किसान आन्दोलन के नाम पर दिल्ली की सभी सीमाओं के इलाकों में लगभग 80 दिनों से अराजकतावादी तथाकथित किसान गिरगिट से भी तेज अपने रंग बदल रहे हैं, जिसके कारण जनता की नजरों में ये आंदोलन एक प्रायोजित हिंसा का पर्याय बन गया है। ऐसे में दिलचस्प बात ये है कि वो लोग जो पहले 26 जनवरी की हिंसा को लेकर मुख्य आरोपी दीप सिद्धू के बीजेपी से जुड़े होने की बात कह रहे थे और उस पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे थे। वही लोग अब उस आरोपी दीप सिद्धू की गिरफ्तारी के बाद उसके बचाव में उतर आए हैं और उसकी रिहाई की मांग करने लगे हैं जो दिखाता है ये लोग असल में हिंसा के ही पक्षधर हैं।
26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद देश में किसान आंदोलन के प्रति नकारात्मक लहर चलने लगी थी। ऐसे में किसान नेताओं के लिए जब तथाकथित किसान आंदोलन का खात्मा हो गया था तो इन लोगों ने अपने कुकृत्यों के लिए एक बकरा दीप सिद्धू और लक्खा के रूप में तैयार कर लिया। इन सभी का कहना था कि ये दीप सिद्धू ही गणतंत्र दिवस की हिंसा का मुख्य मास्टर माइंड है और इसे बीजेपी ने ही अपना आदमी बनाकर किसान आंदोलन को बर्बाद करने के लिए भेजा है। उनका कहना था कि इसकी तुरंत गिरफ्तारी की जानी चाहिए। उन्हें लगा था कि दीप सिद्धू के भागने पर उसके राज उसके साथ ही दफ्न हो जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
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दीप सिद्धू हाल ही में गिरफ्तार हुआ है और अब ऐसा माना जा रहा है कि वो सारे किसान नेताओं के राज खोलेगा। ऐसे में किसान नेताओं और उनके प्रायोजकों को डर है कि उनके किसान आंदोलन के नाम पर किए गए सारे कुकृत्य सामने आ जाएगें। इसके चलते अब उस शख्स की रिहाई की मांग उठने लगी है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के मंच से ही दीप सिद्धू और लक्खा सिधाना की रिहाई की मांग उठी है। वहीं अब कमेटी के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू की ओर से इस मांग का स्वागत किया गया है। खास बात ये है कि इसी मंच से पन्नू ने 26 जनवरी की घटना के लिए दीप सिद्धू बायकॉट किया था और वही अपना रंग बदलने लगे हैं।
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इस मुद्दे पर किसानों के आंदोलन से जुड़े निहंग सिंह बाबा राजा सिंह ने पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं की खूब आलोचना की है। उनका कहना है कि किसान नेताओं ने लाल किले पर गए युवाओं को बायकॉट कर अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार ली है। इन सभी ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की खूब प्रशंसा भी की और कहा कि उन्होंने अपने लोगो को अभी भी अपने ही साथ रखा है। जागरण की रिपोर्ट बताती है कि पंजाब में अमृतसर के बाबा बकाला क्षेत्र से आए प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के नेताओं से उन्हें रिहा करवाने की मांग की है। सतनाम सिंह पन्नू से लेकर पंजाब के कई संगठन अब सिद्धू की रिहाई की मांग करने लगे हैं।
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पंजाब के किसान नेताओं में सिद्धू को लेकर बदला रुख इस तथाकथित किसान आंदोलन की पोल भी खोलता है। इन सभी लोगों ने एक वक्त 26 जनवरी की हिंसा के लिए देश की मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाए थे और यहीं किसान नेता अब इस मुद्दे पर सिद्धू और लक्खा का समर्थन कर इस तथाकथित किसान आंदोलन की पोल खोलने पर उतारू हो रहे हैं।
दीप सिद्धू की रिहाई की मांग करके असल में अब किसान अपने ही फैलाए जाल में फंस गए हैं, क्योंकि 26 जनवरी की हिंसा के बाद किसान आंदोलन पहले ही अपनी विश्वसनीयता खो चुका है और अब जब कुछ राजनीतिक पार्टियां इसे समर्थन दे रही हैं तो ऐसे में दीप सिद्धू की रिहाई की बात करके रही बची विश्वसनीयता भी कूड़ेदान में जा चुकी है।