हिन्दु धर्म के बारे में अपशब्द बोलना और हिंदुओं के प्रति नफरत फैलना आज कल ‘woke’ culture का हिस्सा बन चुका है। जिस किसी को भी ‘woke’ बनाना हो या लिबरलों की नज़र में आना हो, उसे केवल हिन्दू देवी- देवताओं के बारे में बुरा बोलना है और हिंदुओं को उकसाना है। ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है, अभिजीत सरकार का, जो Oxford विश्वविद्यालय में प्रोफेसर है। अभिजीत अपने सोश्ल मीडिया अकाउंट पर हिंदुओं के लिए नफरत फैलाने के लिए प्रचलित हैं, पर अब इसके खिलाफ UK मे रह रहे हिंदुओं ने online petition की मुहिम चलाई है।Online petition में यह मांग की जा रही है कि अभिजीत को जल्द से जल्द Oxford विश्वविद्यालय से बाहर निकाला जाए।
बता दें कि, अभिजीत के खिलाफ UK के हिंदुओं ने मोर्चा खोल दिया है और ऐसा लग रहा है जब तक अभिजीत को विश्वविद्यालय से बाहर नहीं निकला जाता तब तक वे शांत नहीं बैठने वाले है। Online petition पर 50,000 लोगों का हस्ताक्षर का टार्गेट है, और देखते ही देखते तकरीबन 42,000 लोगों ने इसपर हस्ताक्षर कर इसे अपनी सहमति दी है। Online petition के साथ ही oxford विश्वविद्यालय को संबोधित करते हुए पत्र भी लिखा गया है, पत्र के अंदर अभिजीत की हरकतों का पूरा विवरण किया गया है।
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Oxford विश्वविद्यालय को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ में विश्वास करने वाला देश है। भारत ने कभी किसी के ऊपर अत्याचार नहीं किया है। भारत हमेशा से सभी धर्मो को साथ लेकर चलने वाला देश है, ऐसे महान देश की संस्कृति और धर्म के बारे में अभद्र टिप्पणियाँ कतई बर्दाश नहीं की जाएंगी। UK का हिन्दू समाज चाहता है कि Oxford विश्वविद्यालय ऐसे लोगों को नियुक्त करने और रखने के लिए तुरंत माफी मांगे और अभिजीत को बर्ख़ास्त करें।
पत्र के विस्तार में अभिजीत के Hindu-phobic ट्वीट्स के बारे में भी ज़िक्र है, मिसाल के तौर पर, एक चित्र जिस में भारत के गृह मंत्री अमित शाह नेहरू सेंटर AIIMS हॉस्पिटल में अपना इलाज़ करावा रहे थे, जिस पर अभिजीत ने टिप्पणि की और लिखा, शर्म नहीं आती नेहरू द्वारा बनाए गए हॉस्पिटल में इलाज़ करवाते हुए। अभिजीत के इस ट्वीट से उसकी छोटी मानसिकता साफ दिखती है। किसी भी सरकार द्वारा बनाए गए आधारिक संरचना पूरे देश की जनता के लिए होती है उसमें राजनीतिक भेदभाव का कोई तुक ही नहीं बनाता है।
एक अन्य ट्वीट में अभिजीत ने भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विरुद्ध बुरा-भला बोला । एक ट्वीट में तो भारत के लोकतन्त्र को भी नीचा दिखते हुए, अभिजीत ने भारत सरकार की अंग्रेज़ी हुकूमत से तुलना की है। यही नहीं अभिजीत ने एक ट्वीट में सरस्वती पूजा को लेकर भी अभद्र बातें लिखी है। किसान आंदोलन को लेकर भी ट्वीटर पर झूठ फैलाया है और लोगों को गुमराह करने काम किया है।
अगर हम अभिजीत के ट्वीट्स से अलग दूसरे करनामों पर नज़र डाले तो वो भी निंदनीय है। अभिजीत इतिहास के प्रोफेसर है और उनकी रिसर्च बंगाल अकाल के बारे में है, अपने रिसर्च में इसने अकाल के लिए भारत के जातिवाद को जिम्मेदार ठराया है। बता दे कि, बंगाल अकाल 1943 में हुआ था जिसमें तकरीबन 25-30 लाख भारतीयों की जान गई थी। ऐसी विपदा को जाति का रंग देना, भारत विरोधी ही नहीं, मानवता विरोधी भी है।
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Oxford विश्वविद्यालय को संबोधित किए हुए पत्र में कहा गया है कि सदियों से हिंदुओं को ‘soft-target’ समझा जाता रहा है और अभी भी हालत कुछ वैसे ही है। पत्र में लिखा है “अब बहुत हुआ, अब हम soft टार्गेट नहीं बनेंगे और न ही अपने खिलाफ अन्याय सहन करेंगे।” पत्र में लिखी गई बात बिलकुल सच है। अब हिंदुओं को अपने खिलाफ आवाज़ उठाने वालों के ऊपर कार्रवाई करना ज़रूरी है, क्योंकि अब बहुत हुआ।