बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का आखिरी टेस्ट मैच आखिरी दिन आखिरी सत्र और आखिरी दस ओवर तक सांसों को थाम देने वाले रोमांच ने किसी भी भारतीय Cricket प्रेमी की पलकें नहीं झपकने दी । हैरानी की बात यह थी कि यह एक टेस्ट मैच था जिसे अब एक मरा हुआ फॉर्मेट माना जाता है। जिस उत्सुकता से इस मैच या यूं कहे इस सीरीज को देखा गया, तथा इसके लिए रिएक्शन देखा गया उससे एक बात स्पष्ट तौर पर कही जा है कि टेस्ट Cricket की लोकप्रियता एक बार फिर से उत्थान पर है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ यह बॉर्डर गावस्कर सीरीज टेस्ट Cricket को एक बार फिर से अपनी लोकप्रियता हासिल करने में एक निर्णायक भूमिका निभाने जा रहा है।
दरअसल, कल ऑस्ट्रेलिया के ऊपर मिली भारत को जीत सिर्फ एक Cricket जीत नहीं थी बल्कि यह ऐसे युद्ध में जीत थी जहां आपके सैनिकों में अनुभव की कमी थी लेकिन दृढ़ निश्चय या धैर्य में नहीं, वे घायल हो चुके थे लेकिन उनका साहस कमजोर नहीं पड़ा था।
यह एक ऐसी जीत है जिसकी गाथा को वर्षों तक लिखा जाता रहेगा तथा जिसकी कहानी Cricket प्रेमियों के बीच बार-बार सुनी सुनाई जाएगी। ऑस्ट्रेलिया की टीम अपने शीर्ष खिलाड़ियों जैसे स्मिथ, वार्नर और लबुसेन तथा मौजूदा विश्व के सबसे ख़तरनाक गेंदबाजों जैसे पैट कमिंस, हेजलवुड तथा स्टार्क के साथ थी। वहीं भारतीय टीम सीरीज के पहले मैच में ही 36 रन पर ऑल आउट होने के बाद अपने शीर्ष खिलाड़ियों जैसे विराट कोहली, शिखर धवन, इशांत शर्मा, और बुमराह के चोटिल होने से ना सिर्फ गिरे हुए मनोबल के साथ थी बल्कि 11 फिट खिलाड़ियों को खिलाने में जूझ रही थी। आखिरी मैच शुरू होने से पहले ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों की कुल विकेट संख्या 1046 थी तो वहीं भारतीय गेंदबाजों ने अपने टेस्ट करियर मे कुछ मिला कर 13 विकेट ही लिए थे। बावजूद इसके ऑस्ट्रेलिया को ना सिर्फ मैच में चुनौती देना बल्कि उसके गाबा जैसे किले में घुसकर हराना किसी युद्ध में जीत से कम नहीं है। भारतीय टीम जिस वीरता के साथ खेली उससे ना सिर्फ भारत का बल्कि टेस्ट क्रिकेट का रोमांच एक बार फिर से विश्व में बढ़ने लगा है।
आज फास्ट Cricket को पसंद किया जाता है जो 10 ओवर या 20 ओवर में समाप्त हो जाता है। आज से 5 वर्ष पूर्व ही टेस्ट Cricket को एक dead format मान लिया गया था। अब लोग मैच के परिणाम देखने के लिए 5 दिनों तक इंतजार नहीं करना चाहते है। परंतु भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई यह सीरीज अपने हर मैच के हर सत्र के रोमांच के लिए जानी जाएगी। दोनो टीमों को देखा जाए तो हर सत्र में एक नया हीरो सामने आया, चाहे वो स्मिथ का शतक हो या लबूसेन की पारी, वहीं भारत की बात की जाए तो वह पुजारा और पंत की साझेदारी हो या फिर अश्विन और हनुमा बिहारी की मैच बचाने वाली साझेदारी या फिर सिराज की बॉलिंग तथा आखिरी मैच में पंत की मैच जिताऊ पारी। इससे ना सिर्फ टेस्ट मैच का रोमांच बना रहा, बल्कि दर्शकों की उत्सुकता भी अपने उफान पर थी।
इस सीरीज को टेस्ट मैचों और उसके मानदंडों के बिल्कुल अनुरूप खेला गया हैं। पुजारा ने हवा में लहराती लाल गेंद को छोड़ देने का धैर्य दिखाया तो रहाणे ने अपनी मास्टर क्लास दिखाई, वहीं पंत और गिल जैसे बल्लेबाजों ने दिखाया कि युवाओं का रहना मैच जीतने के लिए कितना महत्पूर्ण होता है। एक Cricket मैच के लोकप्रिय होने में अंतिम रन तक रोमांच और उत्सुकता सबसे महत्पूर्ण निर्णायक होते हैं और यह इस सीरीज के सभी मैचों में देखा गया। इससे यह कहना ग़लत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में जब भी विदेशी धरती पर टेस्ट सीरीज में जीत की बात होगी तो भारत की इस जीत को सबसे ऊपर स्थान मिलेगा। भारत की इस जीत के बाद अब एक बार फिर से Cricket प्रेमी टेस्ट Cricket के महत्व को समझने लगे हैं और यह इस फॉर्मेट के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस सीरीज ने टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता को एक बार फिर से हासिल करने में मदद की है ।