मोदी विरोध के नाम पर देश की छवि को धूमिल करने का एक एजेंडा चलाया जा रहा है जिससे पूर्ण और प्रचंड बहुमत की सरकार वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्वसनीयता को वैश्विक झटका लगे और उन्हें ज्यादा तवज्जो न मिले। सीएए-एनआरसी के नाम पर शुरू हुए आंदोलन से लेकर अब किसान आंदोलन तक सभी में एक ही पैटर्न है जिससे देश की छवि को धूमिल हो। इसी के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दौरे के वक्त राजधानी दिल्ली में दंगे हुए। असम में इसी अराजकता के कारण जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का भारत दौरा रद्द हुआ और ठीक उसी पैटर्न के तहत अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के भारत दौरे से पहले अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर भारत में मौजूद रहेंगे। ये एक गर्व का पल होगा जब भारत विश्व के सबसे बड़े और सशक्त लोकतंत्र का जश्न मनाता है लेकिन ऐसे वक्त में भी कुछ लोगों ने अपने ही देश की छवि को धूमिल करने की प्लानिंग कर ली है। कुछ वामपंथी तथाकथित किसान नेता और योगेंद्र यादव जैसे दलबदलुओं ने तय किया है कि अगर किसान आंदोलन पर सरकार की तरफ से उनकी मांगे नहीं मानी गई तो यह लोग 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर समेत अपनी रैलियां निकालेंगे; जो बहुत ही आश्चर्यजनक और बेहूदा है। ऐसा वक्त जब एक वैश्विक स्तर का नेता भारत में मौजूद होगा उस वक्त भी यह लोग सरकार के विरोध के नाम पर अपने ही देश की छवि को बदनाम करने की योजना को अंजाम दे रहे होंगे।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के दौरे के वक्त विरोध की नौटंकी का प्लान कोई नया नहीं है। दरअसल, इन तथाकाथित आंदोलनकारियों के पीछे मोदी विरोध की एक मात्र सोच है, जो भारत को बदनाम करना चाहती है। याद कीजिए जब जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का दिसंबर 2019 में भारत दौरा रद्द हुआ था। सीएए-एनआरसी को लेकर पूरे असम में मोदी विरोध के नाम पर प्रदर्शन हो रहे थे, जबकि भारत और जापान कि शिखर वार्ता भी असम में ही होनी थी। ऐसी बिगड़ी परिस्थितियों के चलते ही शिंजो आबे ने भारत दौरा रद्द कर दिया था जिससे भारत की साख पर धब्बा लगा था।
सीएए और एनआरसी को लेकर इन्हीं तथाकथित विरोध प्रदर्शन और दंगों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने भी भारत की थू-थू करा दी थी। डॉनल्ड ट्रंप अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में अपना भाषण दे रहे थे तो उस वक्त दिल्ली में दंगे हो रहे थे। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट इस बात को साबित करती है कि डॉनल्ड ट्रंप के दौरे के वक्त ही दंगा करने की प्लानिंग की गई थी जिसके लिए पीएफआई जैसे अलगाववादी संगठनों द्वारा फंडिंग भी दी गई थी यह बेहद ही आपत्तिजनक बात है कि जब किसी देश का प्रमुख भारत के दौरे पर हो और उसी दौरान इस तरह के विरोध प्रदर्शन और दंगे देखने को मिले जिससे भारत की छवि पर दाग लगें।
किसान आंदोलन को लेकर भी ये वामपंथी इसी नीति पर चल रहे हैं। किसानों के मुद्दों के नाम पर ये लोग ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के दौरे के वक्त भारत में भयंकर अराजकता का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे भारत को वैश्विक स्तर पर एक अराजक देश की संज्ञा मिले। ऐसे में मोदी सरकार को इन अराजक किसानों को अब सबक सिखाना चाहिए क्योंकि यह किसान हितों से ज्यादा देश विरोध की आग भड़का रहे हैं।