देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में बगावत की एक ऐसी हवा चल रही है कि अब पार्टी नेतृत्व के हाथ में कुछ रहा ही नहीं है। इन बगावती नेताओं में सबसे आगे कपिल सिब्बल का नाम है। वो लगातार पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के अंदर और बाहर अपनी बेबाक राय रखते रहे हैं, साथ ही राहुल गांधी के पुनः राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने को लेकर अपनी नाराजगी भी सार्वजनिक रूप से जाहिर करते रहे हैं जो दिखाता है कि वो खुद पार्टी में अध्यक्ष पद की महत्वकांक्षा पाले हुए हैं। हाल ही में अब उन्होंने पार्टी के नेताओं में सबसे ज्यादा फंडिग कर सबको चौंका दिया है क्योंकि उन्होंने वर्ष 2019-20 में सबसे ज्यादा फंड दिया है। इससे साफ है कि वो पार्टी पर अपना कब्जा जमाने की नीति पर काम करने लगे हैं।
कांग्रेस पार्टी में आंतरिक रूप से भी नेता चंदे के रूप पैसे डालते हैं, जिसकी रिपोर्ट बाद में इलेक्शन कमीशन के जरिए सामने आती हैं, लेकिन एक वाकए ने सभी को चौंका दिया है जिसके केन्द्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल हैं। वो लंबे वक्त से पार्टी आलाकमान पर पार्टी अध्यक्ष के पद और कार्यशैली को लेकर नाराज चल रहे थे, जिसके बाद ये माना जा रहा था कि वो अब पार्टी से धीरे-धीरे किनारा कर लेंगे। इसको लेकर पार्टी के अंदर सिर-फुटौअल की स्थिति भी आ गई थीं। ऐसे में ये माना जा रहा था किवो पार्टी के आंतरिक चंदे की प्रक्रिया में भी बेहद कम सहयोग ही देंगे और ये सोचना लाजमी भी है क्योंकि वो पार्टी के खिलाफ हर एक मंच से विरोध के सुर छेड़ रहे थे, लेकिन कपिल सिब्बल ने तो अब सभी अनुमान लगाने वालों को चौंका दिया है।
इलेक्शन कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक कपिल सिब्बल ने 2019-20 में होने वाली पार्टी की फंडिंग में सबसे ज्यादा तकरीबन तीन करोंड़ रुपए फंड का दिया है, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह से लेकर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने भी बस मामूली रकम ही दी है। सोनिया ने 50 हजार और राहुल गांधी ने मात्र 54 हजार रुपए दिए हैं। इसके अलावा इस सूची में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, स्व. अहमद पटेल, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी शामिल हैं। इन सभी ने भी पार्टी फंड में 54,000 रुपये का योगदान दिया है।
अब इन सारे बिंदुओं को समझने के बाद ये कहा जा सकता है कि कोई भी साधारण आदमी असमंजस की स्थिति में आ सकता है कि एक इंसान जो अपनी पार्टी से हद से ज्यादा नाराज है, वो खुद ही एक बड़ी रकम पार्टी कोष में चंदे के तौर पर दे रहा है लेकिन इसके पीछे एक बड़ा खेल भी है, जिसके अब संकेत मिलने लगे हैं। कपिल सिब्बल ने हमेशा ही अध्यक्ष पद को लेकर गांधी परिवार की आलोचना की है और राहुल के नेतृत्व को नाकाफी बताया है। उनकी बातें साफ संकेत देती हैं कि वो अब पार्टी में अध्यक्ष पद का महत्वकाक्षां रखे हुए हैं।
वहीं अब पार्टी में सबसे वरिष्ठ नेताओं से भी ज्यादा फंडिग देकर सिब्बल पार्टी में ऊपर से लेकर नीचे तक कार्यकर्ताओं को संदेश दे रहे हैं कि पार्टी से उनका विरोध नहीं है, बस वो आलाकमान के कामकाज से खुश नहीं हैं। उनका ये संदेश देने का मतलब ये आसानी से निकलता है कि पार्टी के अन्य नाराज धड़े भी उनके साथ खड़े होकर आलाकमान का विरोध करें। इसके बाद विश्लेषकों ने ये मानना शुरु कर दिया है कि कपिल सिब्बल अब कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए पैसे तक का सहारा ले रहे हैं और पैसों के दम पर वो पार्टी को कब्जाने की नीति पर काम करने रहे हैं जो कि कांग्रेस के लिए काफी दिलचस्प स्थिति है।