पश्चिम बंगाल में सीमावर्ती क्षेत्रों के जरिए बांग्लादेश में होने वाली गौ-तस्करी हमेशा ही एक विवादास्पद मुद्दा रही है, लेकिन जिस काम में बीएसएफ़ का हस्तक्षेप हो जाए तो उसमें सफलता मिलना लाज़मी हो जाता है। बीएसएफ के प्रयासों के कारण ही अब भारत से बांग्लादेश में होने वाली गौ तस्करी अपने निचले पायदान पर पहुंच गई है। इसका संकेत सीज हुए गौवंश की संख्या ही है, जो पिछले वर्ष 29,720 की तुलना में इस वर्ष घटकर 5,449 पर आ गई है। यही नहीं, नकली नोटों की तस्करी पर भी बीएसएफ ने अपना शिकंजा कस लिया है जो कि इसकी सफलता बयां कर रहा है।
पश्चिम बंगाल की तृणमूल शासित ममता सरकार पर गौ-तस्करी से लेकर घुसपैठियों को शह देने के खूब आरोप लगते रहते हैं। सीबीआई इस वक्त कई भ्रष्टाचारी नेताओं से पूछताछ भी कर रही है जो कि गौ तस्करी जैसे संगीन अपराधों में शामिल हैं। ऐसे में बीएसएफ द्वारा 2020 में तस्करी में जब्त और सीज हुई चीजों का खुलासा किया गया है। पश्चिम बंगाल की बांग्लादेशी सीमा पर तैनात बीएसएफ के आइजी अश्विनी कुमार सिंह इस पूरे मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए बीएसएफ़ की सफलताओं का ब्यौरा दिया है।
बीएसएफ आईजी ने बताया है कि कैसे इस मुश्किल बार्डर पर बीएसएफ गौ-तस्करी से लेकर नकली नोटों के जाल को तोड़ने और घुसपैठियों को खदेड़ने का काम कर रही है। उन्होंने बताया, “दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के जवानों ने साल 2018 में 38,657 एवं 2019 में 29,720 मवेशियों को जब्त किया था जो 2020 में घटकर 5,449 पर आ गई है।” दिलचस्प है कि गौवंश को बांग्लादेश में खूब ऊंचे दामों में बेचा जाता है जिसके चलते कई भारतीय और बांग्लादेशी अपने साझा अभियान के जरिए गौ-तस्करी को अंजाम देते हैं।
आईजी ने बताया कि उनकी टीम की सक्रियता के चलते पिछले सालों की अपेक्षा लगातार तस्करी में कमी दर्ज की जा रही है। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ सालों में गोवंश व जाली नोटों की तस्करी में निरंतर कमी आते- आते अब यह पूरी तरह बंद होने पर है। पिछले साल 517 तस्करों को भी पकड़ने में सफलता मिली है। इसमें सभी प्रकार की वस्तुओं की तस्करी से जुड़े लोग शामिल हैं। इससे पहले 2019 में 615 तस्करों को पकड़ा गया था।” नक़ली नोटों की तस्करी को लेकर उन्होंने बताया, “साल 2018 में 34.94 लाख एवं 2019 में 31.09 लाख रुपये के जाली नोट जब्त किए गए थे, जो 2020 में घटकर 1.03 लाख पर आ गई है।”
मोदी सरकार समेत अलग-अलग भाजपा शासित राज्य सरकारों ने बूचड़खानों को बंद कर गौवंश की हत्या रोकने पर काम काम किया है। इसके बावजूद जिस तरह से बांग्लादेश में इन पशुओं की तस्करी की जाती है, वो मोदी सरकार के लिए चिंता की बात थी। एक ऐसा भी वक्त था, जब 2017 में प्रतिदिन करीब 3,000 गोवंश की तस्करी बांग्लादेश के लिए की जाती थी, लेकिन अब वो परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। इसके पीछे पूर्णतः बीएसएफ को श्रेय दिया जा रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण इस पूरे घटनाक्रम में गिरावट देखी जा रही है, लेकिन ऐसा नहीं है, क्योंकि बीएसफ ने इस दौरान अपना पूरा ध्यान इन्हीं तस्करों पर केंद्रित किया है। आईजी ने बताया, “बंगाल से बांग्लादेश की 2,216.7 किमी सीमा लगती है, जिनमें से 913 किमी दक्षिण बंगाल सीमांत से जुड़ी हुई है। यह बॉर्डर इलाका दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण सीमाओं में से एक है। ऐसे में हम सीमा पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं। इस संदर्भ में कोई ढील नहीं दी गई है।”
ये सकारात्मक ही है कि एक तरफ सीबीआई समेत पूरी केन्द्रीय संस्थाएं गौ-तस्करी के मुद्दे पर बंगाल में कड़ी कार्रवाई कर रही है तो दूसरी ओर बीएसएफ सीमा पर तस्करों पर अपना हंटर चला रही है और ये एक अच्छा संकेत है।