वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के प्रभाव के कम होने के कारण देश में स्थितियां सामान्य होती दिख रही हैं, लेकिन दो राज्य ऐसे हैं जो अभी भी कोरोनावायरस के कहर से जूझ रहे हैं। एक के तो कोरोना मॉडल की पूरे देश में तारीफ भी होने लगी थी लेकिन आज ये स्थितियां बद से बदतर हो चुकी हैं। ये दोनों ही राज्य गैर भाजपाई हैं, महाराष्ट्र और केरल। इन राज्यों के कोरोना को लेकर बुरे प्रदर्शन के कारण अब केन्द्र की मोदी सरकार ने दोनों ही राज्यों में एक-एक हाई लेवल टीम को भेजा है जो कि इन राज्यों में कोरोना को नियंत्रण करने के मुद्दे पर काम करेगी।
महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी सरकार के सीएम उद्धव ठाकरे की 2020 की शुरुआत में खूब तारीफ हो रही थी। मार्च तक वहां के वामपंथी लोग कैंपेन चलाने लगे थे कि उद्धव एक बेस्ट सीएम हैं लेकिन उसके बाद कोरोनावायरस की स्थितियां महाराष्ट्र में जो बिगड़ीं, वो बिगड़ती ही चली गईं। कुछ ऐसी ही स्थिति केरल की भी है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शुरु में कोरोना को लेकर कुछ सकारात्मक कदम जरूर उठाए थे और एक वक्त ये भी कहा जाने लगा था कि देश में केरल की तरह कोरोना को कंट्रोल किया जाए, लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं।
महाराष्ट्र और केरल में आज की स्थिति की बात करें तो देश में कोरोनावायरस के कुल मामलों में सबसे ज्यादा संख्या इन्हीं दोनों राज्यों से आने वाले मरीजों की है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दोनों राज्यों में हाईलेवल मल्टी डिसीप्लिनरी टीमों को भेजने का फैसला लिया है। ये टीमें कोविड-19 प्रबंधन में राज्य की टीमों की मदद करेंगी। खास बात ये है कि देश में आने वाले कोरोना के हालिया आंकड़ों में 70 फीसदी आंकड़े महाराष्ट्र और केरल के ही हैं।
केन्द्र के मुताबिक महाराष्ट्र भेजी जा रही केंद्रीय टीम में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के एक्सपर्ट्स और नई दिल्ली स्थित आरएमएल अस्पताल के एक्सपर्ट्स शामिल किए गए हैं। ठीक इसी तरह केरल जाने वाली टीम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तिरुवनंतपुरम स्थित क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और नई दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के एक्सपर्ट्स शामिल किए गए हैं।
देश के उन सभी राज्यों में केन्द्र सरकार ने अपनी टीमें भेजी हैं, जहां कोरोना कंट्रोल नहीं हो रहा था। आश्चर्यजनक बात यही है कि ज्यादातर राज्य गैर भाजपा शासित ही हैं। दिल्ली में तो आम आदमी पार्टी के संयोजक और सीएम अरविंद केजरीवाल की विफलता के बाद देश के गृहमंत्री को ही ग्राउंड जीरों पर उतरना पड़ा था तब जाकर स्थितियां सामान्य हो पाई हैं। कुछ केजरीवाल की तरह ही उद्धव ठाकरे भी कोरोना कंट्रोल के मामले में पूर्णतः फेल रहे हैं। उनको और उनकी पार्टी को बॉलीवुड के मुद्दों में दिलचस्पी रखने ज्यादा मजा आता है, लेकिन कोरोना कंट्रोल के मुद्दे पर ये विफल थे। इसी तरह केरल के सीएम राज्य में खराब स्थितियों के बावजूद राजनीतिक बयानबाजियों में मस्त थे। उनके सामने ही कोरोना कंट्रोल के केरल मॉडल की धज्जियां उड़ गई थीं जो कि बेहद ही निराशाजनक बात थी।
महाराष्ट्र और केरल के सीएम ने अपनी विफलताओं का उदाहरण कोरोना कंट्रोल के मामले में दे दिया है, और इसी के चलते मोदी सरकार ने तय किया है कि दोनों राज्यों में कोरोना कंट्रोल के लिए उनकी टीमें जाएगी और वहां के प्रशासन को गाइड करेगी।