पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दिन फिलहाल अच्छे नहीं चल रहे हैं। विधानसभा चुनावों को लेकर पहले ही बीजेपी उन पर सियासी हमले कर रही है तो दूसरी ओर दल-बदलुओं ने उनके लिए नई मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं। ऐसे में अब वो ये नहीं चाहतीं कि कोई और नेता उनका साथ ना छोड़े। इसलिए अब उन्होंने पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम चुके अपने ही मंत्री रहे राजीव बनर्जी के खिलाफ जांच बिठा दी है, जिससे टीएमसी छोड़ने की सोच रहे नेता जांच के डर से टीएमसी न छोड़ सके। ममता बनर्जी की इस नीति को अपने ही नेताओं पर दबाव बनाने की चाल के रूप में देखा जा रहा है।
पिछले तीन महीनों में ममता बनर्जी के करीबी शुभेंदु अधिकारी से लेकर लोकसभा सांसद सुनील मंडल समेत और कई नेतोओं ने टीएमसी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है। इसके चलते ममता दीदी की सियासी ताकत दिनों-दिन कम होती जा रही है। इतना ही नहीं बीजेपी का जनाधार इन टीएमसी नेताओं के शामिल होने से और अधिक बढ़ गया है। जिससे पूरे राज्य में बीजेपी के पक्ष में एक लहर चल रही है, जिसकी काट निकालने का ममता बनर्जी के पास कोई रास्ता नहीं है। इसलिए अब वो अपने किले को बचाने के लिए दबाव की नीति पर चल रही हैं, जिससे कोई अन्य नेता टीएमसी पार्टी छोड़ने का रुख न करे।
ममता बनर्जी ने अब अपने ही पूर्व कैबिनेट मंत्री और पर्यावरण विभाग संभालने वाले राजीव बनर्जी के खिलाफ जांच बिठा दी है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर राजीव बनर्जी पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं। ममता बनर्जी ने कहा, “वह आदमी, जो हमारे साथ था, लेकिन अब चला गया है, उसने वन सहायकों की भर्ती प्रक्रिया में कुछ हेरफेर की है। उसने पहले चोरी की और अब फिर भाजपा में शामिल हो गया।” ममता बनर्जी ने आगे कहा, “मुझे कई लोगों से उसकी शिकायतें मिली हैं। हम मामले की जांच कर रहे हैं। अगले कुछ दिन में चुनावों की घोषणा होने की संभावना है, फिर भी जांच जारी रहेगी।”
इस मामले में भाजपा आरोप लगा रही है कि ममता को अगर उन्हें पता था कि राजीव बनर्जी भ्रष्टाचारी हैं तो उन्होंने उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की? या तो वो भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रही थीं, या फिर अब वो बीजेपी में जाने पर राजीव पर जानबूझकर सियासी साजिश कर रही हैं। बीजेपी की बातों से इतर ममता बनर्जी इस मुद्दे पर एक बड़ी ही अहम सियासी चाल चल रही हैं। इस चाल का मुख्य निशाना राजीव बनर्जी नहीं बल्कि उनके ही टीएमसी नेता हैं।
ममता बनर्जी का सियासी कुनबा छोटा होता जा रहा है। टीएमसी से लगातार सांसद से लेकर विधायक और पार्षद तक पार्टी छोड़ बीजेपी में जा रहे हैं जिससे जनता के बीच उनकी छवि खराब हो रही है। ऐसे में ममता बनर्जी अपने ही नेताओं पर दबाव बनाने की रणनीति पर चलते हुए राजीव बनर्जी के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच करवाने की बात कर रही हैं। ममता का संदेश साफ है कि जो टीएमसी छोड़कर जाएगा, उनके बारे में भ्रष्टाचार संबंधी जानकारी उनके पास है और उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। ममता दीदी की दबाव वाली नीति को उनके अपने नेताओं को रोकने वाले आखिरी दांव के रूप में देखा जा रहा है।