पिछले दो महीने से दिल्ली की सीमाओं को घेरकर बैठे अराजकतावादियों की पोल अब धीरे-धीरे खुल रही है। इसका सबसे प्रत्यक्ष प्रमाण अभी हाल ही में देखने को मिला, जब जिस नकाबपोश व्यक्ति को उन्होंने ‘किसान नेताओं’ पर हमला करने के लिए पुलिस द्वारा भेजे जाने को सिद्ध करने का प्रयास किया, उसने उलटे इन्हीं की पोल खोल दी। अब जिस प्रकार से ये अराजकतावादी गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड करने को उतारू है, उससे स्पष्ट होता है कि ये पुलिस के हाथों लाठी खाए बिना नहीं मानने वाले। ऐसे में सरकार ने भी इन्हें किसी भी हिंसक हरकत के लिए सबक सिखाने की तैयारी कर ली है।
दरअसल, अभी गणतंत्र दिवस में कुछ ही दिन शेष है, और किसान आंदोलन के नाम पर सिंघू बॉर्डर पर अराजकतावाद फैला रहे आंदोलनकारियों ने घोषणा की है कि वे दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करेंगे। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड को लेकर शनिवार को दिल्ली पुलिस ने किसानों को हरी झंडी दे दी है लेकिन किसी भी तरह के उपद्रव या हिंसा पर पुलिस सख्त कार्रवाई करने में कोई हिचक नहीं दिखायेगी। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली को लेकर मंत्रम फार्म हाउस में किसान नेता और पुलिस बैठक के बाद इस नतीजे पर पंहुचे हैं।
We will take out a historical and peaceful parade and it will have no effect on the Republic Day parade or the security arrangements: Yogendra Yadav of Swaraj India https://t.co/DcPJ7RFoF6
— ANI (@ANI) January 23, 2021
सरकार द्वारा कृषि कानून को डेढ़ वर्ष के लिए स्थगित करने की पेशकश को ठुकराने के बाद ‘किसान नेताओं’ ने आरोप लगाया था कि गणतंत्र दिवस पर उनके विरोध प्रदर्शन को तोड़ने के लिए सरकार एक गहरी साजिश रच रही है। हद तो तब हो गई जब इन नकली किसानों ने एक ‘नकाबपोश युवक’ को सामने लाकर कहा कि उसे हरियाणा पुलिस द्वारा प्रशिक्षित कर किसान नेताओं की हत्या करने के लिए भेजा गया है, ताकि गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली रद्द हो जाए।
लेकिन जिस व्यक्ति को यह सरकार के दमनचक्र का हिस्सा बताने से नहीं चूक रहे थे, उसने उलट इन अराजकतावादियों की ही पोल खोल दी। उसके वीडियो से इन नकली किसानों की घटिया साजिश धरी की धरी रह गई।
लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है। कुछ राजनेता तो इन अराजकतावादियों को भड़काने के लिए आग में घी डालने वाला बयान दे रहे हैं। ‘आगामी 26 जनवरी का दिन ऐतिहासिक होगा’, कहने वाले कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद के बयान से ही समझा जा सकता है कि वो गणतंत्र दिवस के अवसर पर भी अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने से बाज नहीं आ रहे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी हाल ही में दिए एक बयान में कहा कि ‘किसान आंदोलन’ में मरने वाले प्रदर्शनकारियों के सदस्यों के परिवारों को सरकारी नौकरी दी जाएगी। ये सरासर गुंडागर्दी को पुरस्कृत करने की पेशकश है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि ट्रैक्टर रैली का मूल उद्देश्य गणतंत्र दिवस के अवसर पर अराजकता फैलाकर भारत की छवि को कलंकित करने की है। लेकिन इस बार दिल्ली पुलिस भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठी है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी हरी झंडी मिल चुकी है। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि ट्रैक्टर रैली से कैसे निपटना है, इसके लिए दिल्ली पुलिस पूरी तरह स्वतंत्र है।
दिल्ली पुलिस कुछ हद तक ट्रैक्टर रैली की अनुमती दे चुकी है, लेकिन जहां भी प्रदर्शन ने हिंसक रूप लिया, तो दिल्ली पुलिस इन अराजकतावादियों की कुटाई में भी कोई कसर नहीं छोड़ेगी। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बार इन नकली किसानों को किसी भी तरह की हिंसा के लिए कड़ा सबक मिलेगा।