इन दिनों चीन में एक अलग ही खेल चल रहा है। दुनिया के प्रमुख रुई उत्पादकों में से एक रहा चीन अब अपना वर्चस्व खोने वाला है, क्योंकि न केवल वैश्विक कंपनियां शिंजियांग में हो रहे चीनी नागरिकों एवं उइगर मुसलमानों पर अत्याचार से चिंतित है, बल्कि वे इस क्षेत्र से निकलने वाले उत्पादों को भी स्वीकारने से हिचकिचा रहे हैं।
ऐसे में किसको सबसे अधिक फायदा होगा? यदि चीन के उत्पादों, विशेषकर कॉटन Exports को नजरअंदाज किया जाता है, तो सबसे अधिक फायदा भारत को होगा, जो न केवल विश्व के प्रमुख रुई उत्पादकों में से एक है, बल्कि अब चीन के ऊपर बढ़ते प्रतिबंधों के कारण भारत सबसे ज्यादा लाभ प्राप्त करने की स्थिति में है, जिसके लिए काफी हद तक अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियां भी जिम्मेदार हैं।
वो कैसे? दरअसल, सत्ता छोड़ने से पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने एक अहम निर्णय में चीन से इम्पोर्ट होने वाले कॉटन और टमाटर प्रोडक्ट्स, विशेषकर शिंजियांग से होने वाले इंपोर्ट्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह इसलिए भी अहम है क्योंकि चीन के कुल Raw Cotton एक्सपर्ट में से 80 प्रतिशत शिंजियांग से ही एक्सपोर्ट हुआ करता था।
Nike, H&M जैसी विदेशी Apparel कंपनियों ने जब द्वारा शिंजियांग से कॉटन इम्पोर्ट करने से माना किया, तो इससे बौखलाते हुए चीनी प्रशासन ने ऐसे विदेशी कंपनियों का बहिष्कार करने का निर्णय किया। तो ऐसे में अब विकल्प क्या है? Apparel उत्पादन के लिए अमेरिका के पास बांग्लादेश, वियतनाम, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देश तो उपलब्ध है ही, लेकिन इस समय यदि कोई अमेरिका को raw cotton और कॉटन के उत्पाद दोनों प्रदान कर सकता है, तो वो है भारत।
अब भारत दुनिया का सबसे बड़ा कॉटन उत्पादक है, लेकिन घरेलू उपभोक्ता इतने हैं, कि चीन की तुलना में भारत का कॉटन एक्सपोर्ट अधिक नहीं रहा है। 2019 में चीन के कॉटन एक्सपोर्ट लगभग 14.1 बिलियन डॉलर थे, जबकि भारत का कुल एक्सपर्ट इसका आधे से भी कम, करीब 6.3 बिलियन डॉलर था।
लेकिन वुहान वायरस ने तो मानो पूरा खेल ही पलटकर रख दिया है। इस महामारी के कारण न केवल चीन की कई काली करतूतों की पोल खुली है, बल्कि उसके व्यापार को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचा है, और सच कहें तो कॉटन का व्यापार भी इससे अछूता नहीं रहा है। ऐसे में चीन के नुकसान से भारत को जबरदस्त फायदा हो सकता है, और जिसका लाभ भारत उठा भी रहा है।
वैश्विक डिमांड में जबरदस्त वृद्धि के कारण भारत के कॉटन एक्स्पोर्टस दिसंबर 2020 में 27.5 प्रतिशत की अप्रत्याशित दर से बढ़े हैं। इसके अलावा कॉटन के दाम में भी जनवरी के मुकाबले 7 से 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि चीन को हुए नुकसान से अब भारत के पास कॉटन उत्पादन का निर्विरोध सम्राट बनने का बेहद सुनहरा अवसर है, और कहीं न कहीं डोनाल्ड ट्रम्प को उनकी परिपक्वता के लिए भी प्रशंसित करना आवश्यक है।