बाइडन नेअभी सत्ता भी नहीं संभाली है, पर अभी से वॉलमार्ट अमेरिकी सप्लायर्स को छोड़ कर चीन को गले लगा रहा है

वॉलमार्ट

सही ही कहा है किसी ने, बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया। डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी दृढ़ता के बल पर अमेरिकी कंपनियों को पहले अमेरिका की नीति का पालन करने को विवश कर दिया। लेकिन ऐसा लगता है कि उनके जाते ही अमेरिकी कंपनियां एक बार फिर पुराने ढर्रे पर लौटना चाहती हैं, जिसका उदाहरण अभी हाल ही में Walmart की ओर से देखने को मिला।

हाल ही में वॉलमार्ट ने अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं को ठेंगा दिखाते हुए एक बार फिर चीन का दामन थामा। Gordon C Chang ने ट्वीट किया, “बाइडन के राष्ट्रपति बनने की संभावना प्रबल होने के साथ ही अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं से मुंह मोड़कर चीनी फैक्ट्रियों की ओर रुख कर रहा है। वॉलमार्ट सच में पैसों और चीन के प्रति वफादार है”।

जिस प्रकार से वॉलमार्ट राष्ट्रीय हितों को ताक पर रखकर चीन से संबंध बहाल करने में जुटा हुआ है, उससे अब चीन को भी आशा होने लगी है कि आगे चलकर व्यापार संबंधों में काफी सुधार होगा, क्योंकि उन्हे पूरा विश्वास है कि बाइडन प्रशासन ट्रम्प जितना दृढ़ निश्चयी नहीं हो सकेगा। इससे न सिर्फ बीजिंग को वित्तीय रूप से फायदा होगा, बल्कि इंडो पेसिफिक क्षेत्र में अमेरिका का प्रभाव भी कम होगा।

चीन के लिए अमेरिकी कंपनियों का अथाह प्रेम इसी बात से स्पष्ट होता है कि किस प्रकार से अभी कुछ दिनों पहले वॉल स्ट्रीट ने अमेरिकी राष्ट्रपति के ऑर्डर को ठेंगा दिखाते हुए कुछ चीनी कंपनियों को निष्कासित करने से रोकने का प्रयास किया था। ये अलग बात थी कि उसे इसके लिए काफी आलोचना का सामना भी करना पड़ा।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में जैसा बताया गया है, अमेरिका और चीन के रिश्ते रसातल में चले गए थे। डोनाल्ड ट्रम्प के शासन में चीन को काफी वित्तीय संकटों का सामना भी करना पड़ा था, जिसमें चीन द्वारा उत्पन्न वुहान वायरस ने चार चाँद लगा दिए थे। अब भले ही ट्रम्प चीनी अर्थव्यवस्था को घुटनों पे ले आए हों, परंतु उनके सारे किये कराए पर डेमोक्रेट्स पानी फेरने को तैयार हैं, और वॉलमार्ट शायद इसी उद्देश्य से काम भी कर रहा है।

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