भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ मोदी सरकार की बड़ी कार्रवाई जारी है, मोदी-शाह सभी को सबक सीखा रहे

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मोदी

बड़े बुजुर्ग सही कहते थे, ‘भावनाओं में प्रहार मत करो, लेकिन यदि करो, तो ऐसा करो कि शत्रु फिर कभी उठ खड़ा न हो’। लगता है पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में केंद्र सरकार इसी नीति का अनुसरण कर रही है, क्योंकि पिछले कई हफ्तों से वह ताबड़तोड़ ऐसे निर्णय ले रही है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत विरोधी तत्वों की बुरी तरह से कमर तोड़ रही है।

जब लाल किले पर 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के नाम पर उपद्रव हुआ था, तो पूरा देश इसके विरुद्ध आक्रोश में उमड़ पड़ा। उन्होंने किसानों के नाम पर अराजकता फैलाने वालों के विरुद्ध केंद्र सरकार पर तगड़े कदम उठाने का दबाव डाला। कई लोगों को तो यह भी लगने लगा कि केंद्र सरकार कमजोर पड़ चुकी है और वह इन अराजकतावादियों को नियंत्रण में नहीं ला पाएगी।

लेकिन मोदी सरकार कुछ और ही योजना बना रही थी। इसके संकेत तभी दिखने लगे जब सरकार की कार्रवाई के डर से कुछ प्रदर्शनकारी अपने आप ही प्रदर्शनस्थल छोड़कर पतली गली से खिसकते लगे। लेकिन केंद्र सरकार ने आक्रामक रुख तब खुलेआम अपनाया, जब आईटी मंत्रालय ने 250 से अधिक ट्विटर अकाउंट पर भ्रामक खबरें फैलाने के लिए ट्विटर को इन अकाउंट्स को सस्पेंड करने के निर्देश दिए, परंतु ट्विटर ने अवहेलना करते हुए केंद्र सरकार को चुनौती देने का प्रयास किया। तब केंद्र सरकार ने जोश में होश खोने के बजाए संयम से काम लिया, और सख्त चेतवानी दी जिसके बाद ट्विटर के तेवर नर्म पड़ने लगे और उसने अकाउंट्स बैन करने का काम शुरू कर दिया। हालांकि, भारत सरकार ने ट्विटर के विकल्प पर भी काम शुरू कर दिया और भारतीय एप KOO को बढ़ावा देना शुरू कर दिया। इसके बाद तो महिमा कौल को ट्विटर इंडिया के प्रमुख के पद से भी हाथ धोना पड़ा।

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इसी बात पर प्रकाश डालते हुए TFIPost के संस्थापक अतुल मिश्रा ने लिखा, “याद है हम ऐसे समय की कल्पना करते थे जब सरकार टुकड़े-टुकड़े गैंग के हर सदस्य की कमर तोड़ देगी। आपको आभास नहीं होगा, पर वर्तमान समय में ऐसा ही हो रहा है”।

लेकिन मोदी सरकार यहीं पर नहीं रुकी। उन्होंने किसान आंदोलन के नाम पर अराजकता करने वालों के विरुद्ध अपनी शैली में कार्रवाई करते हुए उनके पोस्टर्स दिल्ली भर में चिपकाए, और ये भी घोषणा करवाई कि इन्हें ढूँढने वालों को दिल्ली पुलिस पुरस्कृत करेगी। इसी बीच 3 फरवरी को कुछ ऐसा हुआ, जिसने इस पूरे आंदोलन का कच्चा-चिट्ठा खोलकर रख दिया।

जब रियाना, ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा जैसी इंटरनेशनल सेलेब्स ने किसान आंदोलन के नाम पर भारत विरोधी ट्वीट्स किये, इसके बाद कई भारतीय हस्तियों ने इसका जवाब दिया। लेकिन 3 फरवरी को ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक टूलकिट अपलोड किया, जिसमें किसान आंदोलन के नाम पर भारत को बर्बाद करने का पूरा लेखा-जोखा लिखा हुआ था। इसमें ये भी दर्ज था कि किससे बात करनी है और ये भी दर्ज था कि कौन से मीडिया संगठन भारत में रहते हुए भी भारत विरोधी तत्वों की पैरवी करनी है।

बस यहीं पर टुकड़े टुकड़े गैंग ने गलती कर दी – उन्होंने अपना लेखा जोखा एक ऐसी बच्ची के हाथ में दे दिया, जिसे सही गलत का कोई ज्ञान नहीं है। ऐसा सुनहरा अवसर भला मोदी सरकार हाथ से कैसे जाने देती, और उन्होंने एक एक करके इस भारत विरोधी टूलकिट के पीछे के हर व्यक्ति और संगठन के विरुद्ध ताबड़तोड़ कार्रवाई की।

यूं ही नहीं दिशा रवि जैसों को हिरासत में लिया है, इसके बाद तो निकिता जेकब, शांतानु जैसों के नाम सामने आने लगे और इनके खिलाफ कार्रावाई शुरू हो गई। वहीं, दीप सिद्धू की गिरफ़्तारी से कथित किसान नेताओं के हाथ पैर फूले हुए हैं।

किसान आंदोलन के नाम पर भ्रामक तथ्यों और असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देने में शामिल न्यूज पोर्टल न्यूज़ क्लिक के मालिक प्रबीर पुरकायस्थ और संपादक प्रांजल के खिलाफ भी सरकार ने एक्शन लिया।

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ऐसे में ये स्पष्ट हो चुका है कि मोदी सरकार अब फ्रंट फ़ुट पर खेलते हुए टुकड़े-टुकड़े गैंग के छक्के छुड़ा रही है। न इस गैंग के बाकी सदस्य अपने साथियों की रक्षा कर पा रहे हैं, और न ही ‘अंतर्राष्ट्रीय दबाव’ केंद्र सरकार का कुछ बिगाड़ पा रही है।

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