इन दिनों केंद्र सरकार फुल फ़ॉर्म में है। जिस प्रकार से केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के नाम पर अराजकतावादियों को बढ़ावा देने वाले बिग टेक कंपनियों पर कार्रवाई की है, उससे स्पष्ट हो चुका है कि वह लाल किले पर उपद्रव करने वाले लोगों को बख्शने के मूड में बिलकुल नहीं है, और शायद इसीलिए गूगल ने अपने तेवर पूरी तरह से बदलते हुए केंद्र सरकार का खुलेआम सहयोग करने का निर्णय किया है।
वो कैसे? दरअसल गूगल ने ग्रेटा थनबर्ग द्वारा लीक किये गए टूलकिट के संबंध में दिल्ली पुलिस को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने न सिर्फ इस टूलकिट से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी साझा की है, बल्कि केंद्र सरकार को आगे भी सहयोग करने का वादा किया है।
Dwarka में स्थित दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने इसके साथ ही एक और अहम कामयाबी हासिल करते हुए अधिवक्ता निकिता जेकब एवं कथित पर्यावरणवादी शांतनु मुलुक को पूछताछ के लिए उपस्थित होने पर विवश कर दिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि शांतनु और निकिता को न सिर्फ दिशा रवि के साथ पूछताछ के लिए बिठाया जाएगा, बल्कि तीनों से cross questioning भी की जाएगी।
बता दें कि किसान आन्दोलन के समर्थन के नाम पर 3 फरवरी को रिआना फेंटी, मिया खलीफा और ग्रेटा थनबर्ग ने भारत विरोधी ट्वीट्स को अपने -अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया। इसके जवाब में कई भारतीय सेलेब्रिटीज़ ने प्रतीकात्मक ट्वीट्स भी किये। लेकिन उसी दिन एक सनसनीखेज खुलासा हुआ, जब अनजाने में ग्रेटा थनबर्ग ने एक टूलकिट अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट कर दिया, जिसमें किसान आंदोलन के नाम पर भारत में अराजकता फैलाने और उसकी शांतिप्रिय छवि को बर्बाद करने का पूरा लेखा जोखा उपलब्ध था।
तो इसका गूगल के निर्णय से क्या लेना देना है? दरअसल लाल किले पर उपद्रव के कारण केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए सभी प्रकार के सोशल मीडिया कंपनी एवं टेक कंपनियों से सहयोग करने को कहा। लेकिन जब ट्विटर ने सरकार के दिशानिर्देश की अवहेलना की, तो केंद्र सरकार ने भी ट्विटर के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी।
हालांकि निशाना ट्विटर था, परंतु संदेश अन्य कंपनियों को भी पहुँच गया। गूगल ने सर्वप्रथम भड़काऊ गीतों को अपने वीडियो साइट यूट्यूब से हटाना शुरू किया, और फिर जब टूलकिट गिरोह के इरादे जगजाहिर हुए, तो गूगल ने बिना शर्त सरकार का सहयोग करना शुरू कर दिया। अब जिस प्रकार से वह सरकार के साथ भारत विरोधी टूलकिट के हर एक डीटेल को साझा कर रहा है, वो अपने आप में ये स्पष्ट करता है कि भारत के हितों के साथ समझौता नए भारत में कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा।