गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर हुए उपद्रव पर पर्दा डालने और गुंडों के रूप में आये तथाकथित किसानों को बचाने का कार्यक्रम शुरू हो चुका है। कुछ NGO अब विक्टिम कार्ड खेलते हुए दावे कर रहे हैं कि 100 से अधिक किसान गायब हैं। परन्तु अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय कहीं अधिक चौकन्ना है और दिल्ली पुलिस दिल्ली से लेकर पंजाब के जालंधर तक छापे मार रही है। इतना ही नहीं अब तो गृह मंत्रालय ने NGO पर भी कार्रवाई करते हुए उन्हें घेरे में लेना शुरू कर दिया है।
दरअसल, दिल्ली पुलिस ने शनिवार को गणतंत्र दिवस पर नए कृषि कानूनों के विरोध में आयोजित किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किले पर राष्ट्रीय झंडे के अपमान और उपद्रव के मामले में जालंधर के विभिन्न स्थानों पर छापे मारे।
कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने तरनतारन (Tarn Taran) के जुगराज सिंह और नवप्रीत सिंह के रूप में पहचाने गए दो लोग के लिए जालंधर के बस्ती बावा भेल इलाके में छापा मारा था, जिसने 26 जनवरी को लाल किले की प्राचीर से निशान साहिब को फहराया था।
इसी बीच अपने आप को दिल्ली पुलिस के चंगुल में फंसते देख ये भारत विरोधी तत्व अब NGO के सहारे से अपने आप को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। एक एनजीओ ने दावा किया है कि गणतंत्र दिवस पर ‘किसान गणतंत्र परेड’ में भाग लेने के दौरान सैकड़ों प्रदर्शनकारी किसानों ने नई दिल्ली में मार्च किया, 100 से अधिक प्रदर्शनकारी किसान पंजाब के विभिन्न हिस्सों से लापता हो गए हैं।
पंजाब मानवाधिकार संगठन ने हाल ही में कहा था कि गणतंत्र दिवस के ट्रैक्टर परेड में भाग लेने वाले 100 से अधिक प्रदर्शनकारी लापता हो गए हैं। इसमें कहा गया कि मोगा के तातारूवाला गांव के 12 किसानों के 26 जनवरी को लापता होने की सूचना दी गई थी।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह दावे दिल्ली पुलिस का ध्यान भटकाने और इन नकली किसानों को बचाने के लिए किये जा रहे हैं। पहले से ही कई खालिस्तानी NGO के सहारे किसान प्रदर्शन को भड़काने में लगे थे जिससे उनके एजेंडे को स्थान मिले, अब वे ही भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि उनके कार्यकर्ता दिल्ली पुलिस के हत्थे न चढ़ जाये। इसलिए वे किसानों के गायब होने की खबर फैला रहे हैं।
बता दें कि दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस अब तक 38 एफआइआर दर्ज कर चुकी है। 84 लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। इनसे दिल्ली पुलिस पूछताछ कर रही है। कई NGO इन गिरफ्तार हुए नकली किसानों को बचाने के लिए सामने आये हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, खालसा मिशन, पंथी तालमेल संगठन और पंजाब मानवाधिकार संगठन के अलावा विभिन्न संगठनों ने हिंसा के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता देने की घोषणा की है।
हालांकि गृह मंत्रालय ने समय को भांपते हुए अब इन NGOs को ही घेरना शुरू कर दिया है जिन्हें विदेशों से फंडिंग आ रही है और वे इस किसान आन्दोलन ने नाम पर लाल किले जैसी घटनाओं को अंजाम देने के मंसूबों को बढ़ावा देते हैं। गृह मंत्रालय ने बैंकों के लिए एक चार्टर तैयार किया है जो यह कहता है कि गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और संगठनों द्वारा “भारतीय रुपये में प्राप्त फंड” जो कि किसी भी विदेशी स्रोत से प्राप्त हुआ है, उस फंडिंग को “विदेशी योगदान” के रूप में माना जाना चाहिए, भले ही वह स्रोत फंडिंग के समय भारत में स्थित हो। पहले से ही सरकार FCRA कानून को मजबूत कर इनके पर क़तर चुकी है।
ध्यान देने वाली बात है कि हाल ही में NIA ने Sikhs for Justice (SFJ) के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है, जो एक विदेशी समूह है और भारत में अलगाववादी और खालिस्तानी गतिविधियों की वकालत करता है। NIA ने सभी 40 लोगों को समन भी जारी किया है, जो चल रहे आंदोलन से जुड़े हैं। इस मामले की जांच में यह आरोप लगाया गया कि खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों द्वारा बड़ी मात्रा में धनराशि भारत में स्थित खालिस्तानी तत्वों को गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से भेजी जा रही है।
यानि ये नकली किसान अपने आप को बचाने के लिए जिन NGO के पास जा रहे थे अब गृह मंत्रालय ने उन्हीं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।