जैसा कि TFI ने कहा था सचिन वाझे महाविकास अघाड़ी के विनाश का कारण बैन सकते हैं और शरद पवार अब इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। कुछ ही दिनों पहले TFI ने एक विस्तृत रिपोर्ट में बताया था कि कैसे सचिन वाझे का हिरासत में लिया जाना महाविकास अघाड़ी के खिचड़ी गठबंधन के विनाश का कारण बन सकता है। अब इसी दिशा में शरद पवार लगता है आगे बढ़ने को तैयार हैं, क्योंकि शिवसेना के वर्तमान रुख से वे बिल्कुल भी सहमत नहीं है।
बता दें कि सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे को मुकेश अंबानी के घर के सामने विस्फोटकों से भरी गाड़ी रखने और उस गाड़ी के मूल मालिक मनसुख हिरेन की रहस्यमयी मृत्यु में शामिल होने के आरोप में कई धाराओं के तहत NIA ने हिरासत में लिया है।
NIA arrests Mumbai police officer Sachin Vaze in connection with its investigation into the recovery of explosives from a car parked near Mukesh Ambani's house in Mumbai https://t.co/6AZvHH6rz2
— ANI (@ANI) March 13, 2021
तो फिर शरद पवार क्यों नाराज है? दरअसल, एंटीलिया के बाहर विस्फोटकों से भरी गाड़ी का रखा जाना और कुछ ही दिनों बाद उस गाड़ी के मूल मालिक का रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाया जाना एक बेहद संवेदनशील मामला है, जिसमें शरद पवार एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ की भांति फूँक-फूँक कर कदम रख रहे हैं। परंतु जिस प्रकार से शिवसेना खुलेआम सचिन वाझे का बचाव कर रही है, वो उनके सारे किये कराए पर पानी फेर रहा है।
टीवी9 भारतवर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, “शिवसेना ने सचिन वाझे का बचाव करने के लिए जो स्टैंड लिया है, सचिन वाझे की जिस तरह से वकालत की है, उससे विपक्ष को ठाकरे सरकार पर आक्रामक होने का बहाना मिल गया है। इस बात से शरद पवार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवसेना से खफा बताए जा रहे हैं। शरद पवार की नाराजगी दूर करने के लिए अब शिवसेना की तरफ से डैमेज कंट्रोल करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं”।
लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं होती। शिवसेना और एनसीपी के रुख में स्पष्ट अंतर बताते हुए टीवी 9 की रिपोर्ट में आगे ये भी बताया गया, “बैठक से पहले ही यह चर्चा गर्म थी कि गृहमंत्री अनिल देशमुख या पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह में से किसी ना किसी का जाना तय है। लेकिन बैठक के बाद जयंत पाटिल द्वारा अनिल देशमुख को पद से हटाने की बात बेबुनियाद बताई गई।
हालांकि, पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के मामले में कोई बात नहीं की गई है। एनसीपी की तरफ से इतना जरूर कहा गया कि एनआईए की जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उन पर राज्य सरकार कार्रवाई करेगी। यानि इतना स्पष्ट है कि शरद पवार केंद्रीय जांच एजेंसी की जांच में कोई बयान देने से बचना चाह रहे हैं और राज्य सरकार के बीच में पड़ते हुए देखना नहीं चाह रहे हैं”।
वहीं, दूसरी ओर सचिन वाझे के बचाव में लगी शिवसेना दिन प्रतिदिन ऊटपटाँग बयान देने में लगी हुई है। कभी मुख्यमंत्री की तरफ से बयान आ जाता है कि सचिन वाझे ओसामा बिन लादेन हैं क्या जो ऐसे जांच की जा रही है, तो कभी संजय राउत NIA के सक्रिय होने पर सवाल करते हैं। इससे राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई है, और शरद पवार इस बात से कतई खुश नहीं है। एक राजनीतिज्ञ के तौर पर शरद पवार की कार्यकुशलता पर कोई संदेह नहीं करता, और उनके अनुसार यदि शिवसेना अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आई, तो उन्हे अपने समर्थन पर दोबारा विचार करने के लिए विवश भी होना पड़ सकता है।