केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के बीच, गुरुवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र का समर्थन किया और कहा कि नए कानून का उद्देश्य किसानों को लाभ पहुंचाना है। कई मौकों पर केंद्र सरकार से उलट रुख अपनाने वाले नीतीश कुमार का इस तरह से मोदी सरकार के समर्थन में बयान कई सन्देश देता है। ऐसा लगता है कि बिहार विधानसभा चुनावों से पहले बनायी गयी अमित शाह की रणनीति में अब वे फंस चुके हैं और उन्हें अब यह एहसास हो चुका है कि अब अगर वे विरोध के जरा सी भी कोशिश करेंगे तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ सकता है क्योंकि न ही अब उनके पास जनमत और न ही विधायक।
दरअसल, दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी कृषि कानून के मुद्दे पर सरकार के साथ है और केंद्र ने तीन कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संघों के साथ बातचीत करके सही रास्ते का विकल्प चुना है।
उन्होंने कहा कि “कृषि कानूनों का उद्देश्य किसानों को लाभान्वित करना है, यह उनके खिलाफ नहीं है। इस मुद्दे को जल्द ही हल किया जाएगा।”
जेडीयू नेता नीतीश कुमार जरूर इस वक्त मुख्यमंत्री की सीट पर हैं लेकिन अब उनकी ताकत पहले जैसी नहीं रही है। बीजेपी ने राज्य में 74 सीटें जीतीं हैं, वहीं उसके खेमे की गठबंधन वाली विकासशील इंसान पार्टी ने भी 4 सीटें जीत कर राज्य में बीजेपी का कद बड़ा कर दिया है। दूसरी ओर बात अगर सीएम पद के चेहरे नीतीश कुमार की पार्टी की करें, तो जेडीयू को केवल 43 सीटें मिली हैं। जिसके चलते जेडीयू न केवल एनडीए में दूसरे बल्कि बिहार की राजनीति में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है। इसी के वजह से नीतीश कुमार बीजेपी पर किसी भी तरह का दबाव बनाने की स्थिति में नहीं हैं।
वहीं, नीतीश के लिए सहज होकर पार्टी के लिए काफी मुसीबतें खड़ी कर रहे बीजेपी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी को राज्यसभा भेज दिया है। अब नीतीश के विरोधी रहे अपने लोकप्रिय अल्पसंख्यक नेता शाहनवाज हुसैन भी नीतीश की कैबिनेट में शामिल हो गये हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में बड़ी पार्टी बनने के बाद मुस्लिम चेहरे को आगे करके बीजेपी ने एक साथ कई सियासी दांव खेला है। अब कम सीटें होने के चलते नीतीश भले ही सीएम हों लेकिन सत्ता पर कब्जा तो बीजेपी का ही है।
नीतीश कुमार की जेडीयू ने ट्रिपल तलाक और अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों को लेकर पर भाजपा के निर्णय के खिलाफ थी। परन्तु अब माहौल बदल चुका है और JDU बिहार विधानसभा के बाद अब राज्य में उतनी ताकतवर पार्टी भी नहीं रह गयी है जिसके दम पर नीतीश कुमार ने विरोध करने का निर्णय लिया था।
ऐसे में अगर नीतीश कुमार किसी तरह से केंद्र सरकार के विरोध में बयान देते है या रुख अपनाते हैं तो उन्हें भारी खामियाजा भुगतना होगा। यही कारण है कि अब नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्रकोप से बचने के लिए कृषि कानून पर खुलकर केंद्र सरकार के समर्थन में बयान दिया है।