असम के कथित ‘ग्रामीण नेता’ अखिल गोगोई को अभी हाल ही में गुवाहाटी हाई कोर्ट से करार झटका लगा है। अपने भड़काऊ भाषणों और अलगाववादी कृत्यों के लिए सजा काट रहे अखिल गोगोई पर NIA ने असम के मूलनिवासियों और बंगाली प्रवासियों के बीच हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है, जिसके पीछे गुवाहाटी हाई कोर्ट ने अखिल की जमानत याचिका रद्द कर दी है।
NIA द्वारा दायर किये गए 1200 पृष्ठ वाले चार्जशीट के आधार पर हाई कोर्ट ने ये निर्णय दिया है। निर्णय देने वाली पीठ के अनुसार, “हिंसा का उपयोग करके अभियुक्त के नेतृत्व वाली भीड़ ने सत्याग्रह जैसे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की धज्जियां उड़ाते हुए आर्थिक नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया, और साथ ही साथ शांति भंग की, लोगों में विद्वेष फैलाने का प्रयास किया और साथ ही साथ और अराजकता फैलाने का प्रयास किया, जो UAPA के धारा 15 के अंतर्गत ‘आतंकी’ गतिविधियों के अंतर्गत आता है”।
दरअसल, CAA के विरोध के नाम पर अखिल गोगोई जैसे वामपंथी नेताओं ने जनता को भड़काने का काम किया। पूरे उत्तर पूर्वी भारत में यह अफवाहें फैलाई गई कि नए CAA के अंतर्गत बंगाली प्रवासी असम समेत कई राज्यों पर कब्जा जमा लेंगे, और अखिल गोगोई के नेतृत्व में कई भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने का प्रयास किया गया।
अखिल गोगोई की गतिविधियों के कारण ही जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे का प्रतिष्ठित जापानी दौरा भी स्थगित करना पड़ा था, लेकिन अखिल की गतिविधियां यहीं तक सीमित नहीं थी। उन्होंने ऐसा जाल बिछाया था, जिसके अंतर्गत विरोध के नाम पर बंगाली प्रवासियों के घरों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की अराजकतावादियों ने पूरी पूरी तैयारी कर ली, और यदि असम प्रशासन ने ताबड़तोड़ कार्रवाई नहीं की होती, तो असम में न जाने कितना खून खराबा हुआ होता। इसीलिए अखिल पर UAPA के अंतर्गत कार्रवाई हुई और गुवाहाटी हाई कोर्ट ने भी जमानत देने से मना कर दिया, क्योंकि अखिल कोई देशभक्त नहीं है जिसने सत्याग्रह किया हो, बल्कि अपने गतिविधियों से वह पूरे असम को हिंसा की आग में झोंकना चाहता था।