चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने बड़े जोर शोर से ‘मेड इन चाइना 2025’ की तैयारी की थी, जिसके अंतर्गत चीन पूरी तरह हर वस्तु के लिए आत्मनिर्भर बन जाए, और कहीं भी उसे विदेशी तकनीक का उपयोग न करना पड़े। ऐसे में चीन बोइंग की तर्ज पर एयरलाइन निर्माण के क्षेत्र में वर्चस्व जमाना चाहता था, परंतु डोनाल्ड ट्रम्प ने जाते जाते जिनपिंग के इस सपने पर भी पानी फेर दिया।
हाल ही में चीन के कमर्शियल एयरलाइंस सेक्टर को जबरदस्त झटका देते हुए ट्रम्प प्रशासन ने Commercial Aircraft Corporation of China यानि COMAC को अपने ब्लैकलिस्ट में शामिल किया है, क्योंकि इसके संबंध चीनी सेना यानि PLA से भी पाए गए हैं।
COMAC एक चीनी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एयरलाइन कंपनी, जो कमर्शियल एयरलाइंस के उत्पादन में सक्रिय है। शी जिनपिंग का सपना था कि COMAC बोईंग को पछाड़ते हुए एयरलाइंस के उत्पादन में वर्चस्व जमाए, जिसके लिए वह अमेरिका की तकनीक को ही अपनी सीधी बना रहा था। ब्लूमबर्ग के अनुसार, COMAC के साथ इसका असर Aviation Industry Corp of China पर भी पड़ेगा, क्योंकि ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का असर ऐसा होगा कि उक्त कंपनी को अमेरिकी तकनीक का जरा भी इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इस निर्णय का सबसे ज्यादा असर चीनी प्रशासन पर ही पड़ेगा, जो मेड इन चाइना 2025 की नीति को हर हालत में सफल बनाने के लिए प्रयासरत थी। Endau Analytics के संस्थापक एवं उड्डयन एनालिस्ट स्कोर युसुफ़ के अनुसार चीन के पास अमेरिका जैसी कंपोनेन्ट के निर्माण और उत्पादन की क्षमता ही नहीं है, जिसके लिए उन्हें काफी हद तक अमेरिकी तकनीक पर निर्भर रहना पड़ता है।
ऐसे में अमेरिकी तकनीक से चीन को वंचित करने का अर्थ है कि चीन के हाथ से अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने का एक और तरीका फिसल जाएगा। यदि कमर्शियल एयरलाइंस के उत्पादन के लिए चीन के पास उचित संसाधन ही न नहीं है, तो आखिर अमेरिकी प्रतिबंध के बाद वे कब तक अपने दोयम दर्जे के तकनीक के सहारे दुनिया को उत्पाद बेचते रहेंगे?