं आए, पर भारतीय सेना के अनुसार 45 से अधिक चीनी सैनिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, और कुछ महीनों के बाद जब LAC के पार से चीनी सैनिकों की कब्र की तस्वीरें लीक हुई, तो इतना तो स्पष्ट हो गया कि 45 से अधिक सैनिक मारे गए हैं।
अब इस निर्णय से भारत ने एक तीर से दो शिकार किये हैं। एक तो उन्होंने सिद्ध किया कि चीन ने जबरदस्ती उनपर गलवान घाटी में हमला कर युद्ध थोपने का प्रयास किया, तो वहीं दूसरी ओर भारतीयों ने ये सिद्ध किया कि इस युद्ध में वास्तव में किसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। एक तरफ भारतीयों ने अपने वीर सैनिकों के लिए स्मारक तैयार किया, उनके नाम राष्ट्रीय समर स्मारक पे अंकित करवाया, और केंद्र सरकार ने उन्हे मरणोपरांत युद्धकाल पुरस्कारों से सम्मानित भी किया।
वहीं दूसरी ओर चीन ने अपने मृत सैनिकों को सम्मान देना तो छोड़िए, उनके अंतिम संस्कार में परिजनों को मातम न मनाने के निर्देश दिए। लेकिन जिस चीन ने आज तक 1967 के भारत चीन युद्ध में मारे गये अपने सैनिकों की वास्तविक संख्या नहीं बताई, तो उनसे यहाँ अपना पक्ष ईमानदारी से रखने की उम्मीद करना ही बेकार है।