अमेरिकी राज्स्व सचिव Janet Yellen (जैनेट येलेन) के अंतर्गत बाइडन प्रशासन नई कर नीति के साथ सामने आ रहा है। ऐसे में बाइडन प्रशासन की ये योजना पूंजीगत लाभ पर कर बढ़ाने की है। दिलचस्प बात ये है कि ये अभी स्टॉक स्वामित्व वाले करों के जरिए पहले ही ये कर 37 प्रतिशत पर हैं। अभी तक ये कर केवल स्टॉक की खरीद पर ही लगता था लेकिन अब स्टॉक के ऊपर जाने पर भी ये कर लगाया जाएगा। ये सारी बाते जैनेट येलेन ने एक सम्मेलन के दौरान ही कही हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी स्टॉक की डॉलर कीमत 20 से 30 फीसदी तक ऊपर जाती है तो फिर बढ़े हुए 10 डॉलर पर भी टैक्स लगाया जाएगा। अगर किसी शेयर के मूल्य में 20 डॉलर से 30 डॉलर तक की वृद्धि होती है और वो शेयर को नहीं बेचता है तो भी स्टॉक से हुए 10 डॉलर के लाभ पर कर लगाया जाएगा।
इस नई पॉलिसी के बाद विश्लेषकों का मानना है कि इससे उन देशों को फायदा होगा जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से उबर रही है, जिसमें भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाएं भी शामिल हैं। स्पष्ट है कि इससे भारत और चीन जैसे उभरते बाजारों में अरबों डॉलर आएंगे और अमेरिकी शेयर बाजार कम आकर्षक होगा। इस मुद्दे पर 140 बिलियन डॉलर्स के निवेश का प्रबंधन करने वाले अमेरिका के दिग्गज निवेशक हावर्ड मार्क्स ने बताया है कि इस पूरे खेल के बाद अमेरिकी स्टॉक मार्केट पहले से कम आकर्षक रह जाएगा क्योंकि इससे सभी चीजें लगभग समान सी ही हो जाएंगी।
क्रिएटिव प्लानिंग और असेट मैनेजमेंट वाली कंपनियां पहले ही विकासशील देशों में निवेश की प्लानिंग कर रही हैं। इस संबंध में क्रिएटिव प्लानिंग के पीटर मलौक ने कहा, “ज्यादातर क्रिएटिव प्लानिंग के ग्राहक अपने निवेश के लिए 20 से 40 फीसदी तक विकसित और विकासशील दोनों के लिए ही निवेश की प्लानिंग करते हैं।” खबरों के मुताबिक पिछले 6 महीनों में अमेरिका की कई संस्थागत कंपनियों ने भारत के बाजारों में करीब 20 अरब डॉलर का निवेश किया है, और इससे देश में निवेश में भी वृद्धि भी आई है।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन DPIIT के अनुसार भारत ने 36.6 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ ही चालू वित्त वर्ष की छमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, जो कि अपने आप में एक बड़े कीर्तिमान और सफलता का संदेश देता है। वित्त वर्ष 2021 के अप्रैल से जून की पहली तिमाही में देश में 11.5 डॉलर का निवेश आया है। वहीं, जुलाई से सितंबर के बीच करीब 28.1 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सबसे बड़े स्तर पर पहुंच गया है, और अभी ये और ऊंचे स्तर पर भी जा सकता है।
आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रिलायंस जियो और BYJU’S जेसी टेक कंपनियों को सबसे तेजी से आगे बढ़न वाली कंपनियां रही हैं। ऐसे में विदेशी निवेश और जीडीपी विकास दर की तुलना करने पर पता चलता है कि प्रत्येक 1 प्रतिशत के विदेशी निवेश पर करीब 0.4 से 0.6 प्रतिशत तक जीडीपी में असर पड़ता है।
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हालांकि, ये देश के विकास पर भी निर्भर करता है, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि विकसित देशों से आने निवेश से दहाई अंको की जीडीपी दर को छूने में विशेष मदद मिल सकती है। ऐसे मे ये भी कहा जा सकता है कि बाइडन के वामपंथी फैसलों से भारत और यहां की कंपनियों को निवेश के स्तर पर आर्थिक लाभ होगा क्योंकिन वहां से भारी मात्रा में भारत में निवेश आएगा।
भारत में कई कंपनियां निवेश की तलाश कर रही हैं, क्योंकि यहां ऋण की संभावनाएं काफी कम हैं। ऐसे में विदेशी कंपनियां का निवेश देश में पूंजी के आने का एक बड़ा स्रोत बन सकती हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि बाइडन प्रशासन द्वारा लिया गया स्टॉक कर का ये फैसला भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि इससे देश में अनेकों बिलियन डॉलर्स का निवेश आएगा, और भारत को दहाई अंको की जीडीपी को छूने में मदद मिलेगी।