संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर देश ने अराजकता का तांडव देखा है। राजनीतिक पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर अपनी सियासी रोटियां सेकने के लिए अलगाव का चूल्हा जला रखा है। इसी सियासत के चलते अकाली दल ने एनडीए का साथ छोड़ बीजेपी और मोदी सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया था, लेकिन अब ऐसा लगता है कि अकाली दल और हरसिमरत कौर बादल किसान आंदोलन के जरिए देश में हिंदुओं और सिखों के बीच धार्मिक उन्माद फैलाने की तैयारी कर रहे हैं जो कि बेहद ही शर्मनाक स्थिति है।
हरसिमरत कौर ने इस किसान आंदोलन के मुद्दे पर मोदी सरकार की जमकर लानत-मलामत की है और केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार सिंघु बॉर्डर पर किसानों के साथ अत्याचार कर रही है। लोकसभा के अपने भाषण में शुरुआत तो हरसिमरत कौर ने किसानों के मुद्दे से की, लेकिन उनका असली सियासत का रंग बाद में सामने आया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री से लेकर कई नेताओं ने निशान साहब का झंडा सिर पर पहना है और अब उस सिखों के धार्मिक ध्वज का अपमान किया जा रहा है।”
और पढ़ें- ‘ये हिंदू गद्दार हैं’, युवराज सिंह के पिता का भाषण पंजाबी हिंदुओं पर हुए अत्याचार की याद दिलाता है
हरसिमरत कौर बादल ने अपने भाषण की शुरुआत गुरुनानक देव जी को याद कर की और अंत में उनके ही बताए मार्गों को ध्वस्त कर सिखों के नाम पर धार्मिक सियासत कर डाली। उन्होंने अपने संबोधन के जरिए हिंदुओं और सिखों के बीच फूट डालने के लिए ये तक कह दिया कि सिखों की वजह से ही हिंदुओं के ‘तिलक’ और ‘जनेऊ’ की सुरक्षा हुई थी। उन्होंने कहा, “सिख गुरुओं ने ‘तिलक’ और ‘जनेऊ’पहनने वालों के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। सिखों ने हमेशा हिंदुओं को बचाया है और अब हिंदू सिख गुरुओं का अपमान कर रहे हैं। सिखों ने हमेशा हिंदुओं को बचाया है और अब हिंदू सिख गुरुओं का अपमान कर रहे हैं।”
"आपके जनेऊ और तिलक को बचाने के लिए हमारे गुरु ने शहादत दी" says @HarsimratBadal_
Leftist-Izlamists hate Hindus, so does Khalistaπis.
Lady speaking the language of ISI trained Trolls pic.twitter.com/pqurhcBiSf— Mihir Jha (@MihirkJha) February 9, 2021
हरसिमरत ने अपने बयान से साबित कर दिया है कि ये जो कुछ किसान आंदोलन के नाम पर हो रहा है, वो किसी गंदी राजनीति की शुरुआत ही है। इसके जरिए सिखों और किसानों को बांटने की प्लानिंग की जा रही है। इससे पहले किसान आंदोलन को लेकर पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने भी हिंदुओं और सिखों के बीच दरार डालने वाला घिनौना बयान दिय था। यही नहीं ये किसान आंदोलन भी सिखों और हिंदुओं के बीच कड़वाहट का ही एक पर्याय बनता जा रहा है। इसीलिए देश में तथाकथित किसानों के आंदोलन को लेकर कोई भी यदि अराजकता के कारण विरोध करता है तो उसकी आलोचना शुरु कर दी जाती है, इसके जरिए जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश में राकेश टिकैत के नेतृत्व में इस मुद्दे को जाटों की अस्मिता से जोड़ दिया गया है। दूसरी तरफ अब अकाली दल और हरसिमरत कौर इस मुद्दे को सिखों से जोड़कर एक नया राजनीतिक और धार्मिक रंग दे रहे हैं।
और पढ़ें- किसान आंदोलन में सामने आई राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं, संघी और कांग्रेसी का लगा रहे एक दूसरे पर आरोप
इस किसान आंदोलन के बीच से खालिस्तान के प्रति समर्थन से लेकर हिंदुओं के प्रति नफ़रत फैलाने वाले बयान सामने आ रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि ये किसान आंदोलन अब हिंदू-बनाम सिख की धार्मिक जंग में झोंका जा चुका है, और इस जंग की आग में हरसिमरत कौर जैसी नेता भड़काऊ बयान देकर अपनी सियासी रोटियां सेंक रही हैं।