दुनिया में कुछ भी हो सकता है। सूर्य पश्चिम से उग सकता है, चीन एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र बन सकता है, और एर्दोगन पाकिस्तान की धुलाई के लिए संभवत भारत का साथ भी दे दे, परंतु कांग्रेस अपने हाइकमान में बदलाव कर दे, न बाबा न। एक बार फिर राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के कयास प्रबल होते दिखाई दे रहे हैं, और राहुल गांधी स्वयं इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं।
न्यूज 18 की रिपोर्ट की माने तो कांग्रेस की अंदरूनी कलह को निपटाने के लिए राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है। रिपोर्ट के अंश अनुसार, “सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारियां संभालने के लिए राज़ी हो गए हैं। शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की नए अध्यक्ष पद को लेकर बैठक हुई थी. इसमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), राहुल गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य व पदाधिकारी मौजूद थे”।
रिपोर्ट में आगे बताया गया, “सोनिया गांधी के आवास यानि 10 जनपथ पर करीब 5 घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने अपनी-अपनी बात रखी। इस बैठक में के. सुरेश, अब्दुल खालिक, गौरव गोगोई और कुछ अन्य सांसदों ने राहुल गांधी से आग्रह किया कि वह फिर से पार्टी की कमान संभालें। इन सांसदों के अलावा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा कि अब राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहिए”।
बता दें कि राहुल गांधी को 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था। उनके नेतृत्व में गुजरात में कांग्रेस ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपनी सरकारें भी बनाई। लेकिन मोदी सरकार को नीचा दिखाने की सनक और राहुल की अक्षमता के कारण कांग्रेस एक बार फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्ता वापसी में नाकामयाब रही, और राहुल गांधी अपना अमेठी लोकसभा क्षेत्र भी हार गए।
राहुल गांधी ने तब अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए कहा था, “कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर 2019 में मिली हार के लिए मैं जिम्मेदार हूं। हमारी पार्टी के भविष्य के लिए जवाबदेही जरूरी है। यही कारण है कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं। 2019 में मिली हार के लिए पार्टी को पुर्नसंगठित करने की जरूरत है। पार्टी की हार के लिए सामूहिक तौर पर लोगों को कठिन निर्णय लेने होंगे”। पर अब वो एक बार फिर से इस पद को संभाल सकते हैं।
इससे एक बार फिर ये सिद्ध होता है कि कांग्रेस का बदलाव से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है। उनके लिए गांधी परिवार ही उनके कर्ता-धर्ता है। कुछ महीने पहल जब गुलाम नबी आज़ाद समेत कई नेताओं ने सोनिया गांधी को अध्यक्षता में बदलाव और पार्टी के कार्यशैली में परिवर्तन की सलाह दी, तो कई कांग्रेसियों में हाहाकार मच गया, और एक दूसरे में ही ये लड़ाई शुरू हो गई कि कौन ज्यादा गांधी भक्त है।
यह उसी का परिणाम है कि एक साल की मशक्कत के बाद भी कांग्रेस को गांधी परिवार के अतिरिक्त कोई अध्यक्ष पद के लिए योग्य नहीं मिल पाया है, और अब जब राहुल गांधी अध्यक्ष बनने जा ही रहे हैं, तो निस्संदेह अन्य पार्टी, विशेषकर भाजपा के मन में लड्डू अवश्य फूट रहे होंगे।