ताइवान, ऐसा देश है जिसका अस्तित्व दुनिया ने चीन के दबाव में नकार दिया था, परंतु इस देश ने पिछले एक वर्ष में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाई है, अब आर्थिक विकास में भी नए कीर्तिमान बना रहा है। चीन के लिए कूटनीतिक स्तर पर सिरदर्द बने रहने वाले Taiwan ने आर्थिक विकास के क्षेत्र में भी अपने परम शत्रु चीन को पीछे छोड़ना शुरू कर दिया है।
Taiwan’s statistics agency की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार Taiwan की आर्थिक विकास दर, 2020 के अंतिम तिमाही में पिछले वर्ष की अंतिम तिमाही की अपेक्षा 4.94% अधिक रही है। जबकि पूरे वर्ष की बात करें तो ताइवान 3% की विकास दर से बढ़ा है।जबकि चीन की बात करें तो वह 2.3% की आर्थिक विकासदर प्राप्त कर सका।
ताइवानी ब्यूरो की ओर से कहा गया है कि “आर्थिक विकास दर में बढ़ोतरी का कारण विनिर्माण क्षेत्र द्वारा लगातार किया गया घरेलू निवेश। है। हमारी विनिर्माण क्षमता लगातार बढ़ती रही और सप्लाई चेन को स्थानीयकृत करने का भी लाभ मिला है। घरेलू (उपभोक्ता) व्यय में कमी उतनी बड़ी समस्या नहीं है, जितना हम पिछली तिमाही में सोच रहे थे”।
Taiwan की अर्थव्यवस्था के स्वस्थ होने का कारण उनका तेजी से बढ़ता इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्यात है, जिसने 2020 की अंतिम तिमाही में 21.2% की बढ़ोतरी दर्ज की है।
1990 तक ताइवान की अर्थव्यवस्था का आकार 166 बिलियन डॉलर था। तब Taiwan के आर्थिक विकास में बड़ी हिस्सेदारी इलेक्ट्रॉनिक और प्लास्टिक की वस्तुओं के निर्यात की थी। लेकिन जब चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था का 90 के दशक में उदारीकरण किया तो इसका असर ताइवान पर पड़ा। बड़ा आकार, बड़ी जनसंख्या और राजनीतिक स्थिरता चीन को निवेश के मामले में ताइवान से बहुत आगे ले गई और ताइवान की अपनी विनिर्माण और निर्यात शक्ति बुरी तरह प्रभावित हुई।
चीन के आर्थिक विकास ने उसकी सैन्य क्षमता को ताइवान की अपेक्षा बहुत मजबूत कर दिया। साथ ही चीन में निवेश के लिए अनुकूल माहौल के कारण, पश्चिमी देश भी चीन विरोधी रुख से बचने लगे। अतः इस पूरी कालावधि के दौरान ताइवान चीनी सेना द्वारा उसकी सीमा में घुसपैठ को झेलता रहा एवं दुनिया में भी कूटनीतिक स्तर पर अलग थलग पड़ा रहा। किंतु कोरोना ताइवान के लिए एक अवसर बनकर आया और चीनी वायरस से जूझती दुनिया में, Taiwan की मास्क डिप्लोमेसी, उसे पुनः वैश्विक पटल पर लाने में मददगार रही।
ताइवान को विश्व पटल पर पुनः पहचान दिलाने में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन की बड़ी भूमिका है। उन्होंने चीन का हर मौके पर साहस के साथ सामना किया है। पिछले एक वर्ष में डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के विरुद्ध शीत युद्ध जैसा माहौल बनाया था। इस दौरान अमेरिका ने हांगकांग और Taiwan के मुद्दे को बड़े आक्रामक तरीके से उठाया। एक ओर हांगकांग की सबसे प्रमुख नेता कैरी लैम, चीन के दबाव में झुक गईं एवं उन्होंने अमेरिका का साथ नहीं, वहीं दूसरी ओर साई वेन बहादुरी के साथ अपने देश का नेतृत्व करती रहीं। फिर चाहे F16 विमानों की डील हो या WHO और चीन की कलई खोलना हो, वेन कहीं पीछे नहीं हटी।
ताइवान का आर्थिक विकास भारत के लिए भी अच्छी खबर है। भारत और ताइवान लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करने वाले देश हैं और दोनों ही चीन के धुर विरोधी हैं। ऐसे में भारत और ताइवान आर्थिक सहयोग के लिए नए अवसर बना सकते हैं। भारत को Taiwan की उच्च तकनीक हासिल हो सकती है और ताइवानी कंपनीयों के लिए भारत का बाजार खोला जा सकता है।