गरीब देशों से आ रहे अवैध आप्रवासियों के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए? इसका जवाब तलाशने अगर आप अमेरिका और भारत का दौरा करेंगे, तो आपको इसके दो जवाब मिलेंगे! एक तरफ जहां अमेरिका में बाइडन प्रशासन की सुस्त इमिग्रेशन पॉलिसी के कारण अमेरिका के दक्षिणी बॉर्डर पर एक भीषण आप्रवासी संकट पैदा हो गया है, तो वहीं भारत ने अपनी सख्त और मजबूत बॉर्डर पॉलिसी के कारण म्यांमार में सैन्य शासन के कारण पैदा हुए एक आप्रवासी संकट को टालने में सफलता पाई है। भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह देश को अवैध आप्रवासियों का डेरा नहीं बनने देगी!
बता दें कि पड़ोसी देश में 1 फरवरी को म्यांमार की सेना ने वहाँ की चुनी हुई सरकार का तख़्तापलट कर सभी नेताओं को जेल में ड़ाल दिया था, जिसके बाद देश में हिंसा भड़क गयी है। सेना को लोकतन्त्र समर्थकों पर बेरहमी से कार्रवाई करनी पड़ी है, जिसके कारण प्रतिदिन सैकड़ों लोग अपनी जान गँवाने पर मजबूर हो रहे हैं। इसी बीच लोग बड़ी संख्या में भागकर भारत में आ रहे हैं।
मिजोरम के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि म्यांमार में फरवरी में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से वहां से राज्य में आए शरणार्थियों की संख्या 1,000 पार कर गयी है। अब तक कम से कम 100 लोगों को उनके देश वापस भेजा दिया गया है, लेकिन वे छुपकर वापस भारत में की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐसे में मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सोमवार को मणिपुर की सरकार ने म्यांमार से आने वाले लोगों पर बैन लगाने का आदेश जारी किया था। मणिपुर के गृह सचिव एच ज्ञान प्रकाश की तरफ से लिखी गई इस चिट्ठी में कहा गया था कि “सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार के नागरिक भारत में घुसने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में जिलों को निर्देश दिया है कि वो उन्हें देश में न घुसने दे। शरणार्थियों के लिए न राहत शिविर बनाएं और न खाने-पीने का इंतजाम करें। वे शरण मांगने आएं तो उन्हें हाथ जोड़कर वापस भेजें।”
Hindustan Times की एक रिपोर्ट के अनुसार अब मणिपुर सरकार ने यह आदेश वापस ले लिए है, लेकिन इतना स्पष्ट है कि राज्य सरकार खुली बाहों से इन शरणार्थियों को आसरा देने के समर्थन में नहीं है। नए आदेश के मुताबिक भी मानवीयता के आधार पर और घायल शरणार्थियों को मदद प्रदान करने को कहा गया है। इसके साथ ही म्यांमार से शरणार्थी भारत के मिज़ोरम राज्य में भी घुसपैठ कर रहे हैं। म्यांमार सीमा की रखवाली करने वाली असम राईफल्स ने शरणार्थियों के मिजोरम में दाखिल होने के बाद भारत-म्यांमार बॉर्डर को पूरी तरह सील कर दिया है।
इसी प्रकार पिछले दिनों केंद्र सरकार ने रोहिंग्या मुद्दे पर भी स्थिति स्पष्ट की थी और कहा था कि इस देश को अवैध आप्रवासियों के केंद्र में तब्दील होने नहीं दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि “वे किसी के दबाव में कोई निर्णय नहीं लेंगे। जब म्यांमार कहेगा, तो ही रोहिंग्या घुसपैठियों को डिपोर्ट किया जाएगा, अन्यथा कानून का उल्लंघन करने पर उन्हे हिरासत में लिया जाएगा।” कोर्ट में सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता तुषार मेहता ने दो टूक जवाब दिया था, “हम भारत को घुसपैठियों के डेरे में नहीं तब्दील नहीं कर सकते।”
भारत में मोदी सरकार का रुख अमेरिका की बाइडन सरकार के रुख से एकदम अलग है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने चुनावी प्रचार में वादा किया था कि वे सत्ता में आने के बाद अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी को ढीला कर देंगे ताकि अधिक से अधिक ज़रूरतमंद लोगों को अमेरिकी सुविधाओं का लाभ मिल सके। ऐसे में अब गरीब केंद्रीय अमेरिकी देशों से बड़ी संख्या में शरणार्थी अमेरिका के दक्षिणी बॉर्डर पर पहुँच रहे हैं, जिसके कारण न सिर्फ अमेरिका में बल्कि पड़ोसी मेक्सिको में भी एक बड़ा संकट पैदा हो गया है।
आलम यह है कि मेक्सिको खुद अब इस संकट के लिए अमेरिका की बाइडन सरकार को दोष दे रहा है। इसके साथ ही अमेरिका के दक्षिणी राज्यों में बढ़ते दबाव के कारण राहत शिविरों में भीड़ उमड़ पड़ी है, जिसके कारण कोविड फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।
These are the pictures the Biden administration doesn’t want the American people to see. This is why they won’t allow the press.
This is the CBP facility in Donna, Texas.
This is a humanitarian and a public health crisis. pic.twitter.com/UlibmvAeGN
— Ted Cruz (@tedcruz) March 26, 2021
अमेरिका में जिस समय बाइडन प्रशासन की सुस्त नीतियों के कारण एक बड़ा शरणार्थी संकट पैदा हुआ है, ऐसे समय में भारत ने दुनिया को दिखाया है कि कैसे ऐसे किसी बड़े संकट से निपटा जा सकता है। वर्ष 2014 में सरकार बनने के बाद से ही मोदी सरकार इमिग्रेशन को लेकर सख्त रही है। यही कारण है कि जब पड़ोसी म्यांमार में रोहिंग्या संकट आया, तो बांग्लादेश को आजतक उसका दंड भुगतने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
उसी प्रकार अब जब दोबारा म्यांमार में एक संकट पैदा हुआ है, तो भारत सरकार फिर एक बार भारत को एक विशाल शरणार्थी संकट से बचाने की भरपूर कोशिश में लगी है।