गुजरात निकाय चुनावों को लेकर विपक्ष ने खूब माहौल बनाया था, कि किसान आंदोलन के कारण बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, लेकिन अब जब नतीजे आ रहे हैं तो एक बार फिर ये साबित हो रही हैं कि गुजरात बीजेपी का गढ़ हैं और वहां बीजेपी को हराना अब लगभग नामुमकिन हो चुका है। निकाय चुनाव के परिणाम इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि न केवल शहरी सीटों पर बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के पंचायत चुनावों में बीजेपी को जनता का पूर्ण समर्थन प्राप्त है और किसान आंदोलन से गुजरात की जनता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
हाल ही में जब गुजरात की शहरी सीटों के लोकसभा चुनावों के परिणाम सामने आए थे तो बीजेपी को तगड़ी सफलता मिली थी और उसने एक शानदार जीत दर्ज की थी। वहीं सूरत के निकाय चुनाव के परिणामों में आम आदमी पार्टी को 27 सीटों क्या मिल गईं, कि पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल तो सूरत ही पहुंच गए और दावा करने लगे कि बीजेपी के सामने कांग्रेस अब कमजोर हो चुकी है। केजरीवाल का कहना था कि वो अब कांग्रेस की जगह मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाने की स्थिति में आ जाएंगे, जो उनके अतिआत्मविश्ववास को प्रदर्शित कर रहा था, वहीं कांग्रेस शहरी सीटों का बहाना लेकर बीजेपी की जीत को नजरंदाज कर ग्रामीण नतीजों के आने की बात कह रही थी।
ऐसे में आए ग्रामीण सीटों और ग्राम पंचायत के नतीजों ने कांग्रेस समेत आम आदमी पार्टी के सारे दावों की पोल खोल दी है। बीजेपी ने ग्राम पंचायत में में कांग्रेस को कोसों पीछे छोड़ दिया है जबकि आम आदमी पार्टी का तो नामो निशान तक नजर नहीं आ रहा है। नतीजों की बात करें तो भाजपा ने 31 जिला पंचायत की 980 सीटों में से 771 पर और नगर पालिका की 2720 सीटों में से 2027 पर जीत दर्ज कर विरोधियों को प्रचंड हार का धूल चटाई है। भाजपा ने 8,470 सीटों में से 6,236 सीटें जीतकर कांग्रेस को काफी पीछे छोड़ दिया। कांग्रेस केवल 1,805 सीटें जीत पायी, जबकि AAP और AIMIM ने क्रमश: 42 और 17 सीटें जीतीं हैं। दिलचस्प बात ये भी है कि इन नतीजों में बीजेपी न 2015 के मुकाबले ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है जो कि बीजेपी के गढ़ के और अधिक मजबूत होने का सबूत देता है। इसके पहले ही राज्य में पार्टी ने 6 नगर निगम सीटों मे बीजेपी ने जीत हासिल की थी। इस मौके पर पीएम नेरन्द्र मोदी ने अपने ट्वीट के जरिए गुजरात के वोटरों का धन्यवाद देते हुए कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन पर खुशी जाहिर की है।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का सूपड़ा पूर्णतः गुजरात से साफ हो चुका है। ऐसे में कुछ सीटों में भले ही इन दोनों पार्टियों के मत प्रतिशत में वृद्धि हुई हो, लेकिन असल बात तो ये है कि राज्य में बीजेपी को टक्कर देने वाला कोई नहीं है। पार्टी के खिलाफ किसान आंदोलन से लेकर बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे स्थानीय स्तर के चुनावों में उठाए जा रहे थे, जिनका इन चुनावों से कोई सरोकार तक नहीं था।
ऐसे में विधानसभा चुनावों से पहले हुए इस सियासी सेमीफाइनल में बीजेपी ने साफ कर दिया है कि गुजरात केवल बीजेपी का ही गढ़ है, वहां कोई भी पार्टी बीजेपी को टक्कर नहीं दे सकती है, और ये संकेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर पूरी बीजेपी के लिए एक सबसे सकारात्मक बात है।