बाइडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बनने के बाद से ही एक के बाद एक ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिसने चीनी प्रशासन की चिंताओं को काफी हद तक कम किया है। चीन भी बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही अधिक साहसी दिखाई दे रहा है, जिसके बाद वह एक के बाद एक कई आक्रामक कदम उठा रहा है। उदाहरण के लिए दक्षिण चीन सागर में चीनी कोस्ट गार्ड को ओपन फायर करने की छूट देना और ताइवान के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाना! बाइडन-जिनपिंग एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं, क्योंकि ओबामा प्रशासन में उप-राष्ट्रपति रहे जो बाइडन जिनपिंग के साथ मिलकर काम कर चुके हैं। बाइडन और जिनपिंग पूर्व में एक दूसरे के इतने करीबी रह चुके हैं कि एक थ्योरी के मुताबिक बाइडन ने वर्ष 2012 में जिनपिंग को उनके विरोधी के बारे में जानकारी देकर उन्हें चीन का राष्ट्रपति बनाने में मदद की थी।
दरअसल, बात 2012 की है। तब जिनपिंग चीन के उप-राष्ट्रपति थे और कम्युनिस्ट पार्टी की 2012 की बैठक में उनका पार्टी का सचिव बनाना लगभग तय हो गया था। हालांकि, चीन के राष्ट्रपति पद के लिए उनकी नियुक्ति को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी के ही कुछ जिनपिंग-विरोधी नेता खुश नहीं थे, जिनमें सबसे ऊपर नाम था Bo Xilai का! Bo उस वक्त चीन की Chongqing नगरपालिका के मुख्य अधिकारी थे। वे राष्ट्रपति पद के लिए जिनपिंग की नियुक्ति को रोकना चाहते थे। उन्हीं दिनों जिनपिंग का अमेरिका के दौरे पर जाना हुआ, जहां वे बाइडन से मिले! उनके बीच घंटों तक बातचीत हुई, जिसमे कहा जाता है कि बाइडन ने जिनपिंग को Bo Xilai के मंसूबों के बारे में बताया, और जिनपिंग को पहले ही सावधान कर दिया।
अमेरिका के पास Bo Xilai के मंसूबों की जानकारी Wang Lijun के माध्यम से आई थी, जो Chongqing नगरपालिका में ही Bo Xilai के साथ मिलकर काम करते थे। दरअसल, Wang Chongqing के वाइस मेयर थे। उन्होंने उसी वर्ष अमेरिका में शरण प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था। माना जाता है कि उन्होंने अमेरिका में शरण प्रदान करने के बदले Bo Xilai से जुड़ी कई जानकारी को अमेरिका को सौंपा था, जिसके सहारे बाइडन ने जिनपिंग को उनके विरोधियों के बारे में पहले से ही अवगत कराया।
उसके बाद जैसे ही जिनपिंग वापस चीन पहुंचे, तो उन्होंने जाते ही Bo Xilai के खिलाफ एक के बाद एक कई कार्रवाई की। उन्हें CCP Politburo Standing Committee का सदस्य बनना था, लेकिन उनपर पार्टी के खिलाफ जाने के आरोप लगाकर उन्हें इस पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। उसके बाद Xilai को Central Beijing से 50 किमी दूर एक जेल में बंद कर दिया गया, जिसे राजनीतिक कैदियों को रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
ऐसे में बाइडन ने आज से करीब 9 वर्षों पहले जिनपिंग की राष्ट्रपति बनने में भरपूर मदद की थी। अगर जिनपिंग को Bo Xilai की योजना के बारे में पहले ना पता होता, तो शायद जिनपिंग कभी राष्ट्रपति बन ही नहीं पाते। ऐसे में आगामी चार वर्षों में बाइडन-जिनपिंग की दोस्ती की बदौलत हमें अमेरिका-चीन के रिश्तों में बेहद अधिक मधुरता देखने को मिल सकती है, जो कि अमेरिका के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए खतरनाक है।