सामाजिक जीवन में जब किसी की छवि बिगड़ जाती है तो लोग स्वयं को उस शख्स से दूर करने लगते हैं, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की छवि बिगड़ने के बाद स्थितियां भी कुछ ऐसी ही आ गई है। ममता के नेता भी अच्छे से जानते हैं कि ममता की हार बीजेपी के आने से तय हो गई है। कई ऐसे नेता हैं जो कि टीएमसी छोड़कर बीजेपी में आ चुके हैं जिसके चलते ममता उन लोगों पर अपनी सत्ता का दुरुपयोग कर परेशान कर रही हैं। ऐसे में कुछ विधायक और मंत्री तो ममता का साथ छोड़कर कहीं भी नहीं जाने का संकेत दे रहे हैं जिनमें एक नया नाम रबीरंजन चट्टोपाध्याय का भी है।
पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले ही ये साफ हो चुका है कि इस बार लड़ाई केवल बीजेपी और टीएमसी के बीच ही होगी, खास बात ये है कि कई ओपिनियन पोल्स और सर्वे भी बीजेपी को बहुमत देने के साथ ही उसके जनाधार में अभूतपूर्व उछाल दिखा रहे हैं। ऐसे में टीएमसी नेता और सीएम ममता बनर्जी के लिए सबसे बड़ी मुश्किल की इस बात ये है कि उनके अपने ही नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में जा रहे हैं। इस पर ममता ने कुछ बीजेपी में गए नेताओं पर आपराधिक मुकदमें दर्ज करा ये धमकी भरा संकेत दिया कि वो अब दलबदलुओं पर कार्रवाई करेंगी। इस स्थिति में ममता की पार्टी के नेताओं का डरना लाजमी है लेकिन वो ममता के कुकर्मों को भी बहुत अच्छे से जानते हैं।
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ममता दीदी के कुकर्मों के कारण ही उनकी हार और बीजेपी के हाथों सामने दिखने लगी है। इसके चलते टीएमसी के कई ऐसे नेता हैं, जो कि ममता के साथ खुद का नाम नहीं जोड़ना चाहते हैं। इस सूची में टीएमसी के बेहद वरिष्ठ और दिग्गज नेता रबीरंजन चट्टोपाध्याय का नाम भी शामिल हैं। बर्धमान से टीएमसी विधायक रबीरंजन ने कहा है कि वो अब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने अपने टीएमसी से हाथ पीछे खींचने की वजह अपनी 79 वर्षीय उम्र और सेहत को बताया है और ममता को दस साल तक विधायक बनाए रखने का और पार्टी में महत्व देने का आभार जताया है।
रबीरंजन पीछे हटने की वजह अपनी सेहत को बता रहे हैं लेकिन क्या ये इतना सहज जवाब हो सकता है? किसी भी राजनीतिक विश्लेषक के लिए इस जवाब को पचाना काफी मुश्किलों वाली बात होगी। पश्चिम बंगाल में जिस तरह से बीजेपी अपना चुनावी अभियान चला रही है, उससे टीएमसी के नेताओं की नींद उड़ गई है। ममता की हार को सामने देख ममता के खेमें से अनेकों विधायक और मंत्री इस्तीफा देकर बीजेपी का रुख कर चुके हैं जिसके बाद ममता दीदी अपनी सत्ता का दुरुपयोग कर उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए आपराधिक मामले दर्ज करा रही हैं। ऐसे में टीएमसी के कई नेता बीजेपी में जाने से बचने लगे हैं लेकिन वो चुनावों में अपना नाम टीएमसी के साथ भी नहीं जोड़ना चाहते हैं, इसके चलते ये नेता अपने अलग अलग बहाने बनाकर टीएमसी का दामन छोड़कर घर में बैठ रहे हैं।
कुछ दिनों पहले ही ममता के खेल राज्यमंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला ने भी कहा था कि वो अब चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। लक्ष्मी रतन एक प्रतिष्ठित भारतीय टीम के क्रिकेटर रहे चुके हैं और इस कद का कोई भी व्यक्ति ममता जैसी नेता की पार्टी के साथ अपना नाम नहीं जोड़ना चाहेगा जिनकी छवि राज्य की कानून व्यवस्था से लेकर मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण खराब हो चुकी है। उन्होंने कहा था कि वो अपने क्रिकेट पर अधिक ध्यान देना चाहते हैं, लेकिन असल बात इतनी सी है कि वो अपनी छवि को बर्बाद नहीं होने देना चाहते हैं इसीलिए वो अब ममता से दूर हैं।
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ये दोनों ही प्रकरण इस बात का सटीक बड़ा उदाहरण हैं कि बीजेपी के जनधार के चलते एक तो ममता की हार टीएमसी के नेताओं को दिख रही है और सबसे बड़ी बात ये है कि टीएमसी के ऊपर लगे संगीन दागों के कारण इन नेताओं की छवि भी बर्बाद हो सकती है और इसीलिए ममता की बर्बाद छवि के कारण टीएमसी के दिग्गज नेता ममता को टाटा BYE-BYE कर रहे हैं।