UAE के बाद बहरीन इज़रायल के साथ आ गया है, बाइडन का Abraham Accord को तोड़ने का प्रयास विफल हो रहा है

Abraham Accord को तोड़ने के प्रयास अब हाशिए पर है!

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में साइन किए गए Abraham Accords को पश्चिम एशिया में शांति स्थापना की दिशा में बड़ा कदम माना गया था। हालांकि, बाइडन प्रशासन ने जिस प्रकार अपने शुरुआती दिनों में ईरान के प्रति नर्म रुख अपनाया है, उसने दोबारा क्षेत्र में तनाव को बढ़ा दिया है। बाइडन प्रशासन ना सिर्फ ईरान पर से UN द्वारा प्रस्तावित प्रतिबंधों को हटाने का ऐलान कर चुका है, बल्कि सऊदी अरब और इज़रायल के नेतृत्व के खिलाफ भी कई कड़े कदम उठा चुका है। हालांकि, अब इज़रायल और अरब देश मिलकर भी बाइडन को बैकफुट धकेलने की कोशिशों में जुट चुके हैं।

Abraham Accords के दौरान 15 सितंबर 2020 को इज़रायल के साथ अपने संबंध सामान्य करने वाले बहरीन ने अब इज़रायल के साथ ईरान मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की है। बीते गुरुवार को इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बहरीन के क्राउन प्रिंस शेख सलमान बिन हमद से फोन पर बातचीत की। ईरान ने जिस प्रकार पिछले कुछ दिनों में अपने न्यूक्लियर भंडार को बढ़ाने की धमकी दी है, औए जिस प्रकार बाइडन प्रशासन ईरान के सख़्त तेवरों पर आँख मूँदे बैठा हुआ है, उसने अरब देशों और इज़रायल को साथ आकर बाइडन प्रशासन को संकेत देने पर मजबूर कर दिया है। इज़रायल और बहरीन ने स्पष्ट किया कि अगर ईरान के न्यूक्लियर मंसूबों को लेकर वैश्विक शक्तियाँ कोई भी फैसला लेती हैं, तो उसमें दोनों देशों को शामिल किया जाना चाहिए!

बाइडन प्रशासन के सत्ता संभालने के बाद अरब देशों सहित इजरायल में चिंता देखने को मिली है, ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों के हितों को नकारते हुए बाइडन ईरान को वापस न्यूक्लियर समझौते में शामिल करना चाहते हैं। बाइडन ना सिर्फ UAE और सऊदी अरब को बेचे जाने वाले अमेरिकी हथियारों के समझौतों पर रोक लगा चुके हैं, बल्कि ईरान समर्थित और सऊदी विरोधी हाऊथी उग्रवादियों पर से प्रतिबंध भी हटा चुके हैं। दूसरी ओर White House में कमजोर बाइडन को पाकर ईरान के हौसले आए दिन नया आयाम छूते जा रहे हैं। अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों में ढ़ील दिये जाने के बाद भी ईरान बातचीत की मेज़ पर आने से कतरा रहा है, और अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को और आगे बढ़ाने की धमकी दे रहा है। ऐसे में ईरान के अरब पड़ोसी देशों के साथ-साथ इज़रायल की चिंताएँ बढ़ी हैं।

हालांकि, अरब देश और इज़रायल अब बाइडन को सख़्त संदेश देने की कोशिश में जुटे हैं। UAE ने भी हाल ही में इज़रायल में अपना एक राजदूत तैनात करने का फैसला लिया है, जिसके बाद UAE ने बाइडन प्रशासन को साफ़ संकेत दिया है कि अरब देश Abraham Accords को लेकर अपनी स्थिति पर टिके हुए हैं। दूसरी ओर इज़रायल भी बाइडन के प्रति अपना गुस्सा साफ कर चुका है। हाल ही में एक उच्च इजरायली अधिकारी Danny Danon ने Newsweek से अपनी बातचीत में इस ओर संकेत दिये हैं। Danon UN में इज़रायल के राजदूत रह चुके हैं और साथ ही वे फिलहाल Likud पार्टी की अंतर्राष्ट्रीय शाखा के अध्यक्ष भी हैं। उनके बयान के मुताबिक “आज ईरान 2016 का ईरान नहीं है। वे आज अपने प्रोग्राम को बहुत आगे ले जा चुके हैं। अगर आज अमेरिका ईरान के साथ न्यूक्लियर डील को दोबारा बहाल करता है तो हमें भी अपने विकल्पों पर दोबारा विचार करना पड़ेगा।”

ऐसे में इज़रायल भी बाइडन को कड़ा संदेश देते हुए ईरान के खिलाफ “युद्ध के विकल्प” पर विचार करना शुरू कर चुका है, और अब बहरीन और बाकी अरब देश इज़रायल के साथ इस मुद्दे पर वार्ता कर उसे अपना समर्थन भी दे रहे हैं। इन सब देशों की कोशिश सिर्फ एक ही है- बाइडन को कैसे भी करके इस क्षेत्र को दोबारा युद्ध की आग में धकेले जाने से रोका जाये!

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