“दीवार” के नाम से ही दिमाग में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की छवि उभरकर आती है। वर्ष 2016 के चुनावी प्रचार के दौरान उन्होंने US-Mexico बॉर्डर पर एक “सुंदर और विशाल दीवार” बनाने का विचार सबके सामने रखा था। 6 अक्टूबर 2020 तक अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पर करीब 670 मील लंबी दीवार बनाई जा चुकी थी। इस दीवार का मकसद था कि कैसे भी करके Mexico के रास्ते अमेरिका में प्रवेश करने वाले अवैध घुसपैठियों पर लगाम कसी जाये। ट्रम्प के दीवार जैसी ही एक दीवार आजकल चीन में भी बन रही है, जिसकी ओर दुनिया का उतना ध्यान नहीं जा रहा है। रोचक बात यह है कि चीन यह दीवार बाहरी लोगों को चीन में घुसने से रोकने के लिए नहीं, बल्कि चीनी लोगों को बाहर भागने से रोकने के लिए खड़ी कर रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार चीन म्यांमार और वियतनाम जैसे देशों से सटी सीमा पर तेजी से दीवार का निर्माण कर रहा है। वियतनाम में चीन 4.5 मीटर ऊंची लोहे की दीवार का निर्माण कर रहा है, जिसके ऊपर स्टील के कंटीले तार लगाए जा रहे हैं। चीन अभी कई चरण के तहत इस दीवार का निर्माण कर रहा है। इसी के साथ-साथ चीन म्यांमार से सटे 2000 किमी लंबे बॉर्डर पर भी ऐसी ही एक दीवार को खड़ा कर रहा है। करीब 600 किमी से ज़्यादा लंबी दीवार तो बनाई भी जा चुकी है। दोनों जगह चीनी सरकार और चीनी मीडिया यह दावा कर रही है कि चीन ऐसा चीनी वायरस के रोकथाम और अवैध व्यापार को रोकने के लिए ऐसा कर रहा है, लेकिन विश्लेषक चीन के इन दावों को मानने से खारिज कर रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि चीनी लोग असल में बड़ी संख्या में नौकरी और खाने के लिए चीन छोड़कर पड़ोसी देशों जैसे म्यांमार और वियतनाम भागकर जा रहे हैं। अक्टूबर की radio free Asia की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन से सैकड़ों skilled लोग नौकरी पाने के लिए वियतनाम भाग गए क्योंकि उनके लिए वियतनाम में बेहतर अवसर पैदा हो रहे थे। पिछले महीने ही वियतनाम ने अपने यहाँ से 29 अवैध चीनी घुसपैठियों को पकड़कर वापस चीन को सौंपा था। जिस प्रकार भू-राजनीतिक तनाव के बाद कई विदेशी कंपनियों ने चीन छोड़कर भारत और वियतनाम जैसे देशों का रुख किया है, उसने चीनी मजदूरों के लिए अवसरों को कम कर दिया है, जिसके बाद चीनी लोगों को नौकरी के लिए वियतनाम भागना पड़ रहा है।
चीन के दीवार बनाने के पीछे ऊईगर भी एक बड़ा कारण हो सकते हैं। ABC की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के यूनान प्रांत के रास्ते अक्सर पीड़ित ऊईगर मुस्लिम चीन छोड़कर भागने के प्रयास करते हैं ताकि वे पश्चिमी देशों में शरण ले सकें। इतना ही नहीं, Diplomat की एक रिपोर्ट के अनुसार नॉर्थ कोरिया से भागकर आए लोग भी इसी रास्ते से बाहर भागने का प्रयास करते हैं। यूनान प्रांत की सीमा म्यांमार, लाओस और वियतनाम जैसे देशों से ही लगती है। ऐसे में चीन इन लोगों को बाहर भागने से रोकने के लिए ही अब एक बड़ी दीवार का निर्माण कर रहा है।
चीन की यह दीवार चीन की असल आर्थिक हालत का भी विवरण करती है। कोरोना के बाद अविश्वसनीय आंकड़ों और कम पारदर्शी डेटा के आधार पर चीन अपने आप को बेशक दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का तमगा पहना चुका हो, लेकिन असल में वहाँ के लोगों को रोजगार के लिए भी अब दूसरे देशों की ठोकरे खानी पड़ रही है, जिसके कारण चीनी सरकार को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। इसी शर्मिंदगी से बचने के लिए अब चीनी सरकार दक्षिण एशियाई देशों से सटे इन देशों के बॉर्डर पर दीवार बनाने के लिए मजबूर हुआ है।