जिस कश्मीर को अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की राजनीति ने रक्तरंजित कर दिया था, जिस कश्मीर की सनातन संस्कृति को कुचलने की कोशिश सन 1990 से चल रही थी, उस कश्मीर में अब सनातन संस्कृति की ज्योति पुनः जगमगाने को है। जो मंदिर आतंकियों के खौफ से 30 साल पहले बंद हुए थे, वे अब दुबारा खुले है।
ये कहानी श्रीनगर के शीतलनाथ मंदिर की है, जहां 31 वर्ष बाद घंटों की मंगलध्वनि गूंजी है। बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर इस मंदिर को 31 वर्ष बाद भक्तों के दर्शन हेतु खोला गया। सूत्रों के अनुसार, श्रीनगर के हब्बा कदल क्षेत्र में स्थित इस मंदिर को आतंकवाद और कश्मीरी हिंदुओं के पलायन के कारण 1990 में बंद करना पड़ा था।
बसंत पंचमी के अवसर पर मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पहुंचीं संतोष राजदान (Santosh Razadan) ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि मंदिर को फिर से खोलने में स्थानीय लोग, खासतौर पर मुस्लिम समुदाय का काफी सहयोग मिला है। उन्होंने कहा कि लोग यहां पहले पूजा करने आते थे, लेकिन आतंकवाद के कारण इस मंदिर को बंद कर दिया गया था। आसपास रहने वाले हिंदू भी पलायन कर गए थे।
शीतलनाथ मंदिर में पूजा करा रहे रविंदर राजदान (Ravinder Razdan) ने कहा कि पहले हम हर साल बसंत पंचमी पर यहां पूजा करते थे। दरअसल, बाबा शीतलनाथ भैरव की जयंती बसंत पंचमी पर आती है, और यही कारण है कि हम इस दिन को धूमधाम से मनाते हैं।
अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की राजनीति से 1980 के दशक के खत्म होते होते आतंकियों को बल मिलने लगा, और 1989 में अधिवक्ता एवं भाजपा नेता टीका लाल टपलू की हत्या के बाद कश्मीरी हिंदुओं के विरुद्ध अत्याचार का वो सिलसिला शुरू हुआ, जो 1990 में एक विशाल त्रासदी में परिवर्तित हो गया। 1947 के बाद पहली बार भारत के एक क्षेत्र में रहने वाले हिंदुओं को अपने ही घर से पलायन करना पड़ा था। कई मंदिरों को कट्टरपंथी मुसलमानों ने ध्वस्त किया था और कई मंदिरों के कपाट हमेशा के लिए बंद हो चुके थे।
लेकिन धारा-370 हटाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों और पत्थरबाजी की घटनाओं में काफी कमी देखने को मिली है, जिससे अब घाटी के हालात भी सुधर रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी (G Kishan Reddy) ने राज्यसभा में बताया था कि घाटी में 2019 में 157 आतंकवादी मारे गए थे जबकि 2020 में यह संख्या बढ़कर 221 हो गई थी।
ऐसे में शीतलनाथ मंदिर जैसे मंदिरों का घाटी में पुनः खुलना इस बात का सूचक है कि कश्मीर घाटी में सनातन संस्कृति की वापसी प्रारंभ हो चुकी है, और धीरे धीरे लोग अपने धर्म में पुनः विश्वास प्राप्त कर रहे हैं। जिस प्रकार से घाटी के हालात सुधर रहे हैं, उससे यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कश्मीर में वाकई अमन की स्थापना होने लगी है।