किसान आंदोलन जहां धीरे धीरे अपनी अहमियत खोता जा रहा है, तो वहीं कुछ नेता अभी भी इस डूबती नैया पर टिके हुए हैं, इस आस में कि कैसे भी नैया पार लग जाए। इन्हीं में सबसे अग्रणी है किसान नेता राकेश टिकैत, जिनका दावा है कि उनका संगठन दुनियाभर के 73 देशों में फैला है और वे अलग-अलग सरकारों की नीतियों पर भी नजर रखते हैं।
जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा। राकेश टिकैत का दावा है कि वर्तमान किसान आंदोलन को 73 देशों के किसानों का समर्थन प्राप्त है।
हवाई किला बनाने का इससे गजब उदाहरण शायद ही कोई होगा। कल ही इन कथित किसानों ने राष्ट्रव्यापी चक्का जाम घोषित किया था। लेकिन इसका असर कहीं भी नहीं दिखा। आंदोलन के प्रमुख केंद्र पंजाब और कुछ हद तक राजस्थान को छोड़ दें, तो ये चक्का जाम बुरी तरह फ्लॉप सिद्ध हुआ। कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में तो चक्का जाम करने वालों को प्रशासन ने भगा भी दिया। ऐसे में राकेश टिकैत के इस हास्यास्पद आंदोलन को कौन समर्थन दे रहा है, ये तो भगवान ही जाने।
लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं है कि राकेश टिकैत की बातों को पूरी तरह हल्के में लेना चाहिए। जिस प्रकार से ग्रेटा थनबर्ग के कारण टुकड़े टुकड़े गैंग की नई साजिश का पर्दाफाश हुआ है, और जिस प्रकार से इस टूलकिट में खालिस्तानी संगठनों की सक्रियता सामने आई है, उससे अब यह संदेह और पुख्ता होता है कि भारत में अराजकता फैला रहे इन नकली किसानों के पीछे कोई बहुत बड़ा हाथ है। ऐसे में यदि राकेश टिकैत दावा कर रहे हैं कि उन्हें 73 देशों के किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त है, उससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि यह लोग कुछ खतरनाक इरादों को अंजाम देने की तैयारी में है।
जब से गणतंत्र दिवस पर खालिस्तानियों ने लाल किले पर हमले को अंजाम दिया है, तब से किसान आंदोलन को जो थोड़ा बहुत भी जनता से समर्थन मिलता है, वो अब खत्म हो चुका है, और अपने आप को तर्कसंगत बनाए रखने के लिए राकेश टिकैत जैसे कथित किसान नेता नए नए हथखण्डे अपना रहा है। ऐसे में टिकैत अब चाहे जितनी मर्जी रोना रो ले, उसे अब कानून के हत्थे चढ़ने से किसान नेता तो क्या, खुद विदेश में बैठे उसके कथित आका भी नहीं बचा पाएंगे।