भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक क्षण में, बुधवार को पीएम मोदी न केवल भारत के निजी क्षेत्र के समर्थन में सामने आए हैं, बल्कि उन लोगों को चेतावनी भी दी है, जो देश के प्राइवेट सेक्टर और निजी व्यवसायी को हेय दृष्टि से देखते हैं।
पीएम मोदी ने अपनी चाणक्य आर्थिक नीति का परिचय देते हुए लोक सभा में स्पष्ट रूप से कहा कि, “निजी क्षेत्र के खिलाफ अनुचित शब्दों के इस्तेमाल करने पर अतीत में कुछ लोगों को वोट मिला होगा, लेकिन अब वो समय चला गया है। निजी क्षेत्र को गाली देने की संस्कृति अब स्वीकार्य नहीं है। हम अपने युवाओं का इस तरह अपमान नहीं कर सकते।“
I lived to see an Indian Prime Minister make such an unapologetic pitch for India's private sector.
When I wrote "Indian Renaissance" in 2006-7, I had hoped for such as day.
No small thing for someone who grew up in Jyoti Basu's Bengal pic.twitter.com/yecRtPYoOD
— Sanjeev Sanyal (@sanjeevsanyal) February 10, 2021
PM मोदी ने यह भी कहा कि, ‘देश को बाबुओं के हवाले करके कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है। कोई एक आईएएस अधिकारी है, इसका मतलब यह नहीं हुआ कि वह एयरलाइन से लेकर एक रासायनिक कारखाना तक चला रहा है।‘ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अगर हमारे बाबू देश के हैं, तो हमारे नौजवान भी इसी देश के हैं।”
यह पहली बार है जब किसी नेता ने प्रधानमंत्री पद से निजी क्षेत्र के लिए इस तरह समर्थन के शब्द कहे हैं। चाणक्य ने अपनी किताब अर्थशास्त्र में स्पष्ट रूप से Wealth Creator को समर्थन देने की बात कही है। उन्होंने लिखा है कि धन सिर्फ धन नहीं है बल्कि धन कमाने का एक जरिया भी है। पीएम मोदी द्वारा इस तरह से प्राइवेट सेक्टर के स्पष्ट समर्थन में आना, उस अम्बानी-अडानी विरोधी गुट को भी चेतावनी है कि अब इस तरह से अंध विरोध नहीं चलेगा।
अगर हम गांधीजी और जवाहरलाल नेहरू जैसे देश के अन्य बड़े नेताओं का निजी क्षेत्र के लिए पीएम मोदी के रुख की तुलना करते हैं, तो यह एक क्रांतिकारी रुख नजर आएगा।
उदाहरण के लिए, महात्मा गांधी व्यवसायियों का समर्थन करते थे और जमनालाल बजाज और घनश्याम दास बिड़ला जैसे उद्योगपतियों के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध थे। यहां तक कि वे उद्योगपति परिवारों द्वारा बनाए गए घरों में रहते थे और उनसे ही कांग्रेस पार्टी के लिए वित्तीय मदद प्राप्त करते थे। हालांकि, गांधीजी बड़ी कंपनियों को नहीं चाहते थे और वे चाहते थे कि सरकार MSME क्षेत्र का समर्थन करे। उनका मानना था कि भारत अपने गांवों में बसता है और गांवों को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में कार्य करना चाहिए।
Nehru hated businessmen but he never had any problems with Business. Gandhi hated business but loved Businessmen.
PM Modi has always loved businesses and today he has clarified that attacking corporates won’t be tolerated. This is a message for the hate Ambani-Adani gang.
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) February 11, 2021
दूसरी ओर, जवाहरलाल नेहरू व्यापारी और निजी क्षेत्र से नफरत करते थे लेकिन बड़े व्यवसायों (सार्वजनिक क्षेत्र ) से प्यार करते थे। इसलिए, उनकी वजह से भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की कई कम्पनियां विफल हुई जिन्हें भारत सरकार द्वारा महारत्न कहा जाता था। बाबुओं के नेतृत्व में कई अक्षम सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियां आज भी काम कर रही हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था में अपनी उपस्थिति बनाये हुए है, और करदाताओं के पैसे को खपा रही हैं।
1991 के उदारीकरण के बाद से धन के निर्माण में निजी क्षेत्र की सफलता को देखते हुए, नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रति एक अलग दृष्टिकोण अपनाया।
2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने कई ऐसे कदम उठाए, जो समाजवादी स्वरूप के थे जैसे कि प्रधानमंत्री जन धन योजना। इसके अलावा, अधिकांश क्षेत्रों में, सरकार ने निजीकरण की ओर जाने के बजाय इसे अधिक कुशल बनाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र का कायाकल्प के कदम भी उठाये।
हालांकि, पहले आर्थिक सर्वेक्षण से यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने धन पैदा करने के लिए निजी क्षेत्र की क्षमता को भी बढ़ाया है। इकोनॉमिक सर्वे 2020 ने वेल्थ क्रिएशन पर प्रकाश डाला और पहले अध्याय के पहले पैराग्राफ में इस सरकार की नीति को रेखांकित किया, जिसमें लिखा है कि विश्व के आर्थिक इतिहास में तीन-चौथाई से अधिक समय तक, भारत विश्व स्तर पर प्रमुख आर्थिक शक्ति रहा है। भारत के अधिकांश आर्थिक प्रभुत्व के दौरान, अर्थव्यवस्था धन सृजन के लिए बाजार पर निर्भर थी।
आत्मभारत अभियान के दौरान लाये गए पैकेज में भी प्राइवेट सेक्टर का धन सृजन में महत्व दिखाई पड़ता है। साथ ही इस वर्ष के केंद्रीय बजट में, सरकार ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र सिर्फ रणनीतिक क्षेत्रों में ही मौजूद रहेंगे और बाकी क्षेत्रों का निजीकरण किया जाएगा। सरकार ने यह भी कहा कि वह निजीकरण के लिए राज्य सरकारों को राजी करने के साथ साथ प्रोत्साहित भी करेगी।
In our country a young man of 25 years of age gets more respect and recognition, just because he has got into IAS or IPS, than a 60 years old entrepreneur, who has created wealth of crores along with hundreds of jobs.
This needs to change. #privatisation
— Arun Bothra 🇮🇳 (@arunbothra) February 11, 2021
अब पीएम द्वारा संसद में स्पष्ट रूप से प्राइवेट सेक्टर के पक्ष में बयान यह सुनिश्चित करेगा कि विपक्ष और निहित स्वार्थों के लिए प्राइवेट सेक्टर को बदनाम करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे पता चलता है कि नए भारत में धन सृजन करने वालों और व्यापारियों को संदेह की नजर से नहीं देखा जायेगा।