राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को लेकर कई तरह की खबरें चल रहीं हैं, कि वो पार्टी तोड़ देंगी, लेकिन उनके पास कोई रास्ता नहीं है क्योंकि 2018 में बीजेपी ने उनके ही नेतृत्व में राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा था जिसमें कांग्रेस से बीजेपी को करारी हार झेलनी पड़ी थी। उन्हें बीजेपी के मतदाताओं की निंदा का सामना करना पड़ा था। इसीलिए जब से बीजेपी की कमान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संभाली है, तब से वसुंधरा को बीजेपी ने नजरंदाज कर दिया है।
इन सभी राजनीतिक हलचलों के बीच अब वसुंधरा के समर्थकों ने अपना अलग ही नया मोर्चा तैयार कर लिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि वो 2023 में महारानी वसुंधरा राजे को एक बार फ़िर मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। ये पूरा प्रकरण इस बात का साफ संकेत देता है कि राजस्थान में बीजेपी के लिए कुछ मुश्किलें खड़ी हो रही है और वसुंधरा पर आरोप भी लग रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम के कारण वसुंधरा को मुश्किलें हो सकती हैं।
गौरतलब है कि जयपुर के एक अधिवक्ता विजय भारद्वाज ने शुक्रवार को एक ‘वसुन्धरा राजे समर्थक मंच’ तैयार किया है, जो कि वसुंधरा के सिपहसलार माने जाते हैं। उन्होंने कहा, “मैं 2003 में वसुंधरा राजे सिंधिया की वजह से जनता दल छोड़कर भाजपा में आया था और तब से BJP की राज्य कार्यकारिणी का सदस्य रहा हूं, भाजपा की आमंत्रित कार्यकारिणी का सदस्य रहा हूं, इसके अलावा विधि प्रकोष्ठ का भी अध्यक्ष रहा हूं और अब हम लोग वसुंधरा राजे को मज़बूत करना चाह रहे हैं।” भारद्वाज ने कहा, “अभी संगठन में आई-टी सेल, महिला मोर्चा और युवा विंग जैसे विभिन्न विंग भी बनाए जाएंगे।”
साफ है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे के वफादार 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में प्रचार करने के लिए एक नए सिरे से राजनीतिक संगठन का गठन कर रहे हैं, ये कोई नई बात नहीं है क्योंकि ऐसा होने की संभावना बहुत अधिक थी। हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के लिए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर दिल्ली पहुंचे थे, जिसमें मात्र वसुंधरा को ही नहीं बुलाया गया था।
इस बीच वसुंधरा राजे समर्थक मंच के गठन पर राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा, “यह कोई गंभीर बात नहीं है क्योंकि यह केवल सोशल मीडिया पर अधिक है। जो लोग इसके पीछे हैं वे पार्टी के मान्यता प्राप्त नेता नहीं हैं। पहले से ही पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के ज्ञान में है।”
इसके बावजूद विजय भारद्वाज ने दावा किया कि नए संगठन ने पहले ही 57 विधानसभा क्षेत्रों को कवर कर लिया है, इसके अलावा 2000 से अधिक लोगों की प्रतीक्षा सूची में शामिल होना चाहते हैं। सतीश पुनिया ने बड़ी सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “इस बात की जानकारी भाजपा के सभी नेताओं को है और जो लोग इस संगठन में काम कर रहे हैं वह लोग भाजपा में सक्रिय सदस्य नहीं हैं। भाजपा व्यक्ति आधारित पार्टी नहीं हैं, यह संगठन आधारित पार्टी है।”
वसुंधरा की बीजेपी से मनमुटाव की स्थितियां और टूट सबके सामने आ गई है। बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने बीजेपी समर्थकों का वो नारा संज्ञान में ले लिया है जिसमें कहा गया था, “मोदी तुमसे बैर नहीं पर रानी तेरी खैर नहीं।” पार्टी जनता की नब्ज को पहले नहीं समझ पाई थी कि वसुंधरा के प्रति जनता कितनी नाराज है, और उसका नुकसान बीजेपी को विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। पुरानी गलतियों से सीख लेने के बाद अब बीजेपी राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे सिंधिया को किनारे कर रही है।