सत्ता में आने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन बेशक Quad के तहत भारत के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने की बात कर रहे हों, लेकिन यह भी सच ही है कि वे सधे शब्दों में भारत को रूस से S-400 डिफेंस सिस्टम ना खरीदने की चेतावनी भी दे चुके हैं। अभी हाल ही में भारत के दौरे पर आए अमेरिकी रक्षा मंत्री Lloyd Austin ने भी भारतीय समकक्ष के साथ इस मुद्दे को उठाया था। हालांकि, भारत को S-400 के मुद्दे पर धमकी दे रहे बाइडन प्रशासन को अब अमेरिकी Indo-Pacific कमांड के होने वाले अगले अध्यक्ष ने ही नींद से जगाने का प्रयास किया है। उन्होंने साफ शब्दों में बाइडन को यह संदेश दिया है कि भारत पर प्रतिबंध लगाने से अमेरिका का ही सबसे ज़्यादा नुकसान होगा!
दरअसल, बीते मंगलवार को Indo-Pacific कमांड के अगले अध्यक्ष पद पर तैनाती के लिए अमेरिकी Admiral John Aquilino की confirmation hearing हुई थी और उसी दौरान Aquilino ने यह बात कही। सुनवाई के दौरान अमेरिकी सीनेटर Jeanne Shaheen ने Aquilino से पूछा कि अगर भारत रूस से S-400 लेने का फैसले से टस से मस नहीं होता है तो क्या अमेरिका को भारत पर प्रतिबंध लगाने चाहिए?
इसके जवाब में Admiral John Aquilino ने बाइडन की आँखें खोल दी। Aquilino ने कहा “यह फैसला वैसे तो नीतिकारों के हाथ में है, लेकिन मैं इतना कहना चाहता हूँ कि भारत हमारा कमाल का दोस्त है। मुझे लगता है कि हमें प्रतिबंधों का रास्ता ना अपनाकर भारत को बेहतर विकल्प देने का रास्ता तलाशना चाहिए क्योंकि अमेरिकी हथियार बेहतर भी हैं और विश्वसनीय भी!” Admiral John Aquilino यहीं पर नहीं रुके! आगे उन्होंने भारत की तारीफ़ करते हुए कहा “भारत Quad का एक अहम साझेदार है और आने वाले दिनों में Quad में भारत के साथ-साथ अन्य देशों की भूमिका और बढ़ेगी।”
Aquilino Indo-Pacific कमांड के अगले अध्यक्ष होंगे और वे ही भारत के साथ मिलकर क्षेत्र में चीन की चुनौती से निपटने में अहम भूमिका निभाएंगे! Admiral John Aquilino यह जानते हैं कि भारत और रूस का रक्षा सहयोग दशकों पुराना है और यह चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए भी आवश्यक है। ऐसा इसलिए क्योंकि रूस से S-400 लेकर भारत उसे चीनी और पाकिस्तानी सीमाओं पर ही तैनात करेगा, जो क्षेत्र में अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाने का काम करेगा! ऐसे में Aquilino जानते हैं कि भारत द्वारा S-400 लेने का फैसला असल में अमेरिका की Indo-Pacific नीति के समानान्तर ही है।
वहीं दूसरी ओर अमेरिकी प्रशासन लगातार अपने Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act यानि CAATSA के तहत भारत पर प्रतिबंधों की बात उठा चुका है। इससे पहले इस साल जनवरी में भारत में मौजूद अमेरिकी दूतावास की ओर से एक बयान जारी कर यह भी कहा था कि अमेरिका के साथियों को ऐसा कोई भी कदम उठाने से परहेज करना चाहिए जिससे उनपर CAATSA के अंतर्गत प्रतिबंध लगने का खतरा बढ़ जाये। बता दें कि रूस से S-400 के लिए ही अमेरिका Nato पार्टनर तुर्की पर भी प्रतिबंध लगा चुका है, लेकिन अब Quad के सहयोगी भारत के खिलाफ ऐसा करना अमेरिका के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
आज भारत को अमेरिका की नहीं, अमेरिका को भारत की ज़्यादा ज़रूरत है। अमेरिका को अगर आज भी चीनी चुनौती से निपटने के लिए Indo-Pacific में प्रभाव बनाए रखना है तो उसे भारत और जापान जैसे देशों के साथ की ज़रूरत होगी ही। Indo-Pacific में सबसे बड़ी सैन्य शक्ति होने के साथ ही भारत 135 करोड़ लोगों का एक विशाल विकासशील देश है, जिसपर प्रतिबंध लगाकर अमेरिका अपने आप को ही किनारे लगाने का काम करेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत Quad का सबसे प्रमुख सदस्य है। अगर अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाता है और भारत के साथ अपने रिश्ते खराब करता है तो जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ भी अमेरिका के लिए तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में बाइडन प्रशासन को अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों की बात पर गौर करके अमेरिकी हितों पर कुल्हाड़ी चलाने से परहेज करना चाहिए!