राजधानी दिल्ली की लगभग सभी सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में अराजकताओं ने वो सारी मुश्किलें फिर पैदा कर दीं हैं जो कि कोरोनावायरस की शुरुआत के दौरान मार्च और अप्रैल में तब्लीगी जमात के लोगों ने की थीं। ये बात किसी और ने नहीं बल्कि देश की सर्वोच्च अदालत ने कही है। साथ ही केन्द्र सरकार से ये भी जानकारी मांगी गई है कि कोरोनावायरस की स्थिति इन किसानों के बीच कैसी है? कुछ राजनीतिक पार्टियों की महत्वाकांक्षाओं के चलते भ्रमित किए गए किसानों द्वारा हो रहे आंदोलन को तब्लीगी जमात से जोड़ा जा रहा जो कि उन सभी किसान नेताओं और तथाकथित किसान हितों की बात करने वालों के मुंह पर तमाचा है।
किसानों के आंदोलन की अस्त-व्यस्त स्थिति के चलते अब उनके जरिए कोरोनावायरस का डर बढ़ने लगा है, और ये बात अब देश का सुप्रीम कोर्ट भी बहुत अच्छे से समझ रहा है इसीलिए उसने चिंता व्यक्त की है। देश की सर्वोच्च अदालत के चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस ए.एस, बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान केन्द्र से कहा, “आपको हमें बताना चाहिए कि क्या हो रहा है। किसानों के आंदोलन से भी वैसी ही समस्या पैदा होने जा रही है जैसी तब्लीगी जमात के कारण हुई थीं।”
केंद्र सरकार के पक्ष को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, “हमें नही मालूम कि क्या किसान कोविड से सुरक्षित हैं? क्या फिर वही समस्या फिर पैदा होने जा रही है? ऐसा नहीं है कि सब कुछ बीत गया है।” कोर्ट के जजों ने ये सारा मुद्दा तब उठाया है जब वो कोरोनावायरस की महामारी के दौरान तब्लीगी जमात के मरकज में एक साथ बड़ी संख्या में लोगों के जमा होने की वजहों के लिए सीबीआई जांच की याचिका की सुनवाई हो रही थी। उन्होंने किसान आंदोलन की तुलना तब्लीगियों से कर दी है।
भारत में कोरोनावायरस के मामलों को आसानी से मात दी जा सकती थी, लेकिन जिस तरह से तब्लीगी जमात के कारण भारत में कोरोनावायरस का फैलाव हुआ वो खौफनाक था। एक मरकज के लोग कैसे कोरोनावायरस के कैरियर बन गए वो सुप्रीम कोर्ट को भी याद है। ऐसे में जब दुनिया में कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन आ गया हो तो स्थितियां और बिगड़ सकती हैं। भारत में भी इस नए स्ट्रेन के 60 से ज्यादा केस हो चुके हैं, इसके चलते किसानों के आंदोलन में कोरोनावायरस से जुड़े गंभीर सवाल पैदा होना लाजमी है।
किसान के आंदोलन को हाइजैक कर रखा गया है। यहां किसी भी कोरोना के नियम का पालन नहीं हो रहा है। वो लोग कोरोनावायरस की टेस्टिंग का विरोध करने से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ये लोग आपस में गले मिल रहे हैं, और भीड़ में किस तरह से लंगर चल रहा है वो छिपाने की बात नहीं है। ऐसे में ये एक ऐसी स्थिति बन सकती है जो देश में कोरोनावायरस को पुनः प्रसारित कर सकती है और ये तब्लीगी जमात का नया रूप होगा जो देश को एक बड़ी मुसीबत में डाल चुका है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट का इस मुद्दे पर डर लाज़मी है।