आपदा को अवसर दो प्रकार के लोग बनाते हैं। एक, जो समाज की भलाई चाहते हैं, और दूसरे जो सिर्फ अपनी भलाई चाहते हैं। अभी हाल ही में उत्तराखंड के चमोली क्षेत्र में ग्लेशियर के टूटने से तपोवन क्षेत्र में काफी तबाही आई, और ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को भी काफी नुकसान हुआ।
लेकिन इसमें टुकड़े-टुकड़े गैंग को मानो भारत के आर्थिक प्रोजेक्ट्स के विरुद्ध विष उगलने का अवसर मिल गया। इसमें सबसे अग्रणी रहीं पार्ट टाइम एक्ट्रेस और फुल टाइम पर्यावरणवादी दिया मिर्जा, जिन्होंने इसके लिए उस क्षेत्र में निर्मित बांधों को दोषी ठहराया। मोहतरमा के ट्वीट्स के अनुसार, “हिमालय में जरूरत से ज्यादा डैम बनाने से यह हुआ है। मैं चमोली के लोगों के लिए दुआ करूंगी”।
Building too many dams in the Himalayas has lead to this. Prayers for the people of Chamoli. Please contact Disaster Operations Center number 1070 or 9557444486 for help. #Uttarakhand https://t.co/x6D9X4laSj
— Dia Mirza (@deespeak) February 7, 2021
ये मोहतरमा यहीं पर नहीं रुकी। उन्होंने आगे ट्वीट किया, “जो उत्तराखंड में हो रहा है, उसका पूरा-पूरा कनेक्शन पेड़ काटने से और पहाड़ों को बर्बाद करने से हैं। बेकसूर लोगों की जाने जाति हैं”।
What is the connection with what is happening in #Uttrakhand right now and cutting trees (deforestation), cutting into our mountains, building dams combined with climate change? – Innocent , unsuspecting people get hurt.
— Dia Mirza (@deespeak) February 7, 2021
इसी को कहते हैं, नाच न जाने आँगन टेढ़ा। कुछ भी हो, पर्यावरण का कार्ड लगाकर विकासशील परियोजनाओं पर ब्रेक लगवा दो। लेकिन दिया अकेली नहीं है। उनके जैसे बहुत स्वघोषित बुद्धिजीवी हैं, जो किसी भी आपदा के लिए भारत की विकासशील परियोजनाओं को दोषी ठहराते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की पूर्व संपादिका और नेशनल हेराल्ड से जुड़ी मृणाल पांडे ने इसी विषय पर ट्वीट किया, “बदलते समय में हमारी दरख्वास्त है कि उत्तराखंड सरकार इस संवेदनशील भूमि को देवभूमि नाम देकर एक पर्यटन स्थल बनाना बंद कर दे। सड़कों का विस्तार और बड़े पावर प्रोजेक्ट्स यहाँ के निवासियों की जान खतरे में डाल रहे हैं”।
#Uttarakhand In the era of changing environment, we request the State to stop
promoting this environmentally vulnerable zone as a tourist destination, branding it as Dev Bhoomi. Widening of roads & large water/power projects are endangering millions of human lives here.— Mrinal Pande (@MrinalPande1) February 7, 2021
इसके अलावा लेखक अमिताभ घोष ने उमा भारती के कथित आरोपों में नमक मिर्च लगाते हुए ट्वीट किया, “इस आपदा पर सबसे हैरानी की बात यह है कि उक्त स्थान पर बांध न बनाने के लिए एक पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर ने चेतावनी भी दी, परंतु उनकी बातों को अनसुना किया गया। आखिर क्यों?”
A shocking aspect of this Uttarakhand disaster (in which many of the missing are dam workers) is that a cabinet minister, no less, warned against building a dam at that location.
But still the project went ahead. Why?
https://t.co/Kbnjvtx9ja— Amitav Ghosh (@GhoshAmitav) February 7, 2021
द वायर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। अपने लेख के अंत में इस पोर्टल ने भी पावर प्रोजेक्ट्स पर लगाम लगाने की बात को दोहराया।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि चमोली की आपदा में भी कुछ निकृष्ट लोग अपना कुत्सित एजेंडा चलाने का प्रयास कर रहे थे। हालांकि, वे यह भूल रहे हैं कि उनका Eco Fascism जल्द ही केंद्र सरकार के राडार पर आने वाला है, और इस बार उनकी दाल नहीं गलेगी।