The Economist की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते दस सालों में जापान में तेजी से मुस्लिमों की आबादी बढ़ी है। वर्ष 2010 तक जापान में करीब 1 लाख 10 हज़ार मुस्लिम रहते थे, अब यह संख्या 2 लाख 30 हज़ार को पार कर चुकी है। जापान में पिछले कुछ समय से मुस्लिम बहुल देशों से आने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ी है। सीरिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों से आए लोग अब जापान में ही बस रहे हैं। इसके अलावा जापान में 50 हज़ार ऐसे मुस्लिम भी हैं जिन्होंने पिछले एक दशक के दौरान ही इस्लाम को अपनाया है। हालांकि, मुस्लिमों की बढ़ती आबादी को लेकर जापान के लोग अभी से चिंता जताना शुरू कर चुके हैं।
जापान में इस्लाम के बढ़ते वर्चस्व के साथ ही जापान में मस्जिदों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2001 में पाकिस्तान से आकर जापान में बसे मुहम्मद ताहिर अब्बास खान “जब मैं इस देश में आया था तो यहां सिर्फ 24 मस्जिदें थीं, आज इनकी संख्या 110 हो चुकी है।” ताहिर बेशक इन आंकड़ों को लेकर उत्साहित हों, लेकिन जापान के लोग इसको लेकर अपनी चिंता प्रकट कर रहे हैं। शुक्रवार को इन मस्जिदों में भारी भीड़ लगती है जिसके कारण आसपास रहने वाले जापानी लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मस्जिदों में Loudspeakers का इस्तेमाल किया जाता है और आसपास गंदगी फैलाई जाती है। जापानी मीडिया आउटलेट mainichi के मुताबिक “एक महिला ने अपने पड़ोस की ऐसी हालत देखकर कहा कि इसीलिए वो इस्लाम से नफरत करती है।”
मस्जिदों को लेकर जापानी समाज में टकराव भी देखने को मिल चुका है। वर्ष 2012 में मध्य जापान के Kanazawa इलाके में जब कुछ विदेशी मुस्लिम विद्यार्थी मस्जिद के निर्माण की तैयारी करने लगे, तो आसपास के लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया। घटना को लेकर जापानी संगठन के मुखिया Ken Muroi कहते हैं “हमें किसी धर्म से कोई समस्या नहीं है, लेकिन यहां लोग मस्जिद के निर्माण को लेकर चिंतित हैं। कोई कहता है कि इसे यहां ना बनाकर और कहीं बना लो, बस यहां मत बनाओ।”
ऐसा नहीं है कि जापानी लोगों के मन में इस्लाम के खिलाफ कोई विशेष द्वेष है, लेकिन यह भी सच है कि जापानी लोगों को सामाजिक तौर पर बेहद conservative समझा जाता है। जापानी लोग आसानी से बाहरी लोगों को स्वीकार नहीं कर पाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बाहरी लोग अपने “दूषित” विचारों को लेकर उनके यहां आ जाएंगे। शायद यही कारण है कि खुद जापानी कोर्ट ने अपने यहां सभी मुस्लिमों पर नज़र रखने के लिए सरकार को अनुमति दी हुई है। इसका अर्थ यह है कि जापान के सभी मुस्लिमों पर कानूनी तौर पर जासूसी की जाती है। The Independent की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय जापानी मीडिया भी सरकार के इन फैसलों पर अपनी सहमति जताकर चुप्पी साध लेती है।
जापान को वर्ष 2050 तक करीब 1 करोड़ विदेशी मजदूरों की जरूरत है, जिसे जापानी सरकार कई देशों के साथ समझौते कर पूरा करने की कोशिश में जुटी है, जिसमें कई मुस्लिम देश भी शामिल हैं। जापान में बूढ़ों की आबादी बढ़ने के साथ ही workforce की भीषण कमी हो गयी है, जिसके कारण जापान में बड़े पैमाने पर विदेशी मजदूर आने की संभावना है। ऐसे में जापानी लोगों को चिंता है कि कहीं ये लोग बाहर से आकर जापानी की संस्कृति को नुकसान ना पहुंचा दें!