दिल्ली सरकार के शिक्षा सचिव , उदित प्रकार राय, का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वो एक सरकारी विद्यालय के बच्चों से कह रहे हैं कि आप केवल अपनी Answer Sheet में कुछ भी लिख दें, हम आपको फेल नहीं करेंगे।
वीडियो में उदित प्रकाश कहते दिख रहे हैं कि “आंसर शीट खाली मत छोड़िए, सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए, अगर आप उत्तर नहीं जानते तो उत्तर के जगह पर प्रश्न को ही लिख दीजिए लेकिन स्थान खाली मत छोड़िए ,हम आपको पास कर देंगे फ़ेल नहीं करेंगे। हमारी आपके अध्यापकों से बात हुई है और उन्होंने कहा है कि अगर आपकी उत्तर पुस्तिका में कुछ भी लिखा रहा तो आपको फेल नहीं करेंगे बल्कि, वो आपको अंक दे देंगे। हमने CBSE से भी बात की है कि यदि बच्चे कुछ भी लिखते हैं, तो उन्हें अंक मिलने चाहिए।”
उनका वीडियो वायरल होने के बाद इस बात को लेकर काफी विवाद हो गया है। कई राजनीतिक दलों, पैरेंट एसोसिएशन आदि ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। The All India Parents Association के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा है “मैने इस मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, और अनुरोध किया है कि शिक्षा सचिव (उदित प्रकाश) के खिलाफ उचित कार्रवाई करें।यह अचंभित करने वाला है कि शिक्षा सचिव बच्चों को ऐसी सलाह दे रहे हैं और उनसे कह रहे हैं कि उत्तर पुस्तिका में कुछ भी लिख दें या प्रश्न को ही कॉपी पर लिख दें। उन्होंने (उदित प्रकाश) ने यह भी कहा है कि वे CBSE से भी (ऐसा करने के लिए) बात करेंगे।”
The Indian Express के अनुसार जब उन्होंने इस संदर्भ में उदित प्रकाश से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। हालांकि शिक्षा सचिव डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उदित प्रकाश का बचाव करते हुए कहा कि बच्चों का यह साल कोरोना के कारण पहले ही खराब हो चुका है, ऐसे में उदित प्रकाश केवल उन्हें उत्साहित कर रहे थे।वह केवल बच्चों को यह कहना चाहते थे कि वे डरे नहीं, CBSE या किसी अन्य की परवाह किये बिना अपने उत्तर लिखें।
दिल्ली एजुकेशन डिपार्टमेंट का तर्क बिना सिर पैर का है। उदित प्रकाश का वक्तव्य बच्चों को बेपरवाह कम लापरवाह अधिक बनाएगा। शिक्षा विभाग से जुड़ा इतना वरिष्ठ अधिकारी अगर यह कहे कि आप कुछ भी लिखें आपको फेल नहीं करेंगे, तो यह पूरी शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न उठाता है। केजरीवाल सरकार अपने शिक्षा मॉडल को आदर्श बताती है, लेकिन शिक्षा सचिव का वक्तव्य उनके दावों की पोल खोलता है। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, सुविधजनक कक्षाएं ही शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर नहीं बताती. सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है ईमानदारी से हुई परीक्षा और इस मामले में दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति असफल दिख रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने का तब तक कोई मतलब नहीं बनता जब तक अच्छी शिक्षा न मिले और ईमानदारी से परीक्षा न हो।