बीते शुक्रवार को पहली बार Quad देशों के नेताओं की एक वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापानी प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने हिस्सा लिया। भारत अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद भी जिस प्रकार Quad में अपनी भूमिका को और ज़्यादा सक्रिय बनाता जा रहा है, उसने अब चीन को संकट में ड़ाल दिया है। इसका सबसे बड़ा सबूत है Quad में PM मोदी की हिस्सेदारी से पहले सामने आया चीनी मीडिया का विलाप! चीनी मीडिया ने Quad में पीएम मोदी के शामिल होने पर एक लंबा चौड़ा लेख लिखकर यह दावा किया है कि अब भारत की वजह से BRICS और शंघाई सहयोग संगठन यानि SCO जैसे समूह अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे हैं।
चीनी सरकार के मुखपत्र Global Times ने एक लेख में यह दावा किया कि भारत अब BRICS और SCO जैसे संगठनों में एक Negative Asset बन गया है, जिसके होने से नुकसान ज़्यादा है और फायदा कम! लेख के मुताबिक “आतंकवाद और कर्ज़ के लेन-देन के अलावा अन्य मुद्दों पर भारत इन समूहों में कोई भूमिका नहीं निभा रहा है। वर्ष 2017 में डोकलाम संकट के बाद BRICS और SCO संगठन भारत के रवैये के कारण कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाये हैं। भारत बाकी देशों के साथ कोई सहयोग नहीं करना चाह रहा है।”
इस सब से दो बातें पूर्ण रूप से स्पष्ट हैं। एक तो यह है कि चीन स्वीकार करता है कि भारत की सक्रिय भागीदारी के बिना वह अपने दम पर SCO और BRICS जैसे संगठनों को आगे ले जाने में अक्षम है और उसे इसके लिए भारत के साथ की आवश्यकता है। दूसरा बिन्दु यह है कि चीन अब Quad में भारत की सक्रिय भूमिका को आधार बनाकर BRICS और SCO के साथी देशों में भारत के खिलाफ नकारात्मक माहौल बनाना चाहता है। चीन खासतौर पर रूस को भारत के खिलाफ भड़काना चाहता है ताकि वह रूस और भारत की रणनीतिक साझेदारी पर चोट कर सके। यह Global Times के लेख से भी स्पष्ट होता है। लेख में एक जगह लिखा है “भारत के रवैये के कारण नई दिल्ली और मॉस्को के सम्बन्धों में तनाव पैदा हुआ है। रूस द्वारा चिंता प्रकट करने के बाद वर्ष 2020 में दोनों देशों के बीच होने वाले वार्षिक सम्मेलन को भी रद्द कर दिया गया था।”
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या वाकई चीन की ये कोशिशें सफ़ल हो पाएँगी? जहां तक रूस की बात है तो यह बात किसी से छुपी नहीं है कि मध्य एशिया, Arctic और रूस के Far East में चीनी प्रभाव को चुनौती देने के लिए रूस को भारत के साथ की आवश्यकता है। इसके साथ ही रूस के डिफेंस सेक्टर को भी भारत ही सबसे अधिक समर्थन देता है और रूस से हर वर्ष अरबों रुपयों के हथियार खरीदता है। ऐसे में रूस तो किसी भी कीमत में भारत के साथ अपनी सम्बन्धों पर पुनर्विचार करने की स्थिति में नहीं है। दूसरी ओर SCO में पाकिस्तान और चीन के अलावा बाकी सभी देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे SCO के साथी देश पहले ही चीन के BRI के सबसे बड़े प्रतिद्वंधी भारत के International North South Transport Corridor में अपनी हिस्सेदारी को सुनिश्चित कर चुके हैं।
BRICS की बात करें तो यहाँ खुद चीन अलग-थलग पड़ा हुआ है। ब्राज़ील, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के आपसी संबंध बेहद मज़बूत हैं। भारत ने जहां एक तरफ ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को अपने वैक्सीन मैत्री अभियान के तहत चीनी वायरस की वैक्सीन उपलब्ध कराई हैं तो वहीं रूस की Spuntik V वैक्सीन का बड़ी मात्रा में भारत में ही उत्पादन हो रहा है। ऐसे में अगर चीन की मंशा यह है कि वह Quad का ढिंढोरा पीटकर SCO और BRICS जैसे संगठनों में भारत को अलग-थलग कर देगा तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है।